पेरिस जलवायु समझौता और अमेरिका
बढ़ते प्रदूषण के प्रभाव के कारण अब हमे ग्लोबल वार्मिंग में भी बदलाव दिखने लगा है। यह प्रदूषण सभी विकसित देशों की देन है जो कि विकासशील देशों पर अब भारी पड़ने लगा है। दिसंबर 2015 में 195 देश साथ आए और जलवायु के ऊपर समझौते पर हस्ताक्षर किए।