गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा

मनुष्य को भावनात्मक और संवेदनशील प्राणी माना जाता है क्योंकि वह भावनाओं को महसूस करता है तथा दूसरों के सामने प्रकट करता और दर्शाता है। कुछ जानवर में भी मानव के संपर्क में रहने के कारण भावनाएं मौजूद होती हैं और उनका अपने मालिक तथा हितैषी के साथ अलग ही प्रेम होता है। यहां सवाल उठता है की मनुष्य के पास भावनाएं होती हैं इसीलिए वह दर्द का अनुभव करता है। क्या मानवों से बहुत दूर रहने वाले जीव में भी भावनात्मकता, संवेदनशीलता तथा दर्द का अनुभव होता है‌?

किसी अध्ययन में कुछ समय पहले यह बात सामने आई थी कि आक्टोपस में भी संवेदनाएं होती हैं तथा वह दर्द का अनुभव करता है। वे न केवल शारीरिक बल्कि भावनात्मक दर्द भी अनुभव कर पाते हैं तो आज हम इस बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे कि आक्टोपस को दर्द का अनुभव कैसे होता है तथा इसका पता कैसे लगाया गया है।

आक्टोपस में संवेदनाएं

आक्टोपस एक एकलकोशिकीय जीव है आपको बता दें कोशिका किसी भी जीवित जीव के शरीर की मूलभूत इकाई होती है। हमारा शरीर विभिन्न कोशिकाओं से मिलकर बना है हमारे विपरीत आक्टोपस में केवल एक ही कोशिका होती है परंतु वह शारीरिक के साथ मानसिक तथा भावनात्मक संवेदनाएं भी महसूस करते हैं।

भावनात्मक संवेदनाओं का मतलब है कि वह भी हम मनुष्य की तरह लोगों से भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं तथा उनके दर्द को महसूस कर पाते हैं।

आक्टोपस में संवेदनशीलता का पता किसने लगाया?

सभी जानते हैं कि वैज्ञानिक विभिन्न प्रकार के जानवरों पर रिसर्च करते रहते हैं तथा उनके बारे में जानकारियां जुटाते हैं। जीव – जंतुओं के अध्ययन को जीव विज्ञान (जूलॉजी) कहते हैं| ऑक्टोपस के बारे में भी यह जानकारी वैज्ञानिकों ने ही शोध करके पता की है।

लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स एंड पॉलीटिकल साइंस ने हाल में ही ऑक्टोपस स्किवड और कटलफिश, केकड़ों और कैटफिश आदि जीवों से संबंधित शोध किए, जिसमें आक्टोपस के बारे में बहुत रोचक चीजें सामने आई थी। इस रिसर्च में पता चला कि ऑक्टोपस भी एक संवेदनशील प्राणी है तथा वह संवेदना और भावनाओं को महसूस कर सकते हैं।

रिसर्च कैसे किया गया?

किसी भी शोध के लिए शोध की विधि तो जरूरी होती है। इस रिसर्च में प्रयोग की गई विधि के बारे में जानते हैं।

इस शोध में चुनौती यह थी कि मनुष्यों में बोलने की शक्ति होती है इसीलिए वह मौखिक रूप से अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं परंतु ऑक्टोपस बोलकर अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर सकता था। प्रश्न यह उठता है कि वैज्ञानिकों ने यह कैसे पता लगाया कि आक्टोपस को दर्द महसूस होता है या नहीं?

वैज्ञानिकों ने बताया कि जानवरों में उनकी भावनाओं का अंदाजा केवल उनके व्यवहार और तंत्रिका तंत्र की प्रक्रियाओं के द्वारा ही लगाया जा सकता है उन्होंने इसी तरीके का प्रयोग ऑक्टोपस पर भी किया।

अध्ययन का महत्व

यह अध्ययन बहुत महत्वपूर्ण और बहुत प्रासंगिक था क्योंकि इसके द्वारा पर्यावरण संकट तथा मानवीय क्रियाओं के माध्यम से ऑक्टोपस पर होने वाले प्रभाव का पता चला।

इस अध्ययन से यह भी पता चला कि आक्टोपस भी मानव तथा अन्य जीव-जंतुओं के साथ भावनात्मक संबंध बना सकता है।

इस शोध ने जीव विज्ञान के विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है आगे होने वाली रिसर्चों को आधार प्राप्त हुआ है। यह अध्ययन जीव वैज्ञानिकों के लिए बड़ी उपलब्धि है।

इस अध्ययन के परिणाम

इस अध्ययन एवं शोध ने ब्रिटेन की सरकार पर गहरा प्रभाव डाला। ब्रिटेन में यह अधिकारिक विधेयक पास किया गया कि झींगे, आक्टोपस और केकड़ों आदि को संवेदनशील प्राणियों के रूप में माना जाए तथा भविष्य में लिए जाने वाले निर्णयों में उनके कल्याण पर भी ध्यान दिया जाए।

इस प्रकार से आज हमने ऑक्टोपस के बारे में एक बहुत रोचक तथ्य जाना। हम इसी प्रकार के रोचक तथ्यों तथा नई-नई जानकारियों के साथ मिलते  रहेंगे।

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