कोवैक्सीन (Covaxine) पर सवाल क्यों?
कोरोना वैक्सीन का इंतजार हम सभी कर रहे थे। नए साल 2021 के अवसर पर सभी भारतीयों को भारतीय वैज्ञानिकों की तरफ से वैक्सीन का तोहफा मिला।
प्राची द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा
कोरोना वैक्सीन का इंतजार हम सभी कर रहे थे। नए साल 2021 के अवसर पर सभी भारतीयों को भारतीय वैज्ञानिकों की तरफ से वैक्सीन का तोहफा मिला।
DCGI (ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) ने दो कोरोना वैक्सीन covishield और कोवैक्सीन के आपात स्थिति में प्रतिबंधित इस्तेमाल को इजाजत दे दी है।
Covishield वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और AstraZeneca कंपनी ने मिलकर बनाया है, भारत का सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया भी इस रिसर्च का हिस्सा था, और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ही इस वैक्सीन का उत्पादन कर रही है।
आपको यह जानकर बहुत खुशी महसूस होगी कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन एक स्वदेशी वैक्सीन है।
क्या है कोवैक्सीन?
कोवैक्सीन Covid-19 के लिए ह्यूमन ट्रायल के लिए इजाजत पाने वाली पहली स्वदेशी वैक्सीन थी। यह वैक्सीन भारत बायोटेक इंडिया लिमिटेड (BBIL) ने ICMR के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के साथ मिलकर बनाई है। यह वैक्सीन हैदराबाद में स्तिथ भारत बायोटेक के BSL-3 यानी बायो सेफटी लेबल-3 हाई कन्टेनमेन्ट फैसिलिटी में तैयार की गई है।
मई की शुरुआत में NIV ने लक्षण न दिखने वाले एक Covid-19 के मरीज़ से वायरस का एक स्ट्रेन BBIL को भेजा था। कंपनी ने इस वायरस का उपयोग कर कोवैक्सीन का निर्माण किया है।
उसके बाद कंपनी ने वैक्सीन का प्री-क्लिनिकल ट्रायल गिनी पिग (Guinea Pig) और चूहों जैसे जानवरों पर किया है, जिससे पता चल सके की वैक्सीन सुरक्षित है या नहीं। इसके बाद कंपनी को ह्यूमन क्लिनिकल ट्रायल फेज 1 व फेज 2 की अनुमति मिली थी।
भारत बायोटेक इंडिया लिमिटेड (BBIL) इससे पहले भी बहुत सारे अन्य रोगों की वैक्सीन बनाने में सफ़लता हासिल कर चुकी है, जैसे- पोलियो, रेबीज़, रोटावायरस, चिकुनगुनिया, जीका और जापानी इंसेफेलाइटिस आदि।
वैक्सीन के इमरजेन्सी मंजूरी का नियम
New Drugs and Clinical Trials Rules, 2019 के तहत नई दवाओं एवं वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी दी जाती है। भारत में सामान्यतः क्लिनिकल ट्रायल 3 के नतीजों के आधार पर दवाओं और वैक्सीन के उपयोग को इजाज़त मिलती है। भारत में 2019 का नियम विषेश स्तिथियों जैसे कोरोना महामारी से निपटने के लिए त्वरित (Accelerated) प्रक्रिया की बात करता है। इसके तहत उन दवाओं के प्रयोग की अनुमति दी जा सकती है, जिनका क्लिनिकल ट्रायल चल रहा होता है, पर शर्त यह है कि उस वैक्सीन या दवा का प्रभावशाली नतीजा निकला हो। क्लिनिकल ट्रायल में चल रही दवाओं और वैक्सीन को दी गई अनुमति अस्थायी होती है।
COVAXINE: स्वदेशी वैक्सीन पर सवाल क्यों ?
DCGI ने 3 जनवरी को जब कोवैक्सीन और COVISHIELD को आपात स्थिति में प्रतिबंधित इस्तेमाल की मंजूरी दी। तो भारत के कुछ राजनीतिक दलों ने DCGI के इस फैसले पर सवाल उठाए और कहा कि जब COVAXINE के तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजे नही आए है तो फिर इसके इस्तेमाल की इजाज़त कैसे दी जा सकती है?
हम सभी सदैव विदेशियों की प्रशंसा करते हैं। पर हमें सदैव अपनी क्षमता पर शक क्यों होता है? हमारे ही देश में रहने वाले लोग अपने देश में निर्मित स्वदेशी वैक्सीन पर अब सवाल उठा रहे हैं? जब वैक्सीन नहीं थी, तो हम सोचते थे कि दूसरे देशों में वैक्सीन आ गई है, पर हमारे देश में वैक्सीन कब आएगी। परन्तु अब जब वैक्सीन उपलब्ध है तो हम अपनी वैक्सीन की प्रमाणिकता मांग रहे हैं। वैसे भी वैक्सीन अभी सिर्फ आपात स्थिति में प्रतिबंधित शर्त पर कुछ लोगों को लगाई जा रही है, और सरकार इन लोगों पर अपनी निगरानी रखेगी कि इन लोगों पर वैक्सीन का क्या प्रभाव हुआ। आशा है कि 15 दिनों के वैक्सीन लगाने में फ़्रंट लाईन वारियरस (डॉक्टर,नर्स) और कोरोना मरीजों को प्राथमिकता दी जाएगी।
अपनी स्वदेश में निर्मित भारत बायोटेक इंडिया लिमिटेड द्वारा Covaxine पर सवाल उठाना सही नहीं है। ऐसा करके हम अपने देश के वैज्ञानिकों का अपमान कर रहे हैं व उनका मनोबल तोड़ रहे हैं। भारत में निर्मित स्वदेशी वैक्सीन पर हम सबको गर्व करना चाहिए, और कोरोना महामारी से निपटने के लिए अपना-अपना योगदान देना चाहिए ।
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10 Comments
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