मनीषा द्वारा लिखित, कक्षा 10 की छात्रा

जैसा की हम सब जानते है कि अल्बर्ट आइंस्टीन एक महान वैज्ञानिक थे और उन्होंने अपने जीवन में बहुत सारे अविष्कार किए।

हम आज उनके स्कूल लाइफ और उनके बचपन के बारे में पढ़ेंगे ।

अल्बर्ट आइंस्टीन का बचपन

आइंस्टीन का  जन्म 14 मार्च सन 1879 में जर्मनी में हुआ था। महान अल्बर्ट आइंस्टीन जब पैदा हुए थे, तब उनका सिर आम बच्चों से बड़ा और अलग था। जब वह चार-पांच साल के थे तब वे अपने माता पिता से भी बात नही किया करते थे। वो एकदम चुप चाप अपने कमरे में बैठे रहते थे। एक दिन वह अपने पूरे परिवार के साथ खाना खाते समय बोले कि सूप बहुत गर्म है। इस दिन पहली बार उन्हें बोलते हुए सुना गया। स्कूल में बहुत कम आने की वजह से अध्यापक उन्हें आलसी समझते थे और उन्हें लगता था कि अगर वह बाकी बच्चो के साथ रहेंगे तो उन्हें बिगाड़ देंगे। एक दिन ऐसा आया कि उनके प्रिंसिपल ने उन्हें स्कूल से निकाल दिया ।

आइंस्टीन ने कैसे अपनी कमज़ोरी को अपनी ताकत बनाया?

एक बार वो सभी विषयों में फेल हो गए और सिर्फ गणित और विज्ञान में ही पास हुए। उनका सभी बच्चे मजाक भी उड़ाते थे। वह दिन भर किताबे लेकर पढ़ने की कोशिश किया करते थे।

15 साल की उम्र में अपनी आगे की पढाई करने के लिये वो स्विट्जरलैंड चले गए। स्विट्जरलैंड  में रहना उन्हे अच्छा लगने लगा और उनके अंक भी ज्यादा आने लग गए थे । वह गणित और भौतिक विज्ञान में एक्सपर्ट बन गए थे ।

इतने बड़े वैज्ञानिक बनने का सफर

ग्रेजुएशन खत्म करने के बाद उन्हें कई साल तक नौकरी नहीं मिली। बड़ी मुश्किल से उन्हें सन् 1902 में पहली नौकरी टेक्निकल एक्सपर्ट (technical expert) की मिली।  इसके साथ साथ वह अपनी तरफ से खुफिया खोज करते रहते थे। सन् 1905 में अखबार में एक स्पेशल थियरी ऑफ रिलेटिविटी  (special theory of relativity) आई जो अल्बर्ट आइंस्टीन की थी।  इस थियरी में उन्होंने बताया था कि समय और दूरी एब्सोल्यूट नही होता है इसको समझने के लिए उन्होंने एक उदाहरण भी दिया- वो कहते है कि जब हम गर्म चूले के पास 2  मिनट भी बैठ जाएँ तो हमे वो 2 घंटा जैसा लगता है वहीं अगर कोई प्यारी सी लड़की के पास 2 घंटा भी बैठ जाएँ  तो 2 मिनट जैसा लगता है।

इस तरह उन्होंने  E=mc^² का फॉर्मूला दिया। आखिर में 1915 में जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी आई और 1919 में ये सही साबित हुई। उसके लिए उनको पुरस्कार भी मिले।

जर्मनी छोड़ कर यूएसए क्यों गए और वहा पर क्या हुआ ?

जब जर्मनी में नाजी पावर में आए तो वह यूएसए चले गए। 5 साल बाद जब वहाँ के फिजिक्स साइंटिस्ट को न्यूक्लियर फिशन के बारे में पता चला तो उन्हें डर था कि अब नाजी कभी भी एटम बॉम्ब बना सकते हैं तो उन्होंने अल्बर्ट आइंस्टीन को कहा कि वह एक पत्र लिखें। तब उन्होंने  2 अगस्त 1939 को अमेरिकन राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजरवेल्ट को पत्र लिखा जिसमें उन्होंने चेतावनी दी कि एक छोटा सा भी बॉम्ब बहुत कुछ तबाह कर सकता है। तब उनकी बात को माना गया और कुछ टाइम के लिए चीजे शांत हो गई। लेकिन कुछ समय के बाद अमेरिका में एक सीक्रेट बॉम्ब बनाया गया और अगस्त 1945 में इसे जापान के दो शहरों हीरोशिमा और नागासाकी में छोड़ दिया गया। इससे वो दोनो शहर पूरी तरह से तबाह हो गये। इससे अल्बर्ट आइंस्टीन पर बहुत गहरा असर हुआ। इसके बाद वह राजनीति में चले गए । आखिर में 76 साल की उम्र में सन 1955 में उनकी मृत्यु हो गई।

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