गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा

आज मानव चांद तक पहुंच गया है तथा विज्ञान ने मानव निर्मित उपग्रह भी बना लिए हैं और इस प्रकार के अन्वेषण अंतरिक्ष विज्ञान की बहुत सारी चीजों का ज्ञान करवाते हैं। सभी देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां विभिन्न प्रकार के ऐसे रिसर्च करते रहता है जो अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में उन्हें सशक्त बनाए तथा नए नए रहस्यों के बारे में जागरूकता हासिल कर सकें। विभिन्न देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों में नासा का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है। एक कार्यक्रम अभी कुछ समय पहले ही आरंभ हुआ जिसका नाम नासा का आर्टेमिस कार्यक्रम है तो आज हम नासा तथा नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम के बारे में पूर्ण जानकारी हासिल करेंगे।

नासा

इस कार्यक्रम के बारे में जानने से पहले हमें नासा के बारे में मूलभूत जानकारी ले लेना चाहिए। अगर हम नासा की बात करना चाहे तो नासा का पूर्ण रूप नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन है। जिस प्रकार से इसरो भारती अंतरिक्ष एजेंसी है उसी प्रकार से नासा अमेरिका की एक संस्था है जो अंतरिक्ष विज्ञान से संबंधित काम करती है। नासा द्वारा बहुत सारे उपग्रह और ग्रहों से संबंधित रिसर्च किया गया है और मानवनिर्मित उपग्रह भी स्थापित किया गया था।

आर्टेमिस कार्यक्रम

अगर हम सरल शब्दों में समझने का प्रयास करें तो आर्टेमिस कार्यक्रम अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा आरंभ किया गया है जिसका लक्ष्य चांद पर फिर से मनुष्य तथा रोबोट को भेजना है जो चांद पर जाकर चांद का अन्वेषण कर सकें तथा महत्वपूर्ण जानकारियां जुटा सकें।

आर्टेमिस में बिना ड्राइवर के अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में चंद्रमा पर भेजा जा रहा है। अगर यह आर्टेमिस कार्यक्रम सफल रहा तो 2024-25 में आर्टेमिस दो कार्यक्रम में मनुष्य को भी चंद्रमा पर भेजा जाएगा।

अमेरिका के साथ और कौन-कौन से देश शामिल हैं इस कार्यक्रम में?

यह एक विशालकाय कार्यक्रम है और जैसा कि हम सभी जानते हैं कि नासा को केवल अमेरिका का ही नहीं सम्पूर्ण विश्व का सबसे मजबूत अंतरिक्ष एजेंसी माना जाता है। ऐसे में इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अन्य देश भी अमेरिका के साथ लगे हुए हैं जिसमें यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, कनाडा की अंतरिक्ष एजेंसी और जापान एयर स्पेस एजेंसी आदि शामिल हैं।

आर्टेमिस कार्यक्रम का नाम कहां से लिया गया

पुरानी कहानी और कहावतों के अनुसार चांद की एक देवी थी जिसका नाम आर्टेमिस था। यह कार्यक्रम चांद पर जाकर रहस्य को जानने तथा वहां पर रिसर्च से संबंधित है इसलिए इस कार्यक्रम का नाम आर्टेमिस रखा गया है।

सबसे पहली बार चांद पर मानव अपोलो कार्यक्रम के दौरान 1972 में गया था। उसके बाद यह पहली बार होगा जब फिर से चांद पर मनुष्य जा रहे हैं।

क्यों है यह अपोलो से भी अलग?

यह कार्यक्रम अपोलो से अलग है क्योंकि अपोलो कार्यक्रम केवल चांद पर मनुष्य को भेजना और लघुकालीन रिसर्च आदि करना था परंतु आर्टेमिस कार्यक्रम का लक्ष्य चांद पर रिसर्च के बाद स्थाई और दीर्घकालिक रिसर्च एजेंसी स्थापित करना है।

क्या है अद्भुत इस कार्यक्रम में?

आपको जानकर बहुत आश्चर्य होगा कि इस कार्यक्रम के लिए ड्राइवर के स्थान पर तीन मनुष्य की तरह ही पुतले बनाए गए हैं जिनमें से दो औरतों तथा एक आदमी के पुतले हैं। इस वर्ष आर्टेमिस 1 के दौरान यह पुतले चंद्रमा का निरीक्षण करेंगे।

नासा से यह बात सामने आई है कि इस मिशन के सफल हो जाने के बाद आर्टेमिस दो और तीन भी लांच किए जाएंगे, जिसमें मनुष्य और महिलाओं को भी अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

कब होगा लॉन्च?

अगर हम आर्टेमिस वन की बात करें तो यह 29 अगस्त को ही लांच किया जाना था परंतु इंजन में किसी प्रकार की समस्या आने की वजह से यह लांच रूक गया।

उसके बाद बताया जा रहा था कि यह 3 सितंबर को भारतीय समय के अनुसार 11:47 मिनट पर लांच होने वाला था परंतु किसी प्रकार की समस्या आने की वजह से फिर से लांच रोक दिया गया है।

आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा तथा आपको आर्टेमिस मिशन के बारे में मूलभूत जानकारियां मिल गई होंगी। हम इसी प्रकार के ज्ञान – विज्ञान से संबंधित लेखों को लेकर फिर मिलेंगे।

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शीर्षक छवि स्रोत: nasa.gov