वंदना द्वारा लिखित, 20 साल की छात्रा

भारत सरकार ने 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। राज्य सरकारें इस प्रतिबंध का पालन सुनिश्चित करने के लिए अभियान चलाएंगी और सिंगल यूज प्लास्टिक का उत्पादन, वितरण, भंडारण या बिक्री करने वाली इकाइयों को बंद करेंगीं। 28 जून को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सूचित किया था कि 1 जुलाई से देश में चिन्हित सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लग जायेगा। 

प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम के अंतर्गत ये बैन कुल 19 वस्तुओं पर लगा है। प्रतिबंध लगने के बाद देशभर में कंपनियां स्ट्रॉ से बने प्रोडक्ट को बाज़ार में नहीं बेच पाएंगी।  बैन हुई वस्तुओं में थर्माकोल से बनी प्लेट, कप, गिलास, सिगरेट पैकेट, प्लास्टिक के झंडे, कटलरी जैसे – काँटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे, मिठाई के बक्सों पर लपेटी जाने वाली पन्नी, निमंत्रण कार्ड, गुब्बारे वाली स्टिक, आइसक्रीम पर लगने वाली स्टिक, क्रीम, कैंडी स्टिक और 100 माइक्रोन से कम के बैनर शामिल है। केंद्र सरकार ने कंपनियों को प्लास्टिक के इस्तेमाल की जगह ऐसे वस्तुओं को प्राथमिकता देने की बात कही है, जो पर्यावरण हितैषी हो।

क्या होता है सिंगल यूज प्लास्टिक?

कूड़े का ढेर

प्लास्टिक के बारे में तो हम सभी ने सुना है परंतु सिंगल यूज प्लास्टिक किस प्रकार से भिन्न है, आइए जानते हैं। सिंगल यूज प्लास्टिक से अभिप्राय एक बार इस्तेमाल किये जाने वाले प्लास्टिक की वस्तुओं से है। सिंगल यूज प्लास्टिक को केवल एक बार प्रयोग करके फेंक दिया जाता है। इनमें प्लास्टिक की थैलियां, डिस्पोजल प्लास्टिक, स्ट्रॉ, सोडा व पानी की बोतलें आदि शामिल है ।

ऐसे प्लास्टिक आमतौर पर मिट्टी के भीतर जाकर दफ़न हो जाते हैं। कई सालों बाद ये छोटे छोटे कणों में बदलने लगते हैं। इस दौरान प्लास्टिक काफ़ी जहरीले रसायन छोड़ते हैं, जिससे मिट्टी में प्रदूषण अर्थात मिट्टी को काफ़ी नुकसान पहुँचता है। इस कारण ये पानी और भोजन की आपूर्ति के साथ हमारे शरीर के अंदर आ जाते हैं। इसके कई दुष्परिणाम हमारे स्वास्थ्य पर पड़ते हैं। इससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हमारे शरीर में जन्म ले सकती हैं। सिंगल यूज़ प्लास्टिक का इस्तेमाल करने पर सबसे अधिक नुकसान पर्यावरण को होता है। इससे पर्यावरण बहुत दूषित होता है।

हालांकि, इसके खिलाफ व्यापार संगठनों ने आवाज़ भी उठाई है उनका कहना है कि पहले सरकार को इस संबंध में एक समिति बनाकर सिंगल यूज प्लास्टिक का विकल्प ढूंढना चाहिए और उसके बाद इस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, भारत हर साल 2.4 लाख टन सिंगल यूज प्लास्टिक का उत्पादन करता है ।

प्रतिबन्ध का उल्लंघन करने पर

किसी भी नियम कानून के उल्लंघन पर  कुछ न कुछ सजा निर्धारित की जाती है ताकि लोग उस नियम का पालन करें इसी तरह सिंगल उपयोग प्लास्टिक के उपयोग पर भी सजा निर्धारित की गई है।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि जो भी सिंगल यूज प्लास्टिक प्रतिबंध का उल्लंघन करता पाया गया उसके खिलाफ उचित धाराओं के तहत कार्यवाही होगी, उस पर जुर्माना लगाने के साथ उसे जेल भी भेजा जा सकता है। जुर्माना एक लाख रुपये और सजा 5 साल तक की हो सकती है अगर बार बार आदेश की अवहेलना की गई तो हर दिन जुर्माना 5000 बढ़ सकता है, हालांकि दिल्ली में जुर्माना आम लोगों पर 500 से 2000 रुपए तक हो सकता है। गौरतलब है कि हर राज्य के स्थानीय प्राधिकरण एक केंद्रीय जुर्माने के अतिरिक्त अपना जुर्माना खुद भी तय करेंगें ।

सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाना क्यों आवश्यक है?

सिंगल यूज प्लास्टिक हमारे पर्यावरण, जीव-जंतुओं एवं मानव के लिए बहुत खतरनाक है। एक सामान्य प्लास्टिक खरीदने के बाद लंबे समय तक उपयोग में आता है परंतु सिंगल यूज़ प्लास्टिक बड़ी मात्रा में उत्पादित होता है और केवल एक ही बार उपयोग में लाया जाता है। उदाहरण स्वरूप प्लास्टिक के गिलास जो कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद अनुपयोगी हो जाती है।

यह प्लास्टिक पर्यावरण को अनेक प्रकार से नुकसान पहुंचाता है आपको बता दें कि जब यह जमीन में दबा दिया जाता है तो मिट्टी प्रदूषण करता है, जलाया जाता है तो वायु प्रदूषण करता है और जल में बहकर जल प्रदूषण करता है और किसी न किसी रूप में मानव तथा जीव-जंतुओं को बहुत हानि पहुंचाता है।

  • स्थलमंडल पर प्रभाव
सिंगल यूज प्लास्टिक बैन

प्रतिदिन बड़ी मात्रा में सिंगल यूज प्लास्टिक के उत्पादन से मृदा प्रदूषण होता है साथ ही बड़ी मात्रा में डंपिंग ग्राउंड बनते जा रहे हैं। इन डंपिंग ग्राउंड के विस्तार में सर्वाधिक मात्रा में सिंगल यूज प्लास्टिक का योगदान होता है जो प्रतिदिन उत्पादित होते हैं। बढ़ते मृदा प्रदूषण से लोगों में बीमारियां बढ़ती जा रही हैं।

जीव जंतु इन प्लास्टिक को खा जाते हैं जिससे बड़ी मात्रा में उनकी मृत्यु हो जाती है।

मृदा में बहुत अधिक मात्रा में सिंगल यूज प्लास्टिक के जमाव से वर्षा का पानी नीचे नहीं जा पाता जिस कारण भूमि बंजर तथा अनुपयोगी हो जाती है।

  • वायुमंडल पर प्रभाव

सिंगल यूज प्लास्टिक को जलाने से उसमें से बहुत से ऐसे प्रदूषण निकलते हैं जो वायुमंडल में जाकर ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न करते हैं जिससे वायु प्रदूषण होता है तथा जलवायु ही गरम होती जाती है।

वायु प्रदूषण के कारण बहुत सारे पशु-पक्षियों सहित मनुष्य को सांस की बीमारियां होने लगती है। मानव तो फिर भी अपना बचाव कर पाते हैं परंतु बड़ी मात्रा में पशु-पक्षी मौत के शिकार हो जाते हैं।

  • जलमंडल पर प्रभाव
भारत सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगाया प्रतिबंध

जल सभी मनुष्य तथा जीव जंतुओं के लिए बहुत आवश्यक तत्व है परंतु सिंगल यूज प्लास्टिक के कारण जल प्रदूषण बढ़तता जा रहा है।  सिंगल यूज प्लास्टिक से निकलने वाले जहरीले तत्व पानी में घुल जाते हैं जिससे नदियां सूखती जा रही हैं, मनुष्य में विभिन्न प्रकार की जल जनित बीमारियां हो रही हैं एवं फसलों में भी सिंचाई के दौरान इन रसायनों का नकारात्मक प्रभाव होता है।

सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रभाव समुद्र एवं नदियों में पाए जाने वाले जीवों में भी देखने को मिल रहा है जहां जीव जंतुओं की बड़ी मात्रा में मृत्यु हो रही है वही नदियों में बड़ी मात्रा में डॉल्फिन विलुप्त होती जा रही हैं।

प्रतिबंध को किस तरह लागू किया जाएगा?

प्रेस विज्ञापित के मुताबिक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड केंद्र को नियमित रिपोर्ट सौपेंगे और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्रगति की निगरानी करेगा। प्रतिबंधित वस्तुओं के निर्माण की अनुमति देने वाले व्यवसाओं को कच्चे माल की आपूर्ति को रोकने के लिए राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर निर्देश दिए गए हैं।

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया कि राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर प्रतिबंध को लागू करने की निगरानी और सुनिश्चित करने के लिए नियंत्रण कक्ष स्थापित किये जायेंगे।

आज हमने सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगाए गए प्रतिबंध के बारे में संपूर्ण जानकारी दी। सिंगल यूज प्लास्टिक हमारे पर्यावरण, संपूर्ण मानव जीवन और जीव-जंतुओं के लिए बहुत हानिकारक है। आप भी सरकार के इस कदम में अपना साथ दें तथा सिंगल यूज़ प्लास्टिक के उपयोग की जगह अन्य पर्यावरण हितैषी विकल्पों का चुनाव करें। स्वयं भी जागरूक बने तथा दूसरों तक भी जागरूकता पहुंचाए क्योंकि किसी भी कानून एवं सुधार के लिए देश के सभी नागरिकों का साथ जरूरी होता है।

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