गीतांजलि द्वारा लिखित, 18 साल का छात्र

कुछ समय पहले ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महिलाओं एवं पुरुषों की विवाह योग्य आयु में समानता लाने के लिए महिलाओं की विवाह आयु में वृद्धि के प्रस्ताव को स्वीकार किया गया है।

नई विवाह नीति

इस प्रस्ताव में बाल विवाह निषेध अधिनियम एवं विभिन्न धर्मों के विवाह संबंधित पर्सनल लॉ में संशोधन कर महिलाओं के विवाह की आयु 18 वर्ष से बढ़ाकर पुरूषों के समान 21 करने की बात की गई है।

केन्द्रीय टास्क फोर्स

महिलाओं के विवाह की आयु में वृद्धि की सिफारिश जया जेटली की अध्यक्षता में बने 4 सदस्यों के केंद्रीय टास्क फोर्स के द्वारा किया गया है। इसका निर्माण जून 2020 में हुआ है। इस कमेटी ने संपूर्ण भारत  के कॉलेजों एवं अन्य क्षेत्रों की विभिन्न  महिलाओं का सर्वे करने के बाद दिसंबर 2020 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत किया। इस रिपोर्ट के अनुसार, मातृ मृत्यु दर एवं नवजात शिशु मृत्यु दर में वृद्धि का मुख्य कारण महिलाओं की कम उम्र में शादी  है।विवाह की उम्र बढ़ाने से महिलाओं के शैक्षणिक, सामाजिक,आर्थिक एवं मानसिक स्थिति में सुधार होगा।

इस कानून के लाभ

1).महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार:- महिलाओं के शिक्षित, जागरूक और आर्थिक रूप से सशक्त ना होने के कारण उसके और उसके बच्चे के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कम उम्र में विवाह होने के कारण जल्दी गर्भधारण की स्थिति में भी माता एवं उनके बच्चों के शारीरिक – मानसिक विकास एवं पोषण स्तर पर नकारात्मक प्रभाव प्रभाव पड़ता है।

2). बाल विवाह पर रोक

भारत में लड़कियों के विवाह की न्यूनतम आयु अन्य देशों से बहुत कम है। इस कानून के आने से बाल विवाह में कमी आएगी और महिलाओं की उच्च शिक्षा तक पहुंच बढ़ेगी।

3). महिला सशक्तिकरण और लिंग समानता

महिलाओं  के साक्षरता एवं उच्च शिक्षा प्राप्त करने की दर में वृद्धि होगी और वह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन पाएगी। महिलाएं अपना और अपने परिवार का अच्छा पोषण कर पाएंगी और इससे महिलाओं के निर्णय लेने की क्षमता में भी बहुत वृद्धि होगी जो समाज में समानता लाएगा।

 कानून की हानियां

1). बाल विवाह की समस्या

यह कानून बाल विवाह को समाप्त करने में पूर्ण रूप से सक्षम नहीं है क्योंकि लोग अभी भी जागरूक और शिक्षित नहीं है। आज भी बच्चों के बाल विवाह करवाए जाते हैं। आंकड़ों के हिसाब से आज भी 23% लड़कियों की शादी 18 वर्ष पहले करवा दी जाती है। बाल विवाह समाप्त करने के लिए लोगों की मानसिकता में परिवर्तन लाना होगा जो केवल शिक्षा और जागरूकता से संभव है।

2). विवाह का अपराधीकरण

इस कानून का उपयोग परिवारों द्वारा गलत रूप से किए जाने की आशंका है।  परिवार वाले लड़की द्वारा स्वयं की मर्जी से जीवन साथी चुनने अर्थात प्रेम विवाह को रोकने के लिए इसका प्रयोग कर सकते हैं।

3). शिक्षा की कमी

कम उम्र में लड़कियों की शादी को रोकने के लिए उनका विद्यालय नामांकन दर में वृद्धि एवं विधालय छोड़ने के दर में कमी लाना आवश्यक है क्योंकि ऐसा देखा गया है कि पढ़ाई छोड़ने वाली लड़कियों का विवाह विद्यालय में पढ़ने वाली लड़कियों की तुलना में कम उम्र पर करवा दिया जाता है।

निष्कर्ष

इस कानून  के अपने कुछ लाभ एवं हानियां हैं परंतु बाल विवाह, दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों को समाप्त करने एवं महिलाओं के प्रति समानता स्थापित करने के लिए लोगों की मानसिकता में परिवर्तन लाना आवश्यक है जो केवल शिक्षा स्तर में वृद्धि करके एवं जागरूकता फैलाकर ही संभव है। शिक्षा सभी समस्याओं का एकमात्र समाधान है इसलिए सरकार को भारत में शिक्षा दर को बढ़ावा देने के लिए कार्य करना चाहिए।

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