प्राची द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा

ईश्वर ने एक बहुत ही सुन्दर संसार का निर्माण किया है। इसमें रह-रहे जीव-जन्तु इसकी शोभा बढ़ाते हैं। पक्षी एक मूक प्राणी है, वे अपना दुख और दर्द हमें नही बता सकते हैं। इसलिए हमें ही उनका खास ख्याल रखना होता है।

उनकी इन्हीं जरूरतों का ध्यान रखते हुए श्री लाला लछ्छुमल जैन ने सन् 1929 में दिल्ली में जैन चैरिटेबल पक्षी अस्पताल की स्थापना की।

क्यों है यह अस्पताल आकर्षण का केन्द्र?

यह भारत का पहला पक्षी अस्पताल है और यह विश्व का पहला ऐसा अस्पताल है,जहाँ पक्षियों का इलाज नि:शुल्क किया जाता है।

इस अस्पताल में ओपरेशन थिएटर, ओपीडी, इमरजेन्सी वार्ड, रिकवरी रूम आदि सारी सुविधाएँ पक्षियों के लिए उपलब्ध है।

जैन चैरिटेबल बर्ड्स अस्पताल पूर्णतः धर्मार्थ है। यहाँ जो भी व्यक्ति अपने पक्षियों का इलाज कराने आते है, उनसे शुल्क नहीं लिया जाता है। अस्पताल के कर्मचारी बताते हैं कि अस्पताल का पूरा खर्च श्री अग्रवाल दिगम्बर जैन पंचायत ट्रस्ट के द्वारा चलाया जाता है। समाज के लोग आर्थिक सहयोग के साथ पक्षियों के लिए दाना-पानी भी दान करते हैं।

सेवा परमो धर्म:

यह अस्पताल पूरे वर्ष 24 घंटे खुला रहता है, और तो और त्योहारों के दिन भी खुला रहता है, ताकि किसी जरुरतमंद पक्षी को समय पर इलाज मिल सके। यहाँ आस-पास व दूरदराज से पक्षी प्रेमी पक्षियों के उपचार के लिए आते हैं। पक्षी अस्पताल में लगभग 70-80 पक्षी रोजना इलाज़ के लिए आते हैं। यहाँ करीब 200 से ज्यादा पक्षियों के लिए घर हैं। यहाँ इलाज़ के लिए बड़ी संख्या में कौवे, कबूतर, चिड़िया, गौरैया, आदि को इलाज़ के लिए लाया जाता है। यह अस्पताल अब तक कई लाखों पक्षियों का उपचार कर चुका है।

चिकित्सक का कहना है कि अस्पताल में आने वाले ज्यादातर पक्षी रानीखेत वायरल, लकवा व चेचक से पीड़ित होते हैं। साथ ही आँख का संक्रमण व अन्य मनुष्यों में होने वाली बिमारी भी होती है।

इन पंख वाले रोगियों को दवाएं, उपचार और आहार दिया जाता है। प्रत्येक शनिवार को अस्पताल की छत का एक हिस्सा खोल दिया जाता है, और जो पक्षी उपचार के बाद स्वस्थ हो जाते हैं, उन्हें स्वतंत्र कर दिया जाता है।

चाइनीज मांझा : पक्षियों की मौत का कारण

15 अगस्त से कुछ दिन पहले ही यहाँ हर साल करीब 100-150 घायल पक्षी हर रोज़ आते हैं। इसका कारण है, पतंगबाजी। 15 अगस्त को दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में ज्यादातर लोग पतंग उड़ाते हैं और चाइनीज मांझे का इस्तेमाल करते हैं। चाइनीज मांझे में पक्षी उलझ जाते हैं, जिसके कारण इन बेजुबान पक्षियों की गर्दन कट जाती है या फिर वे गम्भीर रूप से घायल हो जाते हैं। जिसमें तोता, मैना, कबूतर, चील और दूसरे पक्षी शामिल हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने चाइनीज मांझे पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। हमारे पतंगबाजी के शौक की कीमत इन बेजुबान पक्षियों को जान गवांकर चुकानी पड़ती है।

जैन धर्म ट्रस्ट ने ऐसे बहुत से अस्पतालों की स्थापना दिल्ली, हरियाणा व उसके आसपास के क्षेत्रों में की है।

इस अस्पताल को खोलने का मुख्य उद्देश्य भगवान महावीर का यह उपदेश है :-

“ जियों और जीने दो ”

पक्षी बेजुबान होते हैं, परंतु हर किसी का जीवन अमूल्य होता है। उनको कष्ट पहुँचाना, मानवीयता का अपमान करना है। उनकी रक्षा करना, सेवा करना ही मानव का परम धर्म है। पक्षी नभचर होते हैं, उन्हें आकाश में उड़ना अच्छा लगता है, ना कि बंदिशों में बंधना। पक्षी कुदरती सुन्दरता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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