गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा

हम सब जानते हैं कि ऊर्जा संसाधन हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण है चाहें वह पैट्रोलियम हो या गैस। विश्व में प्राकृतिक संसाधनों का आसमान वितरण पाया गया है किसी जगह पर बहुत अधिक मात्रा में प्राकृतिक संसाधन है तो वहीं किसी स्थान पर इनकी बहुत दुर्लभता पाई जाती है ऐसी स्थिति में आयात-निर्यात अर्थात संसाधनों के आदान-प्रदान से संतुलन स्थापित किया जाता है ताकि सभी देशों की आवश्यकताएं पूरी हो सकें।

इसी कड़ी में रूस ने यूरोपीय देशों को प्राकृतिक गैस की पूर्ति करनी बंद कर दी है। आज हम इस मुद्दे पर जानकारी प्राप्त करेंगे।

रूस के पास प्राकृतिक गैस का भंडार

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि रूस एक शक्तिशाली देश है और क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा देश भी है‌। प्राकृतिक संसाधनों की दृष्टि से देखें तो वहां पर बहुत बड़ी मात्रा में प्राकृतिक गैस के भंडार भी उपलब्ध हैं।

रूस दुनिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस निर्यातक है और यूरोप के लगभग सारे ही देश प्राकृतिक गैस की पूर्ति के लिए रूस पर निर्भर हैं परंतु इस वर्ष रूस द्वारा यूक्रेन पर किए गए आक्रमण के बाद सभी यूरोपीय देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिया था जिसका प्रभाव अब देखने को मिल रहा है। माना जा रहा है कि इसी कारण से रूस ने गैस निर्यात रोक दिया है।

रूस ने किस प्रकार रोका गैस आयात?

आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि रूस ने गैस आपूर्ति कैसे रोकी है अर्थात क्या रूस ने पूर्ण रूप से निर्यात बंद कर दिया है?

नहीं, रूस ने एकदम से पूर्ण गैस आपूर्ति नहीं रोकी, उन्होंने प्रमुख पाइपलाइन जिसका नाम नॉर्ड स्ट्रीम 1 है, को बंद कर दिया है जिसके कारण अब आपूर्ति ना के बराबर है।

गैस की आवश्यकता

अगर हम गैस की आवश्यकता की बात करें तो बहुत से कार्य के लिए यूरोप में गैस की आवश्यकता है जैसे:-

  • बिजली के निर्माण के लिए
  • परिवहन और उत्पादन के लिए
  • भोजन बनाने के लिए
  • उद्योगों में मशीन को चलाने के लिए
  • तापमान तो गर्म बनाए रखने के लिए
  • आयात और निर्यात के लिए

किसी भी देश के घरों और उद्योगों में प्राकृतिक गैस अनिवार्य वस्तु है। गैस की कीमत में होने वाली वृद्धि, वस्तुओं और सेवाओं के कीमत में भी वृद्धि लाती है। अब यूरोपीय देशों में महंगाई बढ़ने की आशंका है। रूस द्वारा प्राकृतिक गैस के निर्यात रोकने का सबसे बुरा प्रभाव जर्मनी पर पड़ रहा है क्योंकि जर्मनी पूर्ण रूप से गैस की आपूर्ति के लिए रोज़ पर निर्भर है।

नॉर्ड स्ट्रीम 1 क्या है?

नॉर्ड स्ट्रीम 1 एक प्राकृतिक गैस की पाइप लाइन है जो रूस और यूरोपीय देशों को जोड़ता है, जिसके द्वारा रूस यूरोपीय देशों को गैस निर्यात करता है। यह सेंट पीटर्स वर्ग के पास के तट से लेकर उत्तर पूर्वी जर्मनी तक फैला है इसकी लंबाई 1,200 किलोमीटर है।

जैसा कि आप सभी जानते होंगे की रूस एक समाजवादी देश है इसीलिए इस पाइप का संचालन जिस कंपनी द्वारा दिया जाता है उसका स्वामित्व रूस राज्य के एक कंपनी गजप्रोम के पास है ।

यूरोप के अधिकतर देश विकसित हो चुके हैं इसीलिए वहां पर ऊर्जा की आवश्यकता ज्यादा है इसी कारण जर्मनी इंटर पाइपलाइन नॉर्ड स्ट्रीम 2 बनाने वाला था और इसकी मंजूरी रूस ने भी दे दी थी परंतु रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद इसका निर्माण रोक दिया गया।

रूस ने कैसे रोकी गैस आपूर्ति?

रूस ने अभी पूर्ण रूप से यह माना नहीं है कि उन्होंने आपूर्ति रोक दी है। रूस ने मई के शुरुआत से ही विभिन्न कारणों जैसे पाइप लाइन के उपकरणों में खराबी, पाइपलाइन में छेद आदि को कारण बताते हुए आपूर्ति कम की जा रही थी परंतु अब आपूर्ति पूर्ण रूप से रोक दी गई है।

रूस का क्या है कहना?

नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन को बंद करने के पीछे रूस ने कारण दिया कि उसमें रिसाव आ रहा है क्योंकि उसमें छेद पाया गया है जिसके मरम्मत में समय लगेगा।

परंतु राजनीतिक रूप से देखने पर कुछ और ही कारण जान पड़ता है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रवक्ता ने कहा कि यह पश्चिमी प्रतिबंधों का परिणाम है जो अब यूरोप को भुगतना है।

यूरोप पर होने वाले प्रभाव

रूस द्वारा प्राकृतिक देश के निर्यात पर रोक लगाने से यूरोप पर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव हो रहा है मुख्य रूप से जर्मनी प्रभावित हुआ है क्योंकि वह बड़ी मात्रा में प्राकृतिक गैस का निर्यात रूस से करता था।

यूरोप में गैस की कीमतें दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जो यूरोप की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है और वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य में भी वृद्धि हो रही है।

यूरोपीय देश द्वारा उठाए गए कदम

जैसा कि हम सभी ने जाना कि रूस अब प्राकृतिक गैस नहीं देना चाहता है ऐसी स्थिति में यूरोपीय देशों को अपने प्राकृतिक गैस की आवश्यकता को कम करना पड़ेगा या उसकी जगह कोई और विकल्प उपयोग करना पड़ेगा।

यूरोपीय संघ, जो यूरोपीय देशों का समूह है, ने ऐसे समझौते पर हस्ताक्षर किया है जिसमें सदस्य देश अपने देश की गैस खपत में 15% कमी करेंगे।

जर्मन सरकार ने कुछ समय पहले ही सार्वजनिक भवनों में प्रकाश और शीतलता के लिए गैस के उपयोग को कम किया है और उन्हें उम्मीद है कि वह 2% तक गैस खपत को कम कर पाएंगे।

स्पेन और स्विट्जरलैंड जैसे देश पहले ही ऐसे नियम ला चुके हैं जिससे देश के प्राकृतिक गैस खपत में कमी की जा सके।

नागरिकों में भी बहुत अधिक जागरूकता फैलाई जा रही है ताकि यूरोप के नागरिक भी सरकार की मदद कर सकें तथा देश के गैस उपयोग को कम कर सकें।

जर्मनी में लोगों ने गैस सिलेंडर की जगह चूल्हा खरीदना आरंभ कर दिया है और सोलर पैनल भी लगवा रहे हैं ताकि सभी मिलकर गैस के इस्तेमाल को कम कर सकें।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थिति बहुत गंभीर बनी हुई है भविष्य की भी सारी अपडेट हम आपके साथ साझा करते रहेंगे। आप यूं ही हमारे साथ जुड़े रहें और देश- विदेश की सारी खबरों की जानकारी रखें।

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