कोरोना महामारी अभी भी जारी है। इसलिए अधिक से अधिक बच्चे ऑनलाइन स्कूली शिक्षा में भाग ले रहे हैं और बड़े घर से काम कर रहे हैं। यह सब ‘ज़ूम’, एक वीडियो एप्लिकेशन, द्वारा हो रहा है।

ज़ूम क्या है?

ज़ूम एक ऐप है जो लोगों को एक दूसरे के साथ बातचीत करने की अनुमति देता है। यह स्काइप की तरह है, पर ज़ूम उससे बहुत बेहतर है। लोग ज़ूम पसंद करते हैं क्योंकि इसका उपयोग करना आसान है । और तो और, इस पर चालीस मिनट तक मुफ्त वीडियो कॉल हो सकती है जिसमें एक समय में सौ लोग हो सकते है।

तो फिर इतने सारे विद्यालय इसका उपयोग बंद क्यों कर रहे है?

इसका मुख्य कारण ज़ूम की सुरक्षा से सम्बंधित समस्याएँ है।

आपमें से कई लोगों ने देखा होगा कि अनजान लोग मीटिंग्स के अंदर आकर शिक्षकों को परेशान करते हैं और उनका अपमान करते हैं। इसको ज़ोम्बॉम्बिंग कहा जाता है। यह तब होता है जब बिन बुलाए उपस्थित लोग मीटिंग्स की शुरुआत करते हैं और झगड़ा करना शुरू कर देते है। यह आश्चर्य की बात यह है कि किसी भी मीटिंग का आई. डी कोई अनजान आदमी ही आसानी से ढूंढ सकता है, खासकर अगर मीटिंग्स पासवर्ड संरक्षित नहीं हैं।

दूसरा कारण यह है कि ज़ूम ‘एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन’ का उपयोग नहीं करता है। व्हाट्सएप में भी इसका इस्तेमाल होता है। किसी को मैसेज भेजते समय, यह अन्य लोगों को सूचना तक पहुंचने की अनुमति नहीं देता है। बल्कि, ज़ूम ‘ट्रांसपोर्ट एन्क्रिप्शन’ का उपयोग करता है, जो ‘एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन’ की तुलना में कम सुरक्षित है, और यह जानकारी साइबर अपराधियों के लिए उपलब्ध बनती है।

अपने बच्चों को इन साइबर अपराधियों से सुरक्षित रखने के कारण, कई स्कूलों ने ज़ूम का उपयोग करना बांध कर दिया है और गूगल हैंगआउट या माइक्रोसॉफ्ट टीम्स का उपयोग कर रहे हैं।

ज़ूम ने इसके कारण अपने सॉफ़्टवेयर को अपडेट किया। अपने सुरक्षा मुद्दों को ठीक करने के प्रयास में, जूम ने कीबेस नामक एक कंपनी खरीदी है, जो एक मैसेजिंग और फाइल-शेयरिंग सेवा है।

क्या यह ज़ूम की सुरक्षा समस्या का अंत होगा? चलिए इंतजार करते हैं और देखते हैं कि आगे क्या होता है।