श्वेता बंसल द्वारा लिखित

थ्वेट्स हिमानी (Thwaites Glacier) 1.9 लाख sq. km – एक अत्यंत चौड़ी और तेज गति से बहने वाली हिमानी है, जो पश्चिम अंटार्टिका की पाइन आइलैंड खाड़ी में बहती है। यह आकार में लगभग ब्रिटेन जितनी है। यह हिमानी दुनिया के समुद्र स्तर को बढ़ाने में अकेले ही 4 प्रतिशत का सहयोग करती है, जो की एक ग्लेशियर के लिए बहुत बड़ी मात्रा है, और वैज्ञानिकों की मानें तो यह अनुमानित से ज्यादा गति से पिघल रही है। समुद्र के समीप कई द्वीपों को इसमें डूबने का खतरा है। इस हिमानी की पूरी तरह पिघल जाने से जो भयावह खतरा दुनिया पर आ सकता है उसको देखते हुए वैज्ञानिक इसे “डूम्स डे ग्लेशियर” के नाम से भी बुलाते हैं। “डूम्स डे” का मतलब होता है – ‘आखिरी दिन’।

वैज्ञानिकों की मानें तो पिछले 30 साल में इस ग्लेशियर के पिघलने की दर दोगुनी हो गई है। इसमें से लगातार बर्फ की बड़ी-बड़ी चट्टानें टूट रही हैं, और पिघल कर समुद्र का स्तर तेजी से बढ़ा रही हैं, जिसकी वजह से पूरी दुनिया के तटीय इलाकों को खतरा पैदा हो गया है।  इसकी तीव्र गति से पिघलने से समुद्र में जल का स्तर 2 से 5 फुट तक बढ़ सकता है, जिसके कारण तटीय इलाकों के पास रह रही लगभग 9 करोड़ की आबादी को पलायन करना पड़ सकता है, जो की दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही बुरा होगा क्योंकि पहले से ही बढ़ रही जनसंख्या के कारण संसाधनों की भारी कमी होती जा रही है।

हाल ही में स्वीडन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने बताया है – इस ग्लेशियर में गर्म पानी की आपूर्ति पहले की तुलना में काफी बढ़ गई है, जिसके कारण अब ये और तेजी से पिघल रहा है। अध्ययन से पता चला है कि गर्म पानी चारों तरफ से ग्लेशियर के पिनिंग बिंदु तक पहुंच रहा है, जिसका असर बर्फ की चादरों पर पड़ रहा है। यह थ्वाइट्स की स्थिति को और गंभीर और चिंताजनक बना रहा है।

मौसमी बदलावों, बढ़ती आबादी और बढ़ते तापमान के कारण अनेक ग्लेशियर पिघल रहे हैं, जो दुनिया भर के लिए एक चिंता का विषय बना हुआ है। इन पिघलते ग्लेशियरों को तबाही मचाने से क्या रोका जा सकता है – दुनिया भर के वैज्ञानिक इस विषय पर शोध कर रहे हैं-जिसके तहत वैज्ञानिकों ने एक तकनीक खोज निकाली है, इसके चलते ग्लेशियर पिघलने से हो रहे भारी नुकसान को बचाया जा सकता है। इस तकनीक के तहत एक सुरक्षा कवच बनाने की तैयारी की जा रही है – सुरक्षा कवच मतलब 980 फीट ऊंची एक धातु की दीवार जो पहाड़ के नीचे मौजूद गर्म पानी को ग्लेशियर तक नहीं पहुंचने देगी- जिससे बड़ी-बड़ी बर्फ की चट्टाने टूटकर समुद्र में नहीं गिरेगी, और इस तरह समुद्र के बढ़ते जलस्तर को रोकने में हमारी मदद भी करेगी। इस धातु की दीवार को बनाने में अरबों रुपया खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

ग्लोबल वार्मिंग से हो रहे प्राकृतिक बदलावों से बचने का अब मात्र एक उपाय ही नजर आता है – आप प्रकृति को बचाए, प्रकृति अपने आप को और हम सबको स्वयं बचाएगी। यह करने के कुछ उपाय –

– पेड़ लगाएं

– अक्षय ऊर्जा (Renewable Energy) को बढ़ावा दें जैसे सौर ऊर्जा

– पानी की बर्बादी कम करें

– जनसंख्या पर नियंत्रण

– शाकाहारी भोजन अपनाएं

इससे पहले हम प्रकृति को और खुद को बर्बादी के ऐसे बवंडर में फंसा ले जहाँ से निकलना नामुमकिन हो जाए – यही वक्त है जागो और आने वाले अनदेखे और भयावह विपत्तियों से ना केवल स्वयं को और प्रकृति को बल्कि आने वाली नस्ल को भी बचाओ।

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