अभिषेक झा द्वारा लिखित, कक्षा 12 का छात्र

डॉ. वर्गीज कुरियन एक सुप्रसिद्ध भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता व उद्यमी थे। उनका जन्म 26 नवंबर,1921 को कोझीकोड, केरल में हुआ था। उनके पिता केरल के कोचीन में एक सिविल सर्जन थे। उन्होंने साल 1940 में चेन्नई के लोयला कॉलेज से भौतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की और फिर उसके बाद उन्होंने चेन्नई के ही जीसी इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री भी हासिल की। इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद डॉ वर्गीज कुरियन ने कुछ समय तक जमशेदपुर के टिस्को में काम किया। साथ ही आपको बता दें कि साल 1965 से साल 1998 तक वह (डॉ वर्गीज कुरियन) राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के संस्थापक अध्यक्ष भी बने रहे। उनको भारतीय श्वेत क्रांति का जनक और मिल्क मैन ऑफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने न केवल भारत को विश्व के सबसे बड़े दूध उत्पादक के रूप में उभरने का मौका दिया बल्कि उन्होंने भारत को विश्व के सबसे बड़े दूध उत्पादक का केंद्र बनाने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

साथ ही साल 1970 के दशक में उन्होंने ‘ऑपरेशन फ्लड’ के नाम से एक परियोजना की शुरुआत की। जिसका मुख्य उद्देश्य दूध के उत्पादन को बढ़ाने के साथ-साथ भारत को दूध के उत्पादन के क्षेत्र में सबसे आगे बढ़ाना था। आपको बता दें कि ऑपरेशन फ्लड न केवल भारत के सबसे बड़े ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम के रूप में उभरा बल्कि इसने डेरी विकास के संस्थागत, तकनीकी व आर्थिक, औद्योगिक एवं सामाजिक गतिविधियों में रोजगार के नए आयाम भी खोलें। जिससे लोगों की जिंदगी में काफी हद तक सुधार हुआ। उन्होंने अपने जीवन की उड़ान यहीं तक नहीं भरी बल्कि उनका सपना देश को दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ किसानों की दशा में भी सुधार करना था।

डॉ वर्गीज कुरियन ने साल 1955 में उस काम को कर दिखाया जिसका पूरा होना असंभव था। उनके द्वारा किए गए अथक (अनेक) प्रयासों की वजह से ही पहली बार साल 1955 में भैंस के दूध का पाउडर बनाने की तकनीक को सफलतापूर्वक विकसित किया गया और इसके प्लांट को अक्टूबर 1955 में गुजरात के ‘कैरा डेयरी’ में लगाया गया। अमूल की इस सफलता को देखकर उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने साल 1965 में अमूल मॉडल को देश के कोने-कोने में पहुंचाने के लिए “राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड” यानी “एनडीडीबी” का गठन किया। साथ ही उन्होंने डॉ. वर्गीज कुरियन को एनडीडीबी के मुख्य अध्यक्ष के रूप में भी चुना। इसके साथ ही डॉ वर्गीज कुरियन ने साल 1979 में ‘धारा’ परियोजना की भी शुरुआत की। जिसका मुख्य उद्देश्य तेल की कीमतों में स्थिरता लाना, खाद आयतों पर भारत की निर्भरता को कम करना एवं उत्पादन में वृद्धि के लिए तिलहन उत्पादकों को प्रोत्साहित करना था।

डॉ वर्गीज कुरियन को उनके द्वारा किए गए सुप्रसिद्ध कार्यों के लिए अनेक पुरस्कारों एवं सम्मानों से भी नवाजा गया। जैसे- 

  • साल 1963 में रमन मैग्सेसे पुरस्कार फाउंडेशन के द्वारा ‘रमन मैग्सेसे पुरस्कार’
  • साल 1965 में भारत सरकार के द्वारा ‘पदम श्री’
  • साल 1966 में भारत सरकार के द्वारा ‘पदम भूषण’
  • साल 1986 में भारत सरकार के द्वारा ‘कृषि रत्न’ पुरस्कार
  • साल 1986 में ही कार्नेगी फाउंडेशन के द्वारा ‘वाटलर शांति पुरस्कार’
  • साल 1989 में वर्ल्ड फूड प्राइज फाउंडेशन के द्वारा ‘वर्ल्ड फूड प्राइज’
  • साल 1993 में वर्ल्ड डैरी एक्सपो के द्वारा ‘इंटरनेशनल पर्सन ऑफ द ईयर’ का पुरस्कार
  • साल 1999 में भारत सरकार के द्वारा ‘पदम विभूषण’ जैसे अन्य पुरस्कारों एवं सम्मानो से उन्हें सम्मानित किया गया

आपको जानकर बेहद दुख होगा कि 9 सितंबर, 2012 को ‘मिल्क मैन ऑफ इंडिया’‘श्वेत क्रांति’ के जनक के नाम से जाने जाने वाले डॉ.वर्गीज कुरियन का 90 साल की उम्र में गुजरात के नाडियाड में निधन हो गया।