डॉ.वर्गीज कुरियन कौन थे?

डॉ. वर्गीज कुरियन एक सुप्रसिद्ध भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता व उद्यमी थे.उनका जन्म 26 नवंबर,1921 को कोझीकोड,केरल में हुआ था.उनके पिता केरल के कोचीन में एक सिविल सर्जन थे.उन्होंने साल 1940 में चेन्नई के लोयला कॉलेज से भौतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की और फिर उसके बाद उन्होंने चेन्नई के ही जीसी इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री भी हासिल की.इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद डॉ वर्गीज कुरियन ने कुछ समय तक जमशेदपुर के टिस्कों में काम किया.साथ ही आपको बता दें की साल 1965 से साल 1998 तक वह(डॉ वर्गीज कुरियन) राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के संस्थापक अध्यक्ष भी बने रहे.उनको भारतीय श्वेत क्रांति का जनक और मिल्क मैन ऑफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है,क्योंकि उन्होंने ना केवल भारत को विश्व के सबसे बड़े दूध उत्पादक के रूप में उभरने का मौका दिया बल्कि उन्होंने भारत को विश्व के सबसे बड़े दूध उत्पादक का केंद्र बनाने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया.

मायानगरी मुंबई का दयनीय चेहरा: धारावी झुग्गी बस्ती

मुंबई एक सम्पन्न तथा विकसित महानगर है, इसे मायानगरी मुंबई के नाम से भी जाना जाता है । यहाँ बड़ी- बड़ी इमारतें, उन्नत परिवर्तन तथा सामाजिक - आर्थिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं। इन्ही सुविधाओं से आकर्षित होकर बड़ी संख्या में लोग मुंबई आते हैं परन्तु मुंबई नगरी का एक दयनीय तथा दर्दनाक चेहरा, धारावी झुग्गी बस्ती में देखने को मिलता है। जहां लोग मूलभूत सुविधाओं के बिना ही जीवन जीते हैं। धारावी झुग्गी बस्ती एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती है। इस बस्ती की निम्नलिखित विशेताएँ हैं

कृषि अध्यादेश 2020

17 सितम्बर को लोकसभा में कृषि अध्यादेश (कानून) 2020 के तहत दो बिल- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 और कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वशन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 लोकसभा में पास हो गया जबकि तीसरा विधेयक आवश्यक वस्तु विधेयक पहले ही लोकसभा में पास हो चुका है। अब ये अध्यादेश कृषि कानून का रूप बन चुके हैं । इन क़ानूनों का देश में विरोध भी हो रहा है ।

विलुप्त होती प्रजाति और दुर्लभ कछुआ

संसार में कुछ जीवों का जीवन मात्र एक दिन का होता है, तो कुछ का तीन सौ वर्षों का होता है। सम्पूर्ण विश्व में कछुओं की 260 प्रजातियों में से भारत में 28 प्रजातियां पाई जाती हैं। हाल ही के दिनों में 19 जुलाई 2020 को ओडिशा के बालासोर जिले के सुजानपुर गाँव में रहने वाले किसान बासुदेव महापात्रा को अपने खेत में पीले रंग का एक दुर्लभ प्रजाति का कछुआ मिला। इस कछुए की उम्र डेढ़ से दो साल की बताई गई है। यह एक फ़्लैप शेल कछुआ था,जो कि मुख्यतः भारत,पाकिस्तान,नेपाल,

रूथ बेडर गिंस्बर्ग कौन थी?

रूथ बेडर गिंस्बर्ग अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट की दूसरी महिला न्यायधीश थी। उनका जन्म 15 मार्च,1933 को ब्रुकलीन,न्यूयॉर्क में हुआ था। वह एक ऐसी महान शख्सियत थी, जिन्होंने केवल दूसरों के अधिकारों के लिए लड़ाइयाँ लड़ी। खासकर उन्होंने महिलाओं व अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए काफी संघर्ष किया, जिसमें उन्हें कामयाबी भी मिली।

यमन का मानवीय संकट

यमन अरबी प्रायद्वीप के दक्षिणी अंत में स्थित एक देश है | यमन संसार के सबसे गरीब देशों में से एक है | 2015 में शुरू हुआ गृह युद्ध उसके विनाश का कारण बना | संयुक्त राष्ट्र के अनुसार यमन इस गृह के सबसे बुरे मानवीय संकट में से एक है॥

प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना क्या है?

प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना एक जनकल्याणकारी एवं माइक्रो क्रेडिट स्कीम है, जिसकी शुरुआत माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा 1 जून 2020 को किया गया.आपको बता दें कि इस योजना को प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि के नाम से भी जाना जाता है.

कौन थीं नीरजा भनोट?

ये कहानी है नीरजा की हमने बहुत सी वीरांगनाओं की कहानी सुनी है, जैसे रानी लक्ष्मीबाई, कल्पना चावला, किरण बेदी । मैं इन्ही महान हस्तियों में एक नाम नीरजा भनोट का जोड़ना चाहती हूँ।

महिला सशक्तिकरण

महिला सशक्तिकरण को बेहद आसान शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है, कि इससे महिलाएँ शक्तिशाली बनती हैं जिससे वो अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती हैं और परिवार व समाज में अच्छे से रह सकती है । समाज में अनेक वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हे सक्षम बनाना, महिला सशक्तिकरण है

हिंदी दिवस क्या है?और यह क्यों मनाया जाता है?

आपको बता दें कि हर साल 14 सितंबर को पूरे भारत देश में “हिंदी दिवस” बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है|14 सितंबर,1949 को भारत की संविधान सभा में हिंदी को राजभाषा के रूप में दर्जा दिया गया|और फिर साल 1953 में हिंदी भाषा को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के उद्देश्य से राष्ट्रभाषा प्रचार समिति,वर्धा के द्वारा बहुत अनुरोध करने पर पूरे भारतवर्ष में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिंदी दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा|