चीन की लैब में भेड़ का निर्माण
चीन की राजधानी बीजिंग में स्थित एक फार्म, जीन फॉर्म, ने वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करके संपूर्ण विश्व में पहली बार जंगली आर्कटिक भेड़िए को क्लोन द्वारा बनाया।
चीन की राजधानी बीजिंग में स्थित एक फार्म, जीन फॉर्म, ने वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करके संपूर्ण विश्व में पहली बार जंगली आर्कटिक भेड़िए को क्लोन द्वारा बनाया।
गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा
आज के आधुनिक समय में विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है वैज्ञानिक चांद तक पहुंच गए है और मंगल ग्रह पर इंसानों के रहने की व्यवस्था में जुटे हुए हैं। ऐसे में आज विज्ञान के लिए कोई चीज असंभव नहीं लगती है। संपूर्ण विश्व विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की कर रहा है परंतु चीन इस क्षेत्र में बहुत अधिक विकासित हो चुका है। अभी कुछ महीनों पहले ही चीन ने इस बात को सिद्ध करके हुए क्लोनिंग के माध्यम से एक जंगली आर्कटिक भेड़िए का निर्माण किया। इसकी उत्पत्ति माता पिता के द्वारा नहीं हुई है बल्कि इसे लैब में बनाया गया है। आज हम क्लोनिंग के बारे में कुछ जानकारी लेने वाले हैं।
चीन में क्लोन निर्माण
चीन की राजधानी बीजिंग में स्थित एक फार्म, जीन फॉर्म, ने वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करके संपूर्ण विश्व में पहली बार जंगली आर्कटिक भेड़िए को क्लोन द्वारा बनाया। यह जीव पूरे विश्व में विलुप्त होने की स्थिति में है ऐसे में क्लोन के द्वारा भेड़िया का निर्माण इस जीव को बचाने की दिशा में एक सार्थक प्रयास है।
आर्कटिक भेड़िया भेड़ की एक प्रजाति है जो ठंडे और बर्फीले क्षेत्रों में रहते हैं जिसका वैज्ञानिक नाम कैनिस लूपस आर्कटोस है और सामान्य रूप से ध्रुवीय भेड़िए के रूप में भी जाने जाते हैं। यह प्रजाति लुप्त होने की स्थिति में आ चुकी है और वैज्ञानिक इन्हें संरक्षित करने के उपाय ढूंढ रहे हैं।
रिपोर्ट और टीवी के द्वारा पता चला कि चीन ने उस भेड़िया का निर्माण 10 जुलाई के आसपास किया था और अब तक वह भेड़िया लगभग 100 दिनों का हो चुका है। चीन ने अब इस बारे में अब औपचारिक जानकारी दी है।
क्लोन के द्वारा बनाए गए इस भेड़िया का नाम माया रखा गया है तथा इसके निर्माण पर 2020 से ही रिसर्च चल रहा था।
क्या होता है क्लोनिंग?
हम सभी मानव अपने माता-पिता के द्वारा इस दुनिया में आए हैं तथा हमारा जन्म अपनी माता के गर्भ से हुआ है परंतु क्लोनिंग एक ऐसी वैज्ञानिक विधि है जिसमें किसी जीव जंतु या प्राणी का जन्म प्रयोगशाला में होता है अर्थात उसे रासायनिक प्रतिक्रियाओं के द्वारा निर्मित किया जाता है।
क्लोनिंग विधि से जिन जीवों का निर्माण किया जाता है। वह अपने मूल जीव स्वरूप के समान ही होता है परंतु मनुष्य में ऐसा नहीं होता मनुष्य के बच्चे अपने माता-पिता से भिन्न हो सकते है इसलिए यह विधि जीव जंतुओं के लिए उपयोगी है क्योंकि उनके बच्चे उनके जैसे ही दिखते हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि इसका उपयोग मानव के प्रतिरूप के निर्माण के लिए भी किया जा सकता है।
क्लोनिंग के लाभ
क्लोनिंग के द्वारा विलुप्त होने वाले या किसी स्थान पर समाप्त हो चुके जीव जंतुओं के निर्माण, उन्हें बचाने के लिए किया जा सकता है।
यदि किसी व्यक्ति को कोई रोग है जिससे उसके शरीर का कोई अंग बेकार हो जाता हैं तो क्लोनिंग के माध्यम से उन शरीर के अंगों का निर्माण भी संभव है।
भविष्य में अगर क्लोनिंग सफल होती है तो वह कैंसर के इलाज में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे कैंसर के कारण समाप्त हो गईं कोशिकाओं को पूर्ण निर्मित किया जा सकेगा।
क्लोनिंग की हानियां
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि एक तरफ विज्ञान हमें विकास की ओर ले जा रहा है वहीं दूसरी ओर इसके गलत उपयोग से विनाश की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है उसी प्रकार क्लोनिंग की वैज्ञानिक विधि की भी कुछ खामियां हैं जो विनाश और अराजकता की स्थिति उत्पन्न कर सकती हैं:-
क्लोनिंग करके बनाए गए जीव जंतु और प्राणियों का अपने माता-पिता से वह संबंध स्थापित नहीं हो पाएगा जो एक सामान्य व्यक्ति का होता है।
क्लोनिंग विधि के सफल होने के चांस बहुत कम होते हैं।
क्लोनिंग से अंगों का निर्माण आरंभ कर देने की यह भी हानि है कि भविष्य में इसका उपयोग अंगों के व्यापार मे हो सकता है जोकि गलत है।
क्लोनिंग का उपयोग अपराधिक गतिविधियों में किया जा सकता जैसे अमीर देश क्लोनिंग करके अधिक से अधिक मानव प्रतिरूप में सैनिकों का निर्माण कर सकते हैं और आतंकवादियों के द्वारा भी उसका उपयोग हो सकता है।
आज हमने चीन में क्लोनिंग विधि द्वारा भेड़िया के निर्माण के साथ-साथ क्लोनिंग और उसके लाभ और हानियों के बारे में भी जानकारी हासिल की। आशा है, यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी तथा आपने कुछ नया जाना होगा। हम इसी प्रकार की विभिन्न जानकारियों के साथ फिर मिलेंगे।
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