गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा

अभी विश्व कुछ समय पहले ही करोना महामारी से निकला है जिसमें लाखों लोगों की जाने गईं। आजकल कुछ नई बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं जो मानव और जीव-जंतुओं के लिए हानिप्रद हैं। इसी में कुछ दिनों पहले मोनकीपाक्स तथा टेमेटोपाक्स का प्रभाव देखने को मिला है। अभी कुछ दिनों पहले ही लंपी वायरस सामने आया जिसके कारण हजारों मवेशियों की जाने जा रही है। आज हम इस वायरस के बारे में जानकारी हासिल करेंगे।

लंपी वायरस क्या है?

चलिए पहले हम लंपी वायरस के बारे में जानते हैं। लंपी वायरस एक प्रकार की बीमारी है जो आजकल जानवरों में, मुख्य रूप से गायों में अधिक फैल रही है। इस बीमारी में मवेशियों के शरीर में और त्वचा में गठिया बन जाता है इसलिए इसे गांठ की बीमारी भी कहते हैं। इसे अंग्रेजी में एलएसडीवी‌ के नाम से जाना जाता है और अभी तक हमारे पास इसके लिए कोई एंटीबायोटिक भी मौजूद नहीं है।

लंपी वायरस कैसे फैलता है?

जैसे की हम सभी जानते हैं कि विभिन्न बीमारियों के संक्रमण के अलग अलग माध्यम होते हैं, उसी प्रकार लंपी वायरस भी फैलने वाली बीमारी है जिसके संक्रमण के भी कुछ विशेष माध्यम हैं जिसमें एक बीमार मवेशी के संपर्क में आने पर अन्य मवेशी को भी यह बीमारी हो जाती है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि मवेशियों में लंपी वायरस का संक्रमण मच्छरों तथा अन्य उड़ने वाले कीटों द्वारा भी होता है जिसमें अगर कोई संक्रमित कीट संक्रमित जंतु को काटने के बाद स्वस्थ्य जीव को काटता है तो उसे भी लंपी वायरस हो जाता है।

लंपी वायरस के लक्षण

लंपी वायरस से जीवों को बचाने के लिए आवश्यक है कि लंपी वायरस के लक्षणों के बारे में जानकारी हो क्योंकि एक मवेशी की जान जाना एक किसान परिवार के लिए बहुत बड़ी हानि हो सकती है। लंपी वायरस के प्रमुख लक्षण इस प्रकार है:-

  • लंपी वायरस से ग्रसित होने के बाद पशु को तेज बुखार आने लगता है अर्थात उसका शरीर गर्म होता है।
  • मवेशियों के आंखों से पानी आने लगता है।
  • लंपी वायरस वाले पशु के वजन में धीरे-धीरे कमी आने लगती है तथा वह कमजोर लगने लगता है।
  • कुछ समय के बाद पशु दूध देना कम कर देता है तथा उसे भूख भी कम लगने लगती है।
  • लंपी वायरस से पीड़ित पशु और मवेशियों  के शरीर और त्वचा पर गांठ होने लगते हैं।

लंपी वायरस से बचाव

जैसा कि हम सभी सुनते आए हैं कि “उपचार से बढ़िया है बचाव” इसीलिए किसी भी बीमारी से ग्रस्त होकर, उसके उपचार से बेहतर है कि हम पहले ही बचाव के उपाय अपनाएं।

हमने लंपी वायरस के लक्षणों के बारे में जानकारी हासिल की। अब हम बचाव के उपायों को जानते हैं जो हमे बता सकता है कि पशु को लंपी वायरस है या नहीं। लंपी वायरस से बचाव के लिए कुछ सावधानियां आवश्यक हैं:-

  • पशु के रहने की जगह को साफ सुथरा तथा कीटनाशकमुक्त रखें।
  • अगर कोई पशु संक्रमित है तो उसे अन्य पशुओं से अलग रखें।
  • मच्छर  तथा उड़ने वाले कीड़ों से बचने के लिए स्प्रे का प्रयोग करें।
  • संक्रमित पशु को दवा डाक्टर की सलाह से ही दें तथा गोटपाक्स का इंजेक्शन लग।

2022 में लंपी का कहर

भारत में 2019 में लंपी वायरस फैला था परंतु उसका इतना विशाल प्रभाव नहीं था परंतु इस बार 2022 में लंपी वायरस अपना कहर फिर से दिखा रहा है और हमारे पास उससे बचने के लिए किसी प्रकार की भी एंटीबायोटिक या इंजेक्शन मौजूद नहीं है।

सम्पूर्ण भारत में लंपी वायरस की वजह से बड़ी संख्या में मवेशियों की जाने जा रही है और सबसे अधिक राजस्थान के किसानों को हानि हो रही है क्योंकि राजस्थान में इस बीमारी से अभी तक लगभग हजारों मवेशियों की जान जा चुकी है।

आशा है आपको ये लेख पसंद आया होगा। यह लेख वर्तमान में मौजूद एंटीवायरस के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने तथा मवेशियों को बचाने के उद्देश्य को प्रेरित करता है। हम इसी प्रकार से जानकारीपूर्ण तथा नैतिकता से भरे लेखों के साथ मिलते रहेंगे।

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