जयराज और फेनिक्स कौन थे? उनके साथ क्या हुआ था?
19 जून को, तमिलनाडु के थौथुकुडी जिले में लगभग 9:15 बजे, सथनकुलम पुलिस के अधिकारी गश्त पर थे, उन्होंने एक साधारण मध्यम वर्ग के दुकानदार जयराज को पकड़ लिया…
19 जून को, तमिलनाडु के थौथुकुडी जिले में लगभग 9:15 बजे, सथनकुलम पुलिस के अधिकारी गश्त पर थे, उन्होंने एक साधारण मध्यम वर्ग के दुकानदार जयराज को पकड़ लिया…
कक्षा 11 की छात्रा द्वारा लिखित
19 जून को, तमिलनाडु के थौथुकुडी जिले में लगभग 9:15 बजे, सथनकुलम पुलिस के अधिकारी गश्त पर थे, उन्होंने एक साधारण मध्यम वर्ग के दुकानदार जयराज को पकड़ लिया…
“आपके जीवन का क्या मोल है?”
“15 मिनट” जयराज और फेनिक्स ने कहा।
19 जून को, तमिलनाडु के थौथुकुडी जिले में लगभग 9:15 बजे, सथनकुलम पुलिस के अधिकारी गश्त पर थे, उन्होंने एक साधारण मध्यम वर्ग के दुकानदार जयराज को पकड़ लिया । जयराज को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि उसने कर्फ़्यू का समय पार कर लिया था और अपना मोबाइल स्टोर 15 मिनट देरी से बंद किया था । अगले दिन जयराज के बेटे फेनिक्स को भी गिरफ्तार कर लिया गया जब वो अपने पिता के बारे में पूछने गया । दोनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (जनता के सेवक द्वारा घोषित आदेश का पालन ना करना), 353 (ड्यूटी से जनता के सेवक को हटाने के लिए बल का उपयोग करना), 269 (लापरवाही से जीवन के लिए खतरनाक बीमारी को फैलाने की संभावना), और 506 (2) (आपराधिक धमकी के लिए सजा) के तहत बुक किया गया था । 2 दिनों के बाद दोनों बाप बेटे की म्रत्यु हो गई और मरने का कारण दिल का दौरा और बुखार बताया गया । ये दो दिनों की कैद जयराज और फेनिक्स के लिए सबसे दर्दनायक रही होगी ।
मरने वालों के परिवार के सदस्यों ने कहा कि इन दो दिन, उन्हें जयराज और फेनिक्स के खून से लथपथ कपड़े मिले और उनसे नए जोड़े कपड़े देने के लिए कहा गया बिना किसी सवाल जवाब के । ऐसा तीन बार हुआ । गवाहों का कहना है कि अस्पताल ले जाने से पहले उन्हे बेरहमी से मारा गया था, हालांकि चिकित्सा कर्मियों ने ऐसे किसी भी दावे से इंकार किया । पुलिस ने दोनों लोगों पर काफी अत्याचार किया और उनका यौन उत्पीड़न भी किया । फेनिक्स के वकील जो स्टेशन में थे उन्होने भी दावा किया कि मार पीट हुई थी ।
सरकारी खातों द्वारा बताई गई बातों को देखें तो उनमें भी फर्क दिखा और ऐसा लगा जैसे कहानियाँ बनाई गई हैं ।
जयराज और फेनिक्स की संदिग्ध मौत के बाद, तमिलनाडु की सड़कों पर पुलिस की बर्बरता के विरोध में प्रदर्शन हुए । उन दोनों की हत्या के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराया गया और न्याय की मांग की गई। अधिकारियों ने प्रदर्शन के चलते सथनकुलम पुलिस स्टेशन में चार पुलिसकर्मियों (दो एसआई और दो कांस्टेबल) को निलंबित और इंस्पेक्टर इंचार्ग का तबादला कर दिया । अगर न्यायिक व्यवस्था को यह न्याय लगता है तो मैं माफी चाहती हूँ कि यह भारतीय नागरिकों की सुरक्षा करने के कर्तव्य में असफल रहा है ।
बॉलीवुड ने भी इसमें अपना हिस्सा निभा रखा है, पुलिस की बर्बरता को बुरे लोगों के खिलाफ सही दिखा कर । मेरे ख्याल से फिल्म निर्माताओं को एक बार सोचना चाहिए कि उनकी फिल्मों का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है । कानून को अपने हाथ में लेकर पुलिस केवल अन्याय का काम करती है । दोषी साबित होने तक हर आदमी निर्दोष होता है । उनसे न्याय का ये मौका छीन लेने का हक़ पुलिस को नहीं मिलना चाहिए ।
जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या ने जातिवाद के खिलाफ दुनिया को एकजुट किया । यह पुलिस की बर्बरता और न्यायिक व्यवस्था की अक्षमता के खिलाफ लड़ाई थी । लेकिन यह लड़ाई अभी ख़तम नहीं हुई । जयराज और फेनिक्स उन लोगों की लंबी सूची का हिस्सा बन गए हैं, जिनका जीवन एक ऐसे लोगों के हाथों समाप्त हो गया, जिन्हें उनकी रक्षा करनी चाहिए थी । यह पुलिस बल की जवाबदेही की कमी है जो उन्हें इतना खतरनाक बना देती है । हम पुलिस के खिलाफ नहीं हैं; हम पुलिस की बर्बरता के खिलाफ हैं ।
मार्गरेट जे व्हीटली ने कहा है, “किसी समुदाय के लिए इससे बड़ी कोई शक्ति नहीं हो सकती जो ये जान जाये कि वो किसकी परवाह करते हैं” और हम मानव जीवन की परवाह करते हैं ।