जादव “मोलाई” पायेंग, जिन्होंने बेजुबान जानवरों के लिए लगभग 1360 एकड़ बंजर भूमि को एक हरे भरे जंगल में बदल दिया। उनकी 42 वर्षों की कड़ी मेहनत व परिश्रम से, उनहोंने एक ऐसी भूमि जिस पर सिर्फ रेत ही रेत थी, उस पर लाखों पेड़ पौधों को लगाकर, मानो चमत्कार कर दिया हो।

जादव पायेंग का जन्म 1963 में असम में हुआ। जादव पेलांग ने 1979 में असम में एक भयंकर बाढ़ का सामना किया। इस बाढ़ ने उनके निवास स्थान के आसपास बहुत तबाही मचाई थी। एक दिन वे स्कूल से ब्रह्मपुत्र नदी स्तिथ द्वीप अरुणा सोपारी लौट रहे थे, उन्होंनें रेतीली और बंजर भूमि पर साँपों को मरते देखा क्योकिं बाढ़ ने उनसे उनका घर छीन लिया था। जादव पेलांग को यह सब देखकर बहुत दुख पहुँचा। उनहोंने फैसला किया कि वो इन सब बेजुबान जीव जंतुओं के लिए उनका घर (जंगल) बनाएँगे। उन्होनें वन विभाग से जंगल बनाने के लिए भूमि माँगी। वन विभाग ने और बहुत सारे लोगों ने उनसे कहा कि यह भूमि बंजर है, यहाँ पेड़ पौधे नहीं लगाए जा सकते है। परन्तु जादव पेलांग ने दृढ़ निश्चय किया कि वे इस बंजर भूमि को एक हरे भरे जंगल में बदलेंगे।

उन्होंने पेड़ पौधे लगाने के सिलसिले में गाँव वालों की सलाह से, इस भूमि पर 50 बाँस के वृक्ष लगाए। उन्होने इन वृक्षों की देखरेख की और लगातर उनकों पानी देते रहे। उनकी मेहनत ने एक सैंडबार भूमि को हरे भरे जंगल में बदल दिया। बंजर भूमि (सैंडबार) को  उपजाऊ भूमि बनाने के लिए लाल चीटियों को इक्कठी कर कीचड़ मिट्टी में छोड़ दिया। उनके विभिन्न प्रयासों की मेहनत ने सैंडबार भूमि को जंगल में बदल दिया। उनके प्रयासों की वजह से ही विभिन्न ऐसी प्रजातियाँ जीव जंतुओं की जो लुप्त हो रही थी, आज विलुप्त होने से बची हैं। उनके जंगल में एक सींग वाला गैंडा और रॉयल बंगाल टाइगर भी पाए जाते हैं। उनके जंगल में देश में पाए जाने वाली 80 प्रतिशत पक्षियों की प्रजातियों का बसेरा है।

2012 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में, उन्हें जे एन यू के कुलपति ने उन्हें ‘फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया ‘का खिताब दिया।

यह जंगल मोजुली द्वीप पर स्तिथ है, और उनसे प्रेरित होकर इस वन का नाम मोलाई वन रख दिया गया है। 2015 में जादव पायेंग को भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

जादव पायेंग का सपना अभी और 2000 एकड़ भूमि पर जंगल बनाना है। जादव पायेंग हम सबके लिए एक मिसांल है, कि अगर इरादे नेक हों और मन में दृढ़ निश्चय हो तो व्यक्ति नामुमकिन को भी मुमकिन बना सकता है। हम सबको उनसे सीख लेकर अपनी प्रकृति को बचाने के लिए आगे आकर अपना योगदान देना चाहिए।   

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