कक्षा 11 की छात्रा द्वारा लिखित

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा किए गए फैसले दुनिया भर के लोगों को प्रभावित करते हैं ।

तो आईएमएफ क्या है और यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा किए गए फैसले दुनिया भर के लोगों को प्रभावित करते हैं । तो आईएमएफ क्या है और यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

आईएमएफ़ क्या है?

आईएमएफ़, यूएन की विशेष शाखा, एक अन्तराष्ट्रिय संगठन है जिसमें 189 देश मिलकर विश्व की आर्थिक व्यवस्था को मजबूत बनाने की कोशिश करते हैं ।

यह क्यूँ बनाया गया था ?

यह संगठन, 1944 में अमेरिका के ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में बना था । द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 44 देशों के प्रतिनिधियों ने इस सम्मेलन में भाग लिया था, जिसमें सोवियत संघ, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका शामिल थे।

युद्ध को खतम करने के लिए जो आर्थिक व्यवस्था की ज़रूरत होगी उस पर चर्चा करने के लिए यह बैठक हुई थी (और साथ ही मुद्रा के आदान प्रदान दरों की एक स्थिर प्रणाली बनाने के लिए और यूरोप की क्षतिग्रस्त अर्थव्यवस्थाओं के पुनर्निर्माण के लिए भुगतान कैसे करें)।

विश्व बैंक और आईएमएफ को बाद में इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए बनाया गया ।

उद्देश्य

सभी प्रतिष्ठित संगठनों की तरह, आईएमएफ़ के प्रमुख उद्देश्य :

  • यह अपने सदस्य देशों के बीच खतरों की पहचान करते हुए वैश्विक स्थितियों पर नज़र रखता है ।
  • यह अपने सदस्य देशों को उनकी अर्थव्यवस्थायों को बेहतर बनाने के बारे में सलाह देता है और आर्थिक समस्याओं से निकालने में मदद करता है।
  • यह ऐसी आर्थिक समस्याओं से निकालने के लिए कम समय वाले ऋण और अन्य तकनीकी सहायता प्रदान करता है । आईएमएफ़ का मुख्य लक्ष्य है अपने सदस्यों को सही दिशा दिखा कर ऐसी विपत्तियों से बचाना ।

हर एक सदस्य एक धनराशि देता है जिसे कोटा सब्स्क्रिप्शन कहते हैं – देश जितना अमीर होता है, उसका कोटा उतना ही अधिक होता है । यही सब्स्क्रिप्शन ऋण देने में मदद करती हैं । आईएमएफ़ के इतिहास में अभी तक का सबसे बड़ा ऋण अर्जेंटीना के द्वारा लिया गया  है 2018 में – सत्ताईस अरब डॉलर की राशि।

कोई भी देश शामिल होने के लिए आवेदन कर सकता है बस अगर वह कुछ सामान्य जरूरतों को पूरा करता हो । बस उन्हे अपने देश की अर्थव्यवस्था और कोटा सब्स्क्रिप्शन के बारे में बताना है ।

गीता गोपीनाथ कौन है ?

गीता गोपीनाथ की कहानी, एक मध्यमवर्गीय मैसूरु लड़की से विश्व स्तर के अर्थशास्त्री तक पहुँचने की कहानी कठिन परिश्रम, धैर्य और ध्यान की है । 

भारत में पैदा होने वाली गीता गोपीनाथ वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसंधान विभाग की आर्थिक सलाहकार और डाइरेक्टर हैं ।

उन्होने लेडी श्री राम कॉलेज से बी.ए. और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से एम.ए. करके 2001 में प्रिंसटन विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी प्राप्त की है ।

हम भारतीयों को गर्व है कि 2019 में वह आईएमएफ़ की पहली महिला अर्थशास्त्री के रूप में नियुक्त हुईं ।

वैश्विक अर्थव्यवस्था पर आईएमएफ का रुख

गीता गोपीनाथ के अनुसार, कोरोनोवायरस महामारी ने पूरे विश्व में आर्थिक संकट पैदा कर दिया है और यह पहले के संकटों से बहुत अलग है । दोनों विकसित और उभरते हुए बाज़ारों में निर्माण क्षेत्र की तुलना में सेवा क्षेत्र पर भारी असर पड़ा है ।

उनका यही भी कहना है कि अगर वित्तीय बाज़ार वास्तविक अर्थव्यवस्था से थोड़ा अलग हो जाएँ तो वित्तीय बाज़ारों में अस्थिरता और बदलावों का सामना किया जा सकता है।

आईएमएफ यह भी कहता है कि यह वैश्विक महामारी की स्थिति में एक “बड़ी अनिश्चितता” दिखती है ।

गोपीनाथ का यह भी कहना है कि भले ही कई देशों में जल्दी ठीक होने के संकेत हैं और, उनकी अर्थव्यवस्थाओं को फिर से खोलने की उम्मीद हैं, लेकिन संक्रमण की नई लहरें और फिर से लॉकडाउन लगने से खतरा बन सकता है ।

आईएमएफ और भारतीय अर्थव्यवस्था

‘जून 2020 की विश्व आर्थिक रिपोर्ट’ के अनुसार, आईएमएफ़ ने कहा है कि 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था 4.5% सिकुड़ सकती है।

अभी हाल ही में एनडीटीवी के साथ एक इंटरव्यू में गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत दो वर्षों में 2021 तक 1% से थोड़ा ऊपर ही बढ़ पाएगा । भले ही सरकार महामारी के दौरान देश की सामाजिक और आर्थिक स्थितियों को सुधारने की कोशिश कर रही हो लेकिन भारत की आर्थिक वृद्धि बहुत धीरे ही बढ़ेगी।

हालांकि, गोपीनाथ ने कहा कि राष्ट्र की धीमी प्रगति सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है बल्कि अन्य देशों का भी ऐसा ही हाल है । जब देश फिर से खुलेगा, स्वास्थ्य संकट खतम हो जाएगा, आर्थिक स्थिति सुधरेगी तो भारत भी ठीक हो जाएगा ।