आशु द्वारा लिखित, 20 साल की छात्रा

भारतीय नौसेना का रिटायर विमानवाहक जहाज जिसका नाम आईएनएस विराट है, मुंबई से अपने आखिरी सफर के लिए रवाना किया गया। इसे गुजरात के अलंग में ले जाया गया जहाँ दुनिया का सबसे बड़ा शिप ब्रेकिंग यार्ड है। इसी यार्ड में विराट को भी तोड़ा जाएगा।

करीब 30 साल तक रहा भारतीय नौसेना की शान

भारत से पहले आईएनएस विराट ब्रिटेन की रॉयल नेवी में शामिल था उस वक्त इसका नाम एचएमएस हरमीज़ था। करीब 27 साल तक रॉयल नेवी में शामिल रहने के बाद भारत ने इसे सन 1987 में खरीदा। भारत नौसेना में शामिल होने के बाद इसका नाम आईएनएस विराट रख दिया गया। विराट के रूप में इसका पहला काम ऑपरेशन जुपिटर था।

करीब 30 साल तक काम करने के बाद 6 मार्च, 2017 को इसे रिटायर कर दिया गया। नौसेना के अधिकारियों और कई नेताओं ने जहाज को तोड़ने पर आपत्ति जताई। उन सभी ने इस जहाज को संग्रहालय बना देने पर बहुत जोर दिया लेकिन वह सभी सफल नहीं हो पाए और जहाज तोड़े जाने के लिए रवाना कर दिया गया।

एक छोटे शहर जैसा था विराट

यह जहाज एक छोटे शहर जितना बड़ा था। इसकी लंबाई 226 मीटर और चौड़ाई 49 मीटर थी। इसमें एक शहर में मिलने वाली लगभग सारी सुविधाएं थी। इसमें लाइब्रेरी, जिम, एटीएम, टीवी, वीडियो स्टूडियो से लेकर अस्पताल, दांतों का इलाज करने वाला सेंटर, मीठे पानी का डिस्टलेशन प्लांट, लगभग जरूरत की सभी चीजें उपलब्ध थी।

भारतीय नौसेना में विराट की अहम भूमिका

भारतीय नेवी में विराट का पहला काम ऑपरेशन जूपिटर में शामिल होना था। ऑपरेशन जूपिटर श्रीलंका में शांति स्थापना करने के लिए ऑपरेशन था। इसके बाद सन 2001 में भारतीय संसद पर हमला हुआ। इस हमले के बाद विराट ऑपरेशन पराक्रम में शामिल किया गया जिसमें उसने बहुत अहम भूमिका निभाई।

इसने अपने कार्यकाल में 2250 दिन समुद्र में बिताए जो लगभग 6 सालों तक समुद्र में रहने के बराबर है। जहाज पर एक वक्त में 1500 नौसैनिक तैनात रहते थे। इस समय के दौरान इसने 1 करोड़ 94 हजार 215 किलोमीटर का सफर तय किया। यह सफर पूरी पृथ्वी के लगभग 27 चक्कर लगाने के बराबर है।

तोड़ने के बाद लोहे का इस्तेमाल-

जहाज को तोड़ने से पहले उसके सारे जरूरी पार्ट्स को निकाल लिया गया है। जहाज को तोड़ने वाली कंपनी का कहना है इसे तोड़ने में लगभग 8 से 9 महीने के बीच का समय लग सकता है। तोड़ने के बाद जहाज से निकले हुए लोहे को या बाकी सामान को बेच दिया जाएगा। कंपनी का कहना है कि कई दो पहिए वाले वाहन की कंपनियों ने संपर्क किया है कि वे जहाज के लोहे को खरीदना चाहते हैं। इसका मतलब यह है जहाज के टूटने के बाद भी उसका लोहा काम में लाया जाएगा और कई वाहनों या अन्य कामों में इस्तेमाल किया जाएगा।

क्या आप भी नन्ही खबर के लिए लिखना चाहते हैं?

संपर्क करें nanhikhabar@gmail.com पर