वर्ल्ड चैंपियन: निखत ज़रीन
सभी लोग इतिहास पढ़ते हैं परंतु कुछ लोग ऐसे होते हैं जो इतिहास रचने का सपना लेकर चलते हैं और अपनी मेहनत और लगन से उसे हासिल भी करते हैं। ऐसा ही व्यक्तित्व एक भारतीय मुक्केबाज खिलाड़ी निखत ज़रीन का था।
सभी लोग इतिहास पढ़ते हैं परंतु कुछ लोग ऐसे होते हैं जो इतिहास रचने का सपना लेकर चलते हैं और अपनी मेहनत और लगन से उसे हासिल भी करते हैं। ऐसा ही व्यक्तित्व एक भारतीय मुक्केबाज खिलाड़ी निखत ज़रीन का था।
गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल का छात्र
सभी लोग इतिहास पढ़ते हैं परंतु कुछ लोग ऐसे होते हैं जो इतिहास रचने का सपना लेकर चलते हैं और अपनी मेहनत और लगन से उसे हासिल भी करते हैं। ऐसा ही व्यक्तित्व एक भारतीय मुक्केबाज खिलाड़ी निखत ज़रीन का था। जिन्होंने ना केवल अपने विरोधियों को खेल में हराया परंतु अपने समाज के रूढ़ियों एवं कुरीतियों को भी चुनौती दी और 2022 मे महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में जीत हासिल की। चलिये उनके जीवन के बारे में जानने का प्रयास करते हैं।
निखत ज़रीन का बचपन
निखत जरीन तेलंगाना के निज़ामाबाद मे 14 जून, 1996 में जन्मी एक मुस्लिम लड़की है। उनका परिवार एक मध्यवर्गीय परिवार है। उनके पिताजी का नाम मोहम्मद जमील अहमद एवं माता जी का परवीन सुल्ताना है। उनके पिताजी एक सेल्स मैन एवं माताजी घरेलू महिला हैं।
निखत ज़रीन की शिक्षा
निखत ने निर्मला हृदय गर्ल्स हाई स्कूल, निजामाबाद से प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण की और उसके बाद उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए ए वी कॉलेज, हैदराबाद में दाखिला ले लिया। वहां से उन्होंने कला में स्नातक की डिग्री हासिल की। उनका शुरू से ही लक्ष्य मुक्केबाजी था इसीलिए उन्होंने आगे शिक्षा जारी नहीं रखी।
मुक्केबाजी की शुरुआत
निखत ज़रीन के पिताजी ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि बचपन में निखत बहुत शरारती एवं ऊर्जावान थी। प्रतिदिन लोग शिकायते लेकर आते थे कि वह उनके बच्चों से लड़ रही है एवं शरारत कर रही है। तब उनके पिताजी ने उनकी ऊर्जा का प्रयोग खेलों में लगाने का निर्णय लिया। वे उन्हें स्टेडियम लेकर गए और उन्हें वहां खेलने के लिए छोड़ दिया। उन्हें लगा शाम तक खेलकर निखत थककर घर आ जाएगी परंतु वह थकी नहीं उन्होंने स्टेडियम में 100 मीटर और 200 मीटर की दौड़ में जीत हासिल किया। निखत ने स्टेडियम से आते वक्त मुक्केबाजी स्टेडियम देखा जहां केवल पुरुष थे तब से ही उनके मन मे मुक्केबाजी के प्रति रुचि जगी और उन्होंने मुक्केबाज बनने का निर्णय लिया।
निखत ज़रीन के चाचा जी शमशामुद्दीन मुक्केबाज के कोच थे इसीलिए शुरुआती ट्रेनिंग घर पर ही उनके पिता एवं चाचा जी ने दी।
बाद में निखत ज़रीन ने बॉक्सिंग इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया मे भी ट्रेनिंग ली तथा उनके कोच रहे हिमानी चिरंजीवी एवं आर वी राव।
मुक्केबाजी में उपलब्धियां
निखत ज़रीन के सामने चुनौतियां
हम सभी जानते हैं कि कुछ पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है एवं चुनौतियों से मुकाबला करना पड़ता है। निखत के भी चैंपियन बनने के सफर में अनेक चुनौतियां आई परंतु उन्होंने हर चुनौती का मुकाबला करते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त किया।
निखत के पिताजी बताते हैं कि मुस्लिम समाज की लड़की होने के कारण उन्हें मुक्केबाजी करने पर अनेक ताने सुनने पड़े। लोग उन्हें शॉर्ट्स (खेल के कपड़े) में देखकर निंदा करते थे। वे जिस स्टेडियम में ट्रेनिंग लेती थी वहां केवल वही एकमात्र लड़की थी।
उनके पिताजी ने उनका बहुत साथ दिया तथा हमेशा उन्हें आगे बढ़ने को प्रेरित किया। उन्हें एहसास दिलाया कि जब वह चैंपियनशिप जीत जाएंगी तो यही निंदा करने वाले लोग उनकी तारीफ करेंगे इसीलिए किसी भी प्रकार के सामाजिक दबाव से उन्हें हारना नहीं है।
कंधे में चोट लगना
निखत ज़रीन को 2017 में कंधे में चोट लग गई थी जिसके बाद उन्हें लगा कि वह फिर मुक्केबाजी मे वापसी नहीं कर पाएंगी। उन्होंने हार नहीं मानी और उम्मीद बनाए रखी। एक वर्ष बाद वह पूर्ण रूप से ठीक हो गई।
निखत ज़रीन बनी चैंपियनशिप जीतने वाली पांचवीं महिला
विश्व चैंपियनशिप 2020 के लिए 2019 में चुनाव हो रहा था। उस समय निखत 23 वर्ष की थी। वे भी ट्रायल में हिस्सा लेने गई थी परंतु चैंपियनशिप के लिए मेरीकॉम को बिना किसी ट्रायल के चुन लिया गया।
निखत भी खेलना चाहती थी। उन्होंने ट्रायल के लिए खेल मंत्री को पत्र लिखा। उसके बाद ट्रायल हुए जिसमें मेरीकॉम ने निखत को हरा दिया। मुकाबला होने के बाद जब निखत मेरीकॉम से गले लगने गई तो उन्होंने उसे गले नहीं लगाया। यह विवाद बहुत समय तक सोशल मीडिया पर चला था परंतु आज निखत इन सब चीजों को भूलकर आगे बढ़ गई है।
निखत ज़रीन 2022 ओलंपिक जीत
निखत ने गुरुवार को इस्तांबुल में 52 किलोग्राम कैटेगरी में महिला वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में थाईलैंड की जिटपॉन्ग जुटामस को पराजित करके स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया।
निखत ज़रीन का हमेशा से सपना था कि वह ट्विटर पर प्रसिद्ध हो, इस जीत के बाद उनका सपना पूरा हो गया, इसलिए वह बहुत खुश हैं।
साथ में उन्हें बैंक ऑफ इंडिया में स्टाफ ऑफिसर की नौकरी भी प्राप्त हुई।
निखत जरीन के लंबे जीवनभर के संघर्ष और परिश्रम को एक लेख में समेटना संभव नही है परंतु हमने उनके बारे में महत्वपूर्ण चीजें एवं जानकारियां देने का पूर्ण प्रयास किया है ताकि हम सभी भी उनसे प्रेरणा लेकर जीवन में सभी चुनौतियां को रौंदते हुए आगे बढ़ सकें।
क्या आप भी नन्ही खबर के लिए लिखना चाहते हैं?
संपर्क करें nanhikhabar@gmail.com पर