अनु द्वारा लिखित, 22 साल की छात्रा

जैसिंडा अर्डर्न शायद हम सभी इस नाम से परिचित नहीं होंगे पर यह नाम एक बहुत ही बड़ा नाम है। जैसिंडा अर्डर्न न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री हैं। न्यूज़ीलैंड एक छोटा सा देश हो सकता है लेकिन आज पूरा विश्व जिस कोरोना महामारी से झूझ रहा है उस महामारी को पीछे छोड़ देने वाला यह पहला देश बन गया है। और इसके लिए न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न की जितनी तारीफ की जाये शायद उतना कम हो।

जैसिंडा अर्डर्न ने न्यूज़ीलैंड के लिये कई बेहतरीन फैसले लिये

जैसिंडा अर्डर्न 2017 में न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री बनी। उन्होंने कई बड़े फैसले न्यूज़ीलैंड के लिये किये जो कि उनके हित में काफी बेहतर साबित हुए। जैसिंडा अर्डर्न का नाम सबसे बढ़कर तब सामने आया जब वे कोरोना को पीछे छोड़ने में सक्षम हुई।

 न्यूज़ीलैंड एक विकसित देश है। अगर हम भारत और न्यूज़ीलैंड के राजनीतिक रिश्तों को देखें तो यह भी काफी अच्छे हैं। जैसिंडा से पहले के भी जो प्रधानमंत्री रहे, उनके दौर में भी रिश्ते काफी अच्छे रहे और अब जैसिंडा की लीडरशिप में भी ये काफी अच्छे हैं।

जैसिंडा अर्डर्न के राजनीतिक कदम

जैसिंडा व्यक्तिगत रूप से एक सहनशील और समाज से जुड़ी व्यक्ति हैं। वह LGBTQ समूह से भी जुड़ी हुई हैं उनके अधिकारों के लिये भी वह आगे आई हैं। वह न्यूज़ीलैंड में बाल श्रमिकों को मुक्ति दिलाने एवं बेघर लोगों के लिये भी काम कर रही हैं। मौसम परिवर्तन, ऋतु परिवर्तन और क्लाईमेटिक बदलाव के लिये भी वे आगे आई एवं उनका कहना है कि “भविष्य में यह सभी देशों के लिये एक खतरा है इसलिए यह ज़रूरी है कि हम सब इस पर ध्यान दें”।  संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के राष्ट्रपति को विश्व का सबसे ताकतवर इंसान माना जाता है। जहाँ एक ओर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कट्टर राष्ट्रवादी थे और व्हाइटस् के अधिकारों की माँग करते थे, वहीं दूसरी ओर जेसिंडा पितृसत्तातमक समाज से एक दम अलग बात करती हैं।  

कोरोना से पहले जैसिंडा अर्डर्न की राजनीतिक पार्टी के हालात

फरवरी 2020 तक के प्रचार से लग रहा था की जेसिंडा चुनाव हार सकती हैं क्योंकि उन्होंने अपने कई सारे वादों को पूरा नहीं किया जोकि गरीबी, सामाजिक मतभेद और बालश्रम से जुड़े हुए हैं। न्यूज़ीलैंड में कई ऐसे लोग हैं जो जैसिंडा के LGBTQ के समर्थन और रंगभेद की नीति से विचलित थे। ऐसा देखा जा रहा था कि उनकी विपक्षी पार्टी ‘नेशनल पार्टी’ शायद सरकार बना ले। यह सब कोरोना महामारी से पहले की बात रही।

कोरोना को भगाने में जेसिंडा की अहम भूमिका

उनकी सरकार द्वारा कोरोना महामारी को भगाने के लिये जो प्रयास किये गये उसने लोगों का नज़रिया बदल दिया। उनके सभी वोट मिलाकर 60.9% का मत बनता है जो कि सबसे ज्यादा है। न्यूज़ीलैंड की संसद में ऐसा 24 साल के बाद पहली बार हुआ। आज पूरा विश्व कोरोना महामारी से जंग में शामिल है पर इस वक़्त न्यूज़ीलैंड में सिर्फ 2000 केस सामने आये जिसमें सिर्फ़ 25 लोगों की मृत्यु हुई। यह विश्व के किसी भी देश के मुकाबले बहुत कम आंकड़े हैं। हमें जैसिंडा अर्डर्न जैसे और भी नेताओं की जरूरत है जो कोई भी फैसला लेने से हिचकिचाते नहीं हैं और अपने काम के प्रति प्रतिबद्ध हैं।

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