कक्षा 8 की छात्र द्वारा लिखित

प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल कोविड-19 के गंभीर रोगियों का इलाज करने में किया जा रहा है । इस थेरेपी में, डॉक्टर उन रोगियों से प्लाज्मा (खून में पाया जाने वाला एक तरल पदार्थ) लेते हैं जो कोरोनावाइरस  से ठीक हो चुके हैं और उन रोगियों को देते हैं जो अभी भी इससे पीड़ित हैं..

जैसा कि आप सभी को पता है, पिछले कुछ महीनो से दुनिया एक बहुत ही खतरनाक कोरोनावाइरस से लड़ रहा है । वैज्ञानिक इससे ठीक होने के लिए नए उपचार और तरीके खोज रहे हैं । उन उपचारों में से अभी जो सबसे अच्छा काम कर रहा है वो है प्लाज्मा थेरेपी ।

प्लाज्मा थेरेपी क्या है?

प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल कोविड-19 के गंभीर रोगियों का इलाज करने में किया जा रहा है । इस थेरेपी में, डॉक्टर उन रोगियों से प्लाज्मा (खून में पाया जाने वाला एक तरल पदार्थ) लेते हैं जो कोरोनावाइरस से ठीक हो चुके हैं और उन रोगियों को देते हैं जो अभी भी इससे पीड़ित हैं । यह रोगी के शरीर में एंटीबॉडी बनाता है । एंटीबॉडी एक तरह के प्रोटीन हैं जो हमारा शरीर बनाता है वाइरस (बैक्टीरिया आदि) के नुकसान से बचाने के लिए ।

प्लाज्मा थेरेपी कब शुरू की गई थी?

प्लाज्मा थेरेपी पहली बार 19 वीं शताब्दी में शुरू की गई थी जब एमिल वॉन बेह्रिंग नामक एक फिजियोलॉजिस्ट और कितासो शिबासाबुरू नाम के एक जीवाणु वैज्ञानिक ने पाया था कि सीरम (एक अन्य खून का भाग) में पाई जाने वाली एंटीबॉडी, डिपथीरिया नामक बैक्टीरियल संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकती है । तब से डॉक्टर इसका इस्तेमाल बैक्टीरियल और वायरल संक्रमणों के इलाज और रोकथाम के लिए कर रहे हैं । हाल ही में स्वास्थ्यकर्मी और खोज करने वाले लोग इसका उपयोग साँस की बीमारी SARS-CoV-2 वायरस के इलाज के लिए कर रहे हैं ।

आइए उम्मीद करते हैं कि ये थेरेपी काम करे और रोगियों की संख्या कम हो ।