दीपाक्षी सिंगला द्वारा लिखित, 17 साल की छात्रा

भौगोलिक स्थिति

यमन अरबी प्रायद्वीप के दक्षिणी अंत में स्थित एक देश है | यमन संसार के सबसे गरीब देशों में से एक है | 2015 में शुरू हुआ गृह युद्ध उसके विनाश का कारण बना | संयुक्त राष्ट्र के अनुसार यमन इस गृह के सबसे बुरे मानवीय संकट में से एक है॥

यमन में संघर्ष की शुरुआत

अरब के दिल होने से लेकर यमन आज द्वीप का सबसे गरीब देश है | यमन का संघर्ष कई वर्षों से चला आ रहा है परन्तु साऊदी के दख्ल देने के कारण इसने सबसे भयंकर रूप मार्च 2015 में लिया | 
इस संघर्ष की वर्तमान स्थिति अरब स्प्रिंग के बारे में जानकर जानी जा सकती है | अरब स्प्रिंग अरब प्रायद्वीप के करीबी कई मुस्लिम देशों  में 2011 में हुए संघर्षों की श्रेणी है| यमन भी इसी स्प्रिंग का हिस्सा बना |

विस्तारपूर्वक कथा

यह कहानी शुरू होती है उत्तरी अफ्रीका के एक देश ट्यूनीशिया से | उस समय वहाँ ज़ीन एल अबिदीन बेन अली का शासन था | दिसम्बर 2010 में वहाँ एक कर्मचारी के साथ पुलिस ने बहुत बुरा बर्ताव किया | जब वह उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने गया तो उसकी वहाँ किसी ने ना सुनी | उसने परेशान होकर एक सरकारी दफ्तर के सामने खुद को आग लगा दी | इस घटना ने क्रांतिकारी भाव को जन्म दिया | वहाँ की जनता ने अपने राष्ट्रपति को अपनी जगह छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया और वे वहाँ से भाग खड़े हुए | इस विरोध से और कई देशों ने प्रेरणा ली | सामाजिक मीडिया ने इस क्रांति को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई | यह विरोध जनवरी 2011 में यमन पहुंचा | उनके राष्ट्रपति, अली अब्दुल्ला सलेह को मजबूर किया गया कि वो अपनी सत्ता अपने डिप्टी अब्दराबुह मन्सूर हदी को दे दें |

नए शासन के तहत यमन

हदी अपनी ज़िम्मेदारियों को संभालने में अक्षम थे | बेरोजगारी, खाद्य असुरक्षा एवं भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं का हल वह नहीं निकाल पा रहे थे | इस कारण कई आत्महत्याएँ एवं हमले हुए । जनता निराश व परेशान रही | इसके बाद तो जैसे युद्ध की लहर सी चल पड़ी | हादी सेना का आक्रमण हुआ और जनता उनके समक्ष झुकने को विवश हो गई | 2014 में यमन की राजधानी सना और उसके राष्ट्रपति पर हादी सरकार ने कब्जा कर लिया और उसे साऊदी अरब भागने पर मजबूर कर दिया |

युद्ध के पाँच वर्ष
हादी सरकार ने युद्ध के दौरान खाना चुराया व संसाधन नष्ट कर दिए जिस कारण यमन में सूखा पड़ गया | इसके परिणामस्वरूप आज लाखों लोग खाद्य असुरक्षा का शिकार हैं व कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं |

बच्चे भी बन रहे हैं शिकार

यमन की हालत बहुत गंभीर हो चुकी है। इस गृहयुद्ध के परिणाम बच्चों को भी भुगतने पड़ रहे हैं। इस विषय में संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने यमन को बच्चों के लिये ‘जीता जागता नर्क’ बताया। हर साल बच्चे ऐसी बीमारियों से मर रहे हैं जिनका इलाज बहुत आसानी से किया जा सकता है। 5 साल की उम्र से कम के लाखों बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। कुपोषण के कारण लाखों बच्चे अपनी जान गँवा देते हैं। यमन की यह दशा सभी को नुकसान पहुंचा रही है।