गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल का छात्र

करोनाकाल ने हमें यह समझा दिया है कि स्वास्थ्य व्यवस्था का मजबूत होना कितना आवश्यक है। भारत अपनी स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं इसी दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत ने एक बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की है। 10 लाख भारतीय आशाओं को ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड द्वारा सम्मानित किया गया। यह सम्मान विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा दिया गया है।

कौन होती है आशा?

आशा का पूर्ण रूप मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता होता है। आशा मान्यता प्राप्त

महिला समाजिक कार्यकर्ता का समूह है जो ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य व्यवस्था की देखरेख करती है तथा स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के प्रति ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में जागरूकता फैलाती है।

कब हुई थी आशा योजना की शुरुआत?

आशा योजना की पहल 2005 में स्वास्थ्य परिवार मंत्रालय द्वारा की गई थी। आशाओं की सबसे पहले नियुक्ति 2005 में स्वास्थ्य मंत्री अंबुमानी रामदास द्वारा शुरू की गई थी उन्होंने स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए आशा कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की थी। तब से आशाएँ स्वास्थ्य व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

क्या है आशाओं की भूमिका?

शहरी क्षेत्रों में लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता है परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का बहुत अभाव है। ऐसे में आशा कार्यकर्ता का काम विभिन्न बीमारियों के प्राथमिक इलाज, टीकाकरण, परिवार नियोजन स्वास्थ्य, गर्भावस्था में मां एवं बच्चे का मार्गदर्शन एवं स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।

ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बहुत अशिक्षा है जिस कारण सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं का ज्ञान लोगों को नहीं होता है इसीलिए आशा कार्यकर्ताएँ सरकार द्वारा चलाई गई स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों तक पहुंचाने का कार्य भी करती है।

कैसे होता है आशाओं का चयन?

आशा बनने के लिए शैक्षणिक योग्यता 10वीं पास है। आशाओं की उम्र 25 से 45 वर्ष होनी चाहिए। आशा कार्यकर्ताओं की नियुक्ति में अविवाहित महिलाओं की जगह विवाहित महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि वे उसी गांव में रहती है जबकि अविवाहित महिलाओं को शादी के बाद गांव बदलना पड़ता है।

आशा कार्यकर्ताओं को 18 महीने तक प्रशिक्षण दिया जाता है  ताकि वह अपने कार्य को समझ एवं सीख सकें।

ग्लोबल हेल्थ लीडर्स सम्मान

रविवार 23 मई, 2022 को 10 लाख आशा कार्यकर्ताओं को अवार्ड से सम्मानित किया गया।

डब्ल्यूएचओ महा निर्देशक डॉक्टर 

टेड्रोस अधनोम ने आशा का मतलब “होप” बताते हुए कहा कि आशाओं ने कोरोना समय में स्वास्थ्य व्यवस्था में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया, इसलिए वह इस सम्मान की हकदार हैं।

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी आशा कर्मचारियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

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