ग्रहण – एक खगोलीय घटना
ग्रहण एक प्राकृतिक घटना है, जिसे हम एक खगोलीय अवस्था भी कह सकते हैं। इस अवस्था में कोई भी खगोलीय पिंड जैसे ग्रह/उपग्रह प्रकाश स्रोत को ढक देता है, फलस्वरूप प्रकाश अपनी योजनाबद्ध जगह पर ना पहुंच कर वहां अंधकार फैला देता है।
ग्रहण एक प्राकृतिक घटना है, जिसे हम एक खगोलीय अवस्था भी कह सकते हैं। इस अवस्था में कोई भी खगोलीय पिंड जैसे ग्रह/उपग्रह प्रकाश स्रोत को ढक देता है, फलस्वरूप प्रकाश अपनी योजनाबद्ध जगह पर ना पहुंच कर वहां अंधकार फैला देता है।
श्वेता बंसल द्वारा लिखित
ग्रहण एक प्राकृतिक घटना है, जिसे हम एक खगोलीय अवस्था भी कह सकते हैं। इस अवस्था में कोई भी खगोलीय पिंड जैसे ग्रह/उपग्रह प्रकाश स्रोत को ढक देता है, फलस्वरूप प्रकाश अपनी योजनाबद्ध जगह पर ना पहुंच कर वहां अंधकार फैला देता है। यह अंधकार कुछ समय के लिए होता है। ग्रहण को प्राकृतिक, खगोलीय घटना कहा जाता है पर धर्मों में भी इसको बहुत महत्व दिया गया है।
हमारा सौरमंडल 8 ग्रहों और सूर्य से बना हुआ है। सूर्य सभी ग्रहों के लिए प्रकाश स्रोत का कार्य करता है। हम सब 8 ग्रहों में से एक – पृथ्वी पर रहते हैं। पृथ्वी का अपना प्राकृतिक एक उपग्रह भी है – जिसे हम चांद कहते हैं। इन तीनों की खगोलीय स्थिति बहुत महत्व रखती है। इन तीनों में से दो प्रकाश स्रोत है – सूर्य और चंद्रमा, जबकि पृथ्वी के पास अपना कोई प्रकाश नहीं है। जैसा कि हम सब जानते हैं, पृथ्वी सूर्य के और चंद्रमा पृथ्वी के चक्कर लगाता है जिसके परिणाम स्वरूप साल भर में अनेक प्रकार के ग्रहण देखे जा सकते हैं।
कौन सा प्रकाश स्रोत ढका गया है, इस आधार पर दो तरह के ग्रहण होते हैः-
1) चंद्र ग्रहण – इस ग्रहण में पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, जिसके कारण चंद्रमा पर पृथ्वी की परछाई पड़ जाती है और चंद्रमा अदृश्य हो जाता है – जिसके कारण इसे चंद्रमा पर लगा ग्रहण या चंद्र ग्रहण कहते हैं।
2) सूर्य ग्रह – इस ग्रहण में चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, जिसके कारण सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर नहीं पहुंच पाता और सूर्य ढक जाता है (अगर पृथ्वी से देखा जाए तो), जिसके कारण इसे सूर्य पर लगा ग्रहण या सूर्य ग्रहण कहते हैं।
प्रकाश स्रोत कितना ढका है और कितना दिख रहा है इस आधार पर भी दो तरह के ग्रहण होते हैं: –
1) पूर्ण ग्रहण – इसके अंतर्गत प्रकाश स्रोत पूरी तरह ढक जाता है इसलिए इसे पूर्ण ग्रहण कहा जाता है।
2) आंशिक ग्रहण – इसके अंतर्गत प्रकाश स्त्रोत थोड़ा ढक जाता है और थोड़ा दिखाई देता है, इसलिए इसे आंशिक ग्रहण कहते हैं।
भारत में भी ग्रहण को दो नजरियों से देखा जाता है, वैज्ञानिक और धार्मिक। धार्मिक नजरिए से बहुत से ऐसे कार्य हैं जो हमें ग्रहण के समय नहीं करने चाहिए-
1) खाना-पीना — ऐसा कहा जाता है कि ग्रहण के समय कुछ भी खाना पीना नहीं चाहिए, क्योंकि वह अशुभ हो चुका है और सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।
2) ग्रहण देखना – ग्रहण को सीधे नंगी आंखों से देखना व्यक्ति को अंधा बना सकता है।
3) दाग – ग्रहण के समय अगर शरीर पर कुछ कट जाता है तो वह ठीक होने में ज्यादा समय लेता है और जिंदगी भर के लिए निशान या दाग दे जाता है।
4) नहाना – ग्रहण के बाद नहाना आवश्यक माना जाता है।
5) गर्भावस्था- गर्भवती औरतों के लिए ग्रहण में बहुत सारी पाबंदियां लगाई जाती हैं क्योंकि कुछ भी करने से बच्चे को नुकसान (अपंगता) पहुंचेगा ऐसा माना जाता है।
इस साल 4 ग्रहण देखे जा सकते हैं दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण
सूर्य ग्रहण- 10 जून और 4 दिसंबर
चंद्र ग्रहण – 26 मई और 19 नवंबर
26 मई का चंद्र ग्रहण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और प्रशांत महासागर जैसे क्षेत्रों में दिखाई देगा।
ग्रहण एक प्राकृतिक घटना है इसे किसी भी प्रकार के अंधविश्वास से जोड़ना गलत होगा। वैज्ञानिक तथ्यों को वैज्ञानिक नजर से देखना ही उचित होता है।
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