अभिषेक झा द्वारा लिखित – कक्षा 12 का छात्र

दशरथ मांझी एक गरीब मजदूर थे| जिनका जन्म 14,जनवरी 1929 को बिहार के गहलोर गांव में हुआ था|अब उन्हें ‘माउंटेन मैन’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने बिना किसी की मदद लिए छेनी और हथौड़ा के सहारे अकेले ही 360 फुट लंबी(110 मी•), 30 फुट चौड़ी(9.1 मी•) और 25 फुट ऊंचे पहाड़ को काटकर सड़क का निर्माण किया था| इनके ऊपर एक फिल्म भी बन चुकी है:-“द माउंटेन मैन” जो 21, अगस्त 2015 को रिलीज हुई थी|

बताया जाता है कि दशरथ मांझी काफी पिछड़े वर्ग से थे| उनको अपने जीवन में काफी संघर्ष करना पड़ा| उनका पूरा जीवन काफी कष्ट में गुजरा| यदि उन्हें किसी भी जरूरी काम से गांव से बाहर जाना होता तो, उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता| क्योंकि कहीं भी जाने के लिए सबसे पहले पहाड़ को पार करना पड़ता था, जिसमें काफी समय लग जाता|

उनके गांव में ना तो बिजली थी, ना ही पीने के लिए पानी की व्यवस्था| जिसकी वजह से उन्हें छोटी से छोटी जरूरत के लिए पूरे पहाड़ को पार करना पड़ता या फिर उसका पूरा चक्कर लगाकर जाना पड़ता था| जो कि बहुत मेहनत और थकाने वाला काम था, जिसमें काफी वक्त गुजर जाता|

दशरथ मांझी के मन में सड़क बनाने का ख्याल तब आया| जब उनकी पत्नी फाल्गुनी देवी की मृत्यु पहाड़ के दरों में गिरने से हो गई| जो उनको खाना देने के लिए गई थी|

उनकी पत्नी की मृत्यु की वजह सही समय पर दवा नहीं मिल पाने से हुई थी| क्योंकि अस्पताल बहुत दूर था, कहीं भी आने जाने का कोई साधन मौजूद नहीं था|

इस घटना के बाद दशरथ मांझी ने फैसला किया कि वह अकेले ही अपने दम पर पहाड़ के बीचो बीच से रास्ता निकालेंगे और गया के अत्री और वजीरगंज( जो बिहार में है) की दूरी को कम कर देंगे|

पहली बार जब उन्होंने सड़क बनाने का काम शुरू किया तो गांव के लोगों ने उनका काफी मजाक उड़ाया| लेकिन इन सब की बातों से उनका दृढ़ निश्चय और मजबूत होता चला गया| और उन्होंने अपना सपना पूरा करके दिखा दिया|

इस सड़क को बनाने में उन्होंने 22 साल की कड़ी मेहनत की| उनकी इस कोशिश ने गया के अत्री और वजीरगंज सेक्टर की दूरी को 55 किलोमीटर से 15 किलोमीटर कर दिया| इस कोशिश की वजह से ही गहलोर गांव के लोगों का जीवन बिल्कुल बदल गया और अब वहां आने-जाने का पूरा साधन मौजूद है|

आपको जानकर बेहद दुख होगा कि दिल्ली के एम्स अस्पताल में गॉल ब्लेडर के कैंसर से पीड़ित दशरथ मांझी का 78 साल की उम्र में 17,अगस्त 2007 को मृत्यु हो गई|

इससे हमें यह सीख मिलती है कि यदि हम किसी भी काम को अपने दिल से करने की ठान ले तो, वह काम अवश्य पूरा होता है|