कक्षा 11 की छात्रा

18 जुलाई 2020 को, 2500 – 3000 युवायों की भीड़ थायलैंड के बैंकॉक में डेमॉक्रसी इमारत के पास इकट्ठी हो गई, तीन उंगली दिखाती हुई जो कि मुक्ति का चिह्न है ।

एक महामारी के बीच में सार्वजनिक स्थान पर इतने सारे युवा क्यों इकट्ठे हो गए ? उसका कारण यह था कि थायलैंड में लोकतन्त्र समर्थक आंदोलन पिछले कुछ वर्षों में फिर से शुरू हो गया है । छोटे छोटे विरोध प्रदर्शन देश भर के शहरों और कस्बों में दर्ज़ होने लगे थे ।

कैसे और क्यों ये विरोध पैदा हुए ?

इस युवा विरोध के बहुत सारे कारण हैं । आर्थिक सुधार की कमी के कारण छात्रों और स्नातकों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है, और उनका कहना है कि सरकार आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए कुछ नहीं कर रही है । इसके अलावा, COVID-19 महामारी की वजह से हजारों लोगों की नौकरी चली गई है और थाई पर्यटन उद्योग भी पूरी तरह से टूट गया है । बैंक ऑफ थाईलैंड की भविष्यवाणी है कि थाई अर्थव्यवस्था में कम से कम 8% की गिरावट है, जो कि एशिया- प्रशांत क्षेत्र में सबसे खराब गिरावट है  ।

सरकार द्वारा महामारी को संभालने के लिए लगाए गए आपातकाल से ये हालात और भी बदतर हो गए हैं; जबकि यह एक ऐसा देश है जो महामारी से बहुत अच्छे से निबटा है (24 जुलाई तक, इनके बिना किसी स्थानीय प्रसारण के 60 दिन चले गए हैं), यह उम्मीद की जा रही है कि आपातकाल एक और महीने के लिए बढ़ाया जाएगा, जिसमें कोई सार्वजनिक सभा नहीं होगी, कोई घर से बाहर नहीं निकलेगा, और एक धारा के साथ जिससे ऐसी कोई खबर न फैले जिसकी वजह से कोई ‘सार्वजनिक डर’ फैले लोगों में । प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह राजनीतिक विरोध को दबाने के लिए किया जा रहा है।

2014 में प्रधान मंत्री चान-ओन्हा के सत्ता में आने से लोकतन्त्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर लगातार शिकंजा कसा जा रहा है, और सरकार पर कई अपहरण के आरोप भी लग चुके हैं । इस साल जून में यूनाइटेड फ्रंट फॉर डेमोक्रेसी अगेंस्ट डिक्टेटरशिप (जिसे रेड शर्ट के नाम से भी जाना जाता है जो वर्तमान के लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों से पहले थे) के सदस्य वांचलारम सत्सक्त जो कि विरोध प्रदर्शनों के लिए काफी ज़रूरी थे गायब हो गए ।

ऐसे ही एक उभरती हुई विपक्षी पार्टी, फ्यूचर फॉरवर्ड पार्टी का फरवरी 2020 में खतम कर देना सिर्फ चुनाव कदाचार पर । इन सबके विरोध में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए ।

थाई शासन का अतीत

1932 में पूर्ण राज-तंत्र के खतम होने के बाद से थाईलैंड में राजनीति अस्थिर रही है । 2014 में वर्तमान प्रधान मंत्री प्रयुथ चान-ओन्हा ने एक सैन्य तख्तापलट (यानी की एक सरकार से अचानक, हिंसक, और अवैध रूप से सत्ता की जब्ती) का नेतृत्व किया, जो कि 1932 के बाद से 12 वां सैन्य तख्तापलट था । उन्होने लोकतन्त्र और राजनीतिक स्थिरता लाने का वादा किया था । हालांकि, इन दावों के बजाय उन्होने संविधान को निलंबित किया, राजनीतिक समारोह को रोका और पूरे राष्ट्र में कर्फ्यू लगा दिया । जुलाई 2014 में, एक अंतरिम संविधान जारी कर दिया जिसने सारे अधिकार सेना को दे दिये ।

और इसके बाद एक ऐसा प्रशासन आया जो लोकतान्त्रिक स्वतन्त्रता के बिलकुल खिलाफ था । जब 2019 में चुनाव हुए (तख़्तापलट के बाद पहली बार), तो युवायों ने बड़ी संख्या में लोकतांत्रिक सुधार के लिए वोट दिये और मुख्य विपक्षी दल, फीयू थाई ने वोट जीता । फिर भी उन्हे नेता चुनने की अनुमति नहीं दी गई । इसकी बजाय, सेना ने 250 सदस्यीय सीनेट को चुना और फिर से चान-ओन्हा को प्रधान मंत्री बना दिया ।

युवा क्या चाहता है ?

उनकी तीन मुख्य मांगें हैं: प्रधान मंत्री का इस्तीफा, संविधान को फिर से लिखने के साथ साथ संसद को भंग (किसी सभा साझेदारी या आधिकारिक निकाय को औपचारिक रूप से समाप्त या खारिज करने की क्रिया) करना और उन न्यायिक धमकियों का अंत हो जो कार्यकर्तायों और आलोचकों को बोलने की स्वतन्त्रता नहीं देती ।

वे कब तक ये विरोध करेंगे ?

विरोध प्रदर्शन अब ऑनलाइन भी आ गया है, यहाँ के प्रदर्शनकारियों ने हाँग काँग के प्रदर्शनकारियों के साथ नफरत को जवाब देने के लिए टिवीटर पर हाथ मिला लिया है । विरोध प्रदर्शन धीमा होने के कोई आसार नहीं दिख रहे और इस पूरी महामारी में ये प्रदर्शन जारी रहेंगे ।