गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा

इतिहास बताता है कि विश्व में विभिन्न प्रकार की महामारियां समय समय पर उत्पन्न हुई हैं जिसने मानव जीवन पर संकट उत्पन्न किया है तथा जान-माल को बहुत क्षति पहुंची है। अभी कुछ समय पहले ही हम एक भयानक महामारी कोरोना से उभरे हैं अभी भी उसका प्रभाव देखने को मिल रहा है कि विश्व में सबसे खतरनाक बीमारी ब्लैक डेथ का खतरा फिर से मंडराने लगा है। वैज्ञानिकों ने फिर से ब्लैक डेथ अर्थात काली मौत बीमारी पर अध्ययन आरंभ कर दिया है जिसमें कई नए तथ्य एवं जानकारियां सामने आई हैं। यह बीमारी बहुत पुरानी है परंतु इसके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है। आज हम इस बीमारी के बारे में जानेंगे।

काली मौत क्या है?

काली मौत कैसे होती है

काली मौत ब्यूबोनिक प्लेग महामारी के फैलने से हुए भयानक विनाश एवं मौत को कहा गया है। काली मौत या ब्यूबोनिक प्लेग महामारी एक ऐसी संक्रमक बीमारी है जो बैक्टीरिया से फैलती है। इसके बैक्टीरिया को येरसीनिया पैस्टीस के नाम से जाना जाता है जो चूहे, खरगोश, गिलहरी तथा उड़ने वाले कीट पतंगों के माध्यम से होता है। इस प्लेग को काला प्लेग भी कहते हैं इसीलिए इससे होने वाली मौत को काली मौत कहते हैं।

ब्लैक डेथ (काली मौत)

काली मौत यूरोप में तेरहवीं सदी में फैली महामारी की घटना है। इस घटना ने संपूर्ण यूरोप के लगभग आधी आबादी को समाप्त कर दिया था। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह बीमारी चीन में उत्पन्न हुई थी और चूहे के द्वारा इसका संक्रमण बढ़ रहा था।

उसी दौरान चीन से यूरोप के बीच में सिल्क रूट द्वारा व्यापार होता था और बड़े बड़े जहाज आते जाते रहते थे। एक बड़ा जहाज चीन से यूरोप की तरफ रवाना हुआ। यूरोपीय तट पर लोग जहाज का इंतजार कर रहे थे। जब वह जहाज यूरोप पहुंचा तो लोगों ने पाया कि उस जहाज में बैठे लगभग आधे से ज्यादा लोग मर गए थे और बचे हुए लोग बहुत बीमार थे। पूरा जहाज कब्रिस्तान जैसा प्रतीत हो रहा था। लोगों को ‌पता नहीं चला कि यह कौन सी बीमारी है और यह यूरोप के अन्य हिस्सों में भी फैलती गई।

इस बीमारी ने धीरे-धीरे पूरे यूरोप में अपने पैर पसार लिए और यूरोप की अधिकतर जनसंख्या को अपना शिकार बना लिया । एक समय ऐसा आया कि लोगों ने स्वयं को घरों में बंद कर लिया। कोई बीमार लोग के पास भी नहीं जाता था और न ही उसके कपड़ों को छूता था। सारे रिश्ते समाप्त होते गए। समाज नाम की व्यवस्था भी समाप्त होने लगी क्योंकि लोग बस अकेले रहते थे और बाकी लोगों से दूरी बनाने लगे थे।

इस प्रकार से इस बीमारी ने लगभग पांच सालों तक पूरे यूरोप में तबाही मचाई। इस महामारी के दौरान संपूर्ण यूरोप का विनाश हो गया । इसी घटना को ब्लैक डेथ की संज्ञा दी जाती है।

ब्यूबोनिक प्लेग का कारण

ब्लैक डेथ का वायरस

यह बीमारी बैक्टीरिया के कारण फैलती है जो बैक्टीरिया जानवरों चूहा, खरगोश, गिलहरी आदि में पाए जाते हैं। इस बीमारी का संक्रमण मुख्य रूप से कीड़े – मकौड़े, चूहे खरगोश, गिलहरी आदि द्वारा होता है।

ब्यूबोनिक प्लेग के लक्षण

अगर बिमारी के लक्षण पता हो तो उसका शुरुआत में ही इलाज करवाकर उससे बचा जा सकता है। अन्य बीमारियों की तरह ही इस बीमारी के कुछ मुख्य लक्षण हैं:

  • बुखार आना तथा तेज सर्दी लगना
  • बहुत तेज सर दर्द
  • गले में सूजन आना तथा बोलने में परेशानी होना
  • शरीर में पस जमना
  • आंतरिक ब्लीडिंग एवं खून बहना
  • उल्टी आना
  • पूरे शरीर में दर्द होना

ब्यूबोनिक प्लेग का इलाज

ब्लैक डेथ की घटना के समय इस बीमारी का इलाज मौजूद नहीं था और इसे बनने में बहुत समय लग गया जिस कारण जान माल का नुक़सान और बढ़ गया।

आज इस महामारी का इलाज मौजूद है बाकि बैक्टीरिया के इलाज की तरह ही इस बीमारी का इलाज भी एंटीबायोटिक द्वारा होता है।

यह बीमारी खतरनाक है क्योंकि बहुत तेजी से फैलती है और बड़ी जनसंख्या को अपने चपेट में ले सकता है।

वैज्ञानिकों के रिसर्च के द्वारा पता चला है कि अभी भी चीन में ब्लैक डेथ महामारी फैलने का खतरा मंडरा रहा है जो अन्य जगहों पर भी फैल सकता है अर्थात विश्व आज भी ब्यूबोनिक प्लेग से सुरक्षित नहीं है। अंत स्वयं को इससे बचाने के लिए स्वच्छता पर ध्यान देना आवश्यक है क्योंकि महामारी एक समय में बहुत लोगों की जान को जोखिम में डालती है।

आशा है आप को इस लेख के द्वारा ब्यूबोनिक प्लेग जैसी महामारी के बारे में जानकारी प्राप्त हुई होगी। आपकी सावधानी और सतर्कता ही भविष्य मे ब्लैक डेथ जैसी घटना को रोक सकती है।

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