अभिषेक झा द्वारा लिखित – कक्षा 12 का छात्र

आपको जानकर खुशी होगी कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की अध्यक्षता में बुधवार 29,जुलाई 2020 को कैबिनेट की मीटिंग में न्यू एजुकेशन पॉलिसी को लेकर बड़ा फैसला लिया गया|और केंद्र सरकार ने इस पर मंजूरी भी दे दी|मीटिंग में लिए गए सभी फैसलों की जानकारी का खुलासा केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेडकर ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया| साथ ही मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया|

उन्होंने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 34 साल बाद भारत की शिक्षा नीति(प्रणाली)में बदलाव आया है| शिक्षा नीति में नए बदलाव आने की वजह से 10+2 के फॉर्मेट को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है| साथ ही इसको 10+2 से बदलकर 5+3+3+4 के फॉर्मेट में कर दिया गया है|इन बदलावों के मुताबिक अब स्कूल के पहले 5 साल में प्री प्राइमरी स्कूल के 3 साल और कक्षा एक और कक्षा दो के साथ फाउंडेशन स्टेज शामिल किए जाएंगे|अगले 3 सालों को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में बांटा गया है|इसके बाद में 3 साल मध्य चरण यानी (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक अवस्था के 4 वर्ष यानी (कक्षा 9 से 12) के रूप में किया गया है|

इसके अलावा स्कूल में कला, वाणिज्य, विज्ञान और अन्य स्ट्रीम में अपनी रुचि के हिसाब से छात्र अब जो चाहे वह चुन सकते हैं|न्यू एजुकेशन पॉलिसी में टेक्नोलॉजी और ऑनलाइन एजुकेशन पर ज्यादा फोकस किया गया है|अब मल्टीपल एंट्री और एग्जिट स्ट्रीम में छात्रों को पहले साल के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद डिप्लोमा और कोर्स खत्म होने के बाद यानी 3-4 साल बाद डिग्री दी जाएगी|साथ ही M.Phill को भारत में पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है|अभी हमारे यहां पर जितने भी यूनिवर्सिटीज हैं|जैसे- डीम्ड यूनिवर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज और स्टैंडअलोन इंस्टिट्यूशन सभी के लिए अलग-अलग नियम है, लेकिन अब न्यू एजुकेशन पॉलिसी के मुताबिक सभी के लिए एक जैसे नियम होंगे|

आपको बता दें कि न्यू पॉलिसी में 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को लेकर बड़े बदलाव किए गए है|10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है, अब केवल 12वीं में ही बोर्ड परीक्षाएं देनी होंगी|बोर्ड की परीक्षाएं तो कराई जाएंगी,लेकिन इनके महत्व को कम कर दिया जाएगा|साथ ही साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं होंगी|परंतु छात्रों के ऊपर से इसका दबाव कम कर दिया जाएगा|इस पॉलिसी के अंतर्गत छात्रों के रटने की प्रवृत्ति को कम करने के लिए विषयों के मुख्य कांसेप्ट और ज्ञान पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा|

इस पॉलिसी के तहत अब पांचवी तक के छात्रों को और जहां तक हो सके आठवीं तक के छात्रों को मातृभाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्रीय भाषा में ही शिक्षा उपलब्ध कराई जाएंगी|स्कूली शिक्षा में अब 5+3+3+4 के फॉर्मेट में ही पढ़ाया जाएगा|इसके साथ ही अब स्कूल में कक्षा 6 से ही छात्रों को प्रोफेशनल और स्किल की शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी|कला,संगीत,खेल और योग जैसे सभी विषयों को भी पाठ्यक्रम में जोड़ा जाएगा|

कहा जा रहा है कि साल 2030 तक हर जिले में एक उच्च शिक्षण संस्थान को शुरू कर दिया जाएगा| जिससे वहां के बच्चों का भविष्य सुधर सके|नेशनल एसेसमेंट सेंटर को भी बनाया जाएगा जो बच्चों के सीखने की क्षमता का समय-समय पर परीक्षण कर सके|ताकि यह पता चल सके कि बच्चे में क्या खूबी है और क्या कमी है|जिससे समय रहते उस पर ध्यान दिया जा सके|

अब UGC,NCTE और AICTE की जगह पर एक नई रेगुलेटरी बॉडी तैयार की जाएगी, जिससे छात्रों को काफी मदद मिलेगी| साथ ही उच्च शिक्षण संस्थानों(कॉलेजों) में एडमिशन के लिए केवल कॉमन एंट्रेंस एग्जाम देने होंगे|हालांकि यह सभी संस्थानों के लिए अनिवार्य नहीं होगा और ये सभी परीक्षाएं केवल राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी के द्वारा कराई जाएंगी|