अभिषेक द्वारा लिखित, कक्षा 12 का छात्र

नीरव मोदी भारत के ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे बड़े हीरो के व्यापारी में से एक हैं। उनका जन्म गुजरात के जामनगर में हुआ था, परंतु उनकी परवरिश बेल्जियम के एंटवर्प शहर में हुई। उनका वास्तविक नाम ‘नीरव दीपक मोदी’ है। उनका परिवार लगभग 7 पीढ़ियों से हीरो के कारोबार में कार्यरत रहे है। 19 साल की उम्र में वह अपने पिता के साथ मुंबई आ गए। मुंबई आकर उन्होंने ‘व्हार्टन स्कूल’ में अपनी पढ़ाई पूरी की और फिर उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने ‘यूनिवर्सिटी आफ पेंसिल्वेनिया’ में दाखिला लिया। परंतु कुछ कारण वर्ष उन्होंने बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ दी जिसके बाद वह अपने मामा ‘मेहुल चौकसी’ के साथ काम करने के लिए भारत आ गए और लगभग 10 वर्षों तक उन्होंने भारत में ही रह कर अपने मामा ‘मेहुल चौकसी’ से व्यापार के सभी गुण सीखे। मेहुल चौकसी और कोई नहीं “गीतांजलि जेम्स” के सीईओ व प्रबंधक निदेशक हैं, जो अपने काम के लिए दुनिया भर में मशहूर है।

साथ ही उन्होंने लगभग 5 वर्षों तक अपने दोस्त के कहने पर आभूषणों को डिजाइन करने का कार्य भी सीखा। डिजाइनिंग में महारत हासिल करने के बाद उन्होंने सबसे पहले एक गले के हार को डिजाइन किया जिसकी कीमत लगभग 16.5 करोड़ रुपए थी। नीरव मोदी को अपने जीवन के शुरुआती दौड़ में अपने काम के लिए केवल ₹3500 दरमाहा के तौर पर दिए जाते थे। साल 1999 में उन्होंने ‘फायरस्टार डायमंड इंटरनेशनल’ नामक एक फर्म की शुरुआत की, जिसका प्रमुख कार्य हीरे की खरीद और बिक्री को करने का है। इसके बाद उन्होंने साल 2005 व 2007 के करीब में अपने अमेरिकी दोस्त (फ्रेडरिक गोल्डमैन) की मदद से दो आभूषण वितरण व विपणन कंपनियों को खरीदकर संयुक्त राज्य अमेरिका में अपना परचम यानी आधार स्थापित किया। आपको जानकर हैरानी होगी कि साल 2010 में नीरव मोदी ने हैदराबाद के गोलकुंडा खदान से निकाले गए एक असामान्य व बेशकीमती हीरे से एक हार को बनाया। उस हार की कीमत लगभग ₹160000000 थी, जिसकी नीलामी ‘ब्रिटिश ऑक्शन हाउस क्रिस्टी’ में की गई थी। उस बेशकीमती हार को बनाने में तकरीबन 1300 आभूषण विशेषज्ञों की सहायता ली गई थी। उनके द्वारा देश-विदेश में अनेकों स्टोर को स्थापित किया जा चुका है, जिनमें से हांगकांग, जापान, ब्रिटेन, अमेरिका, भारत जैसे देश प्रमुख हैं। न्यूयॉर्क के ‘मेडिसिन एवेन्यू’ में उन्होंने अपने पहले स्टोर की शुरुआत की और जल्द ही वह अपने बेहतरीन कार्य व डिजाइनिंग के लिए देश-विदेश में मशहूर होते चले गए।

परंतु साल 2018 के जनवरी माह में पंजाब नेशनल बैंक की ओर से एक घोटाले के लिए प्राथमिकी दर्ज कराई गई, जिसमें नीरव मोदी व उनके साथियों जैसे ‘मेहुल चौकसी’ व अन्य लोगों को कसूरवार ठहराया गया। पीएनबी बैंक ने उनके ऊपर ₹11,400 करोड़ को गबन करने का आरोप लगाया था, जिसके बाद से वह सुर्खियों में आ गए। पीएनबी बैंक के मुताबिक उन्होंने इस घोटाले को ‘गोकुलनाथ शेट्टी’ (जो पीएनबी की मुंबई विदेशी विनिमय विभाग में कार्यरत थे) व अन्य सहयोगी ‘मनोज खारत’ के साथ मिलकर एक फर्जी LOU(letter of undertaking) को जारी कर इस घोटाले को अंजाम दिया। केवल इतना ही नहीं इस घोटाले के बाद एक्सिस बैंक, इलाहाबाद बैंक और बैंक ऑफ इंडिया के अलावा अन्य बैंकों ने भी नीरव मोदी के खिलाफ घोटाले से जुड़े मामलों में पुलिस को प्राथमिकी दर्ज कराई। जिसके बाद उनके ऊपर कुल मिलाकर 14,400 करोड़ रुपयों के घोटाले का मामला दर्ज किया गया। सबसे अहम बात तो यह है कि जनवरी 2018 में पीएनबी के घोटाले के बाद नीरव मोदी अपने परिवार सहित भारत छोड़कर विदेश भाग गए, ताकि उसके ऊपर कोई कार्रवाई ना हो सके। यह कोई नई बात नहीं है, इससे पहले भी कई बार ऐसा हो चुका है। नीरव मोदी ने भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी कई घपले किए जिसके चलते उन्हें लंदन में प्रत्यर्पण (Extradition) वारंट पर 19 मार्च, 2019 को गिरफ्तार कर लिया गया और प्रत्यर्पण मामले के सिलसिले में हुई कई सुनवाइयों के दौरान उन्हें वॉन्ड्सवर्थ जेल से वीडियो लिंक के ज़रिये शामिल किया गया था। आपके दिमाग में प्रत्यर्पण को लेकर कई प्रश्न आ रहे होंगे कि आखिर प्रत्यर्पण क्या है और किसे कहते है? प्रत्यर्पण एक राज्य की औपचारिक प्रक्रिया है,जो किसी व्यक्ति को किसी दूसरे राज्य में अभियोजन के लिए आत्मसमर्पण करने या देश के अधिकार क्षेत्र का अनुरोध करने वाले अपराधों के लिए सजा देता है। आमतौर पर यह प्रक्रिया एक द्विपक्षीय (Bilateral) या बहुपक्षीय(Multilateral) संधि के द्वारा सक्षम हो पाता है। उन्होंने अपनी जमानत को लेकर कोर्ट में कई याचिका दायर की परंतु मजिस्ट्रेट अदालत व उच्च न्यायालय ने उनके सभी याचिका को यह कहकर खारिज कर दिया कि अगर उन्हें जमानत दे दी जाती है, तो वह ना केवल फरार हो सकते हैं बल्कि सबूत में छेड़छाड़ करने की कोशिश भी कर सकते हैं|

चलिए अब बात करते हैं कि लंदन की स्थानीय अदालत ने उनके खिलाफ क्या फैसला सुनाया है।

अदालत ने नीरव मोदी के द्वारा दिए गए बेतुके तर्कों जैसे-कोरोना संक्रमण,खराब स्वास्थ्य,कमजोर साक्ष्य, भारत में न्याय नहीं मिल पाने की आशंका व भारतीय जेलों में खराब स्थिति का होना जैसे अन्य बेफिजूल के तर्कों को खारिज कर उसके भारत प्रत्यर्पण (Extradition/Extradicate) किए जाने को अपनी मंजूरी दे दी है। वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के जज ‘सैमुअल गूजी’ ने अपने फैसले को सुनाते हुए कहा कि भारत की न्यायपालिका निष्पक्ष है और यह पूरी तरह से स्पष्ट हो चुका है कि नीरव मोदी को भारत में कई सवालों के जवाब देने हैं। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि इस बात के कोई साक्ष्य प्रमाण मौजूद नहीं है कि अगर उन्हें भारत प्रत्यर्पण किया जाता है तो उनके साथ न्याय नहीं होगा। भारत की न्यायपालिका बिल्कुल निष्पक्ष है और मुझे पूरा विश्वास है कि वह नीरव मोदी के द्वारा किए गए कार्यों के लिए उसे दंड अवश्य देगा। इसके साथ ही लंदन कि स्थानीय कोर्ट ने नीरव मोदी को प्रत्यर्पण का आदेश देते हुए अपने फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने की मंजूरी भी दी है। कोर्ट के इस फैसले से नीरव मोदी को भारत वापस लाए जाने का रास्ता साफ हो चुका है परंतु अभी भी उनके तुरंत भारत वापस आने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं, क्योंकि कोर्ट के फैसले के बाद अभी भी नीरव मोदी के पास ऊपरी अदालत में जाने का एक विकल्प मौजूद है। कोर्ट ने नीरव मोदी को अपील के लिए 28 दिनों का वक्त दिया है। अगर हाईकोर्ट में उन्हें न्याय नहीं मिलता है तो वह मानवाधिकार कोर्ट में भी अपील कर सकते है। हालांकि अभी यह कह पाना मुश्किल है कि वह भारत वापस आएंगे या नहीं।

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