प्राची द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा

आपने चे ग्वेरा का चित्र दीवारों पर, टी शर्ट पर, झंडो पर देखा होगा। युवाओं के बीच में यह चित्र काफ़ी प्रचलित है। आखिर कौन थे चे ग्वेरा? क्यों चे ग्वेरा इतने प्रसिद्ध हैं? उन्होने ऐसा क्या किया था कि वे वामपंथी विचारधारा और क्रांति का चेहरा बन गए? आइए जानते हैं चे ग्वेरा के बारे में ।

कौन थे चे ग्वेरा?

चे ग्वेरा एक महान क्रांतिकारी, गुरिल्ला नेता, डॉक्टर, लेखक और समाजिक सिध्दान्तकार थे। उनका जन्म 14 जून 1929 में अर्जेंटीना के रोजारिया नामक स्थान पर हुआ था। उनका पूरा नाम अर्नेस्टो डी ला सरेना था। उन्हें पढ़ने का बहुत शौक था इसलिए उन्होने लेनिन, मार्क्स और गाँधी सबके बारे में पढ़ा। वे बहुत ही ज्ञानी व्यक्ति थे। उनका सपना डॉक्टर बनकर लोगों की मेडिकल के जरिए मदद करना और अपना जीवन चिकित्सा को समर्पित करना था।

अपनी मेडिकल की शिक्षा के दौरान उन्होँने पूरे दक्षिण अमरीका की यात्रा अपनी मोटरसाइकिल से की। उन्होंने पाया कि पूंजीवाद (Capitalism) की वजह से गरीब किसान व मजदूर बहुत परेशान है, उनके पास ओढ़ने के लिए चादर तक नही है। उन्होंने फैसला किया कि वे उन सभी देशों की सहायता करेगें जो अपनी आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे है।

क्यूबा की क्रांति के नायक

क्यूबा एक बहुत छोटा सा देश है। 1902 मे क्यूबा को स्पेन के औपनिवेशिक वाद से आज़ादी मिली। लेकिन क्यूबा पर अनौपचारिक रूप से अमेरिका का ही शासन रहा। अमेरिका ही वहाँ की सेना, सरकार और अर्थवयवस्था पर अपना नियंत्रण रखता रहा। सन् 1940 से 1945 तक बतिस्ता क्यूबा के राष्ट्रपति रहे। उन्हें अमेरिका का पूरा समर्थन था लेकिन 1952-1959 तक क्यूबा में बतिस्ता का तानाशाह शासन रहा। बतिस्ता की सरकार में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और शोषण हुआ। उनकी सरकार के खिलाफ लोगों में आक्रोश था। यही समय था जब 1954 मे चे ग्वेरा की मुलाकात मेक्सिको में फिदेल कास्त्रो और उनके भाई राऊल कास्त्रो से हुई और उन्होने बतिस्ता के खिलाफ क्रांति करने का निर्णय लिया।

इसके बाद क्यूबा ने बतिस्ता के खिलाफ़ गुरिल्ला युद्ध शुरू किया। इसी दौरान चे ग्वेरा ने जंगलों में छोटे छोटे स्कूल खोले और वहाँ के लोगों को शिक्षा दी। सन् 1959 में बतिस्ता क्यूबा छोड़कर भाग गया और सरकार फिदेल कास्त्रो और चे ग्वेरा के हाथों में आ गई। फिदेल कास्त्रो क्यूबा के राष्ट्रपति बने और चे ग्वेरा को ला कबाना फोरट्रैस जेल का इंचार्ज बना दिया गया और उन लोगों को खत्म कर दिया गया जो बतिस्ता के सहयोगी थे ।

चे ग्वेरा क्यूबा में सुधार और विकास लाना चाहते थे।1961 को “Year of Education” घोषित किया गया। 1959 तक क्यूबा की साक्षरता दर (literacy rate) 60-76% थी। उनके इस प्रोग्राम के कारण, वर्ष की समाप्ति तक क्यूबा की साक्षरता दर 96% पहुँच गयी थी। चे ग्वेरा सदैव ही शिक्षा पर जोर देते थे। इसके बाद उन्हें क्यूबा राष्ट्रीय बैंक का अध्यक्ष बनाया गया। अमेरिका चे ग्वेरा और फिदेल कास्त्रो को अपना दुश्मन मानता था, इसलिए अमेरिका और क्यूबा के आर्थिक लेन देन व व्यापार संबंध समाप्त हो गए। फिदेल कास्त्रो की मार्क्सवादी विचारधारा होने के कारण क्यूबा के सम्बन्ध सोवियत संघ के साथ स्थापित हुए। 3 साल बाद उन्हें उद्योग मंत्री बनाया गया, पर उन्होंने इस्तीफा दे दिया क्योकिं चे ग्वेरा अपनी क्रांति की विचारधारा को सिर्फ क्यूबा तक सीमित नहीं रखना चाहते थे, वे उन देशों की सहायता करना चाहते थे जो अपनी आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

चे ग्वेरा का अंत पर विचारधारा का नहीं

चे ग्वेरा ने कोन्गो और बोलिविया जाकर वहाँ के लोगों को गुरिल्ला युद्ध का सैन्य प्रशिक्षण दिया।

1966 में चे ग्वेरा बोलिविया में लोगों की सहायता के लिए वहाँ गए। परन्तु यह उनकी आखिरी यात्रा साबित हुई। सेना ने उन्हें पकड़ लिया और उनकी गोली मारकर हत्या कर दी। ऐसा माना जाता है कि उनकी हत्या के पीछे अमेरिकी सी आई ए का हाथ था।

उनकी मृत्यु के बाद उन्हें क्यूबा में शहीद का सम्मान दिया गया

चे ग्वेरा: एक विचारधारा

चे ग्वेरा ने 19 अगस्त 1960 को कहा था – “अन्य सभी लोगों की तरह मैं भी सफ़ल होना चाहता था, मैनें लोगों के कल्याण और मानवता की भलाई के लिए खोज करने वाला एक मशहूर मेडिकल साइंटिस्ट बनने का सपना देखा था, लेकिन वो मेरी व्यक्तिगत जीत होगी।

जो गाड़ी चे ग्वेरा को क्यूबा सरकार की तरफ से मिली थी वह उन्होने अपनी पत्नी व परिवार अपने निजी कामों मे] इस्तेमाल करने के लिए मना किया था। क्योंकि वो समाज में समानता को लाना चाहते थे, सरकारी चीज़ों का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहते थे।

चे ग्वेरा को दक्षिणी अमेरिकी में गुरिल्ला नेता माना जाता है। आज के समय में चे ग्वेरा वामपंथी विचारधारा वाले लोगों के लिए एक महान नायक हैं। विश्व में चे ग्वेरा क्रांति का प्रतीक बन गए हैं। उनकी फोटो हर क्रांति और प्रदर्शनों में देखी जा सकती है।

उन्होने अपनी यात्राओं पर एक किताब लिखी है जिसका नाम ‘मोटरसाइकिल डायरिज’ है। चे ग्वेरा के जीवन से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। उन्होने अपना पूरा जीवन दूसरों के लिए समर्पित कर दिया।

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