रवींद्रनाथ टैगोर जयंती
भारत में शायद कोई भी ऐसा नागरिक नहीं होगा जो जन-गण-मन अर्थात भारत के राष्ट्रगान के रचयिता रवींद्रनाथ टैगोर से परिचित ना हो।
भारत में शायद कोई भी ऐसा नागरिक नहीं होगा जो जन-गण-मन अर्थात भारत के राष्ट्रगान के रचयिता रवींद्रनाथ टैगोर से परिचित ना हो।
गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल का छात्र
भारत में शायद कोई भी ऐसा नागरिक नहीं होगा जो जन-गण-मन अर्थात भारत के राष्ट्रगान के रचयिता रवींद्रनाथ टैगोर से परिचित ना हो। उनकी जयंती भारत-बांग्लादेश में 7 से 9 मई तक मनाई जाती है। आज हम उनके जीवन के बारे में जानने का प्रयास करेंगे।
जन्म
रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को जोड़ासांको (बंगाल) में हुआ था। उनके पिता का नाम देवेंद्र नाथ टैगोर तथा माता का नाम शारदा देवी था। रविंद्र नाथ अपने 14 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे।
शिक्षा
रवींद्रनाथ टैगोर बचपन से ही पढ़ने में बहुत कुशल थे। उन्हें बैरिस्टर बनना था। उन्होंने अपनी आरंभिक शिक्षा सेंट जेवियर स्कूल में की थी तथा आगे की शिक्षा के लिए वह 1878 में इंग्लैंड चले गए और लंदन विश्व विद्यालय से कानून की पढ़ाई करके भारत लौट आएं।
रवींद्रनाथ टैगोर- प्रसिद्ध कवि
रवींद्रनाथ टैगोर एक प्रसिद्ध कवि, संगीतकार, उपन्यासकार, निबंधकार होने समेत साहित्य के हर क्षेत्र में आगे थे। उन्होंने 8 वर्ष की उम्र से ही कविता लिखना आरंभ कर दिया था। वहीं16 वर्ष में उनकी पहली कहानी प्रकाशित हुई थी। सन् 1880 मे भारत लौटने के बाद उन्होंने लेखन कार्य फिर से आरंभ कर दिया था।
रचनाएं
अपने जीवन में उन्होंने एक हजार कविताएं, आठ उपन्यास, आठ कहानी संग्रह और विभिन्न विषयों पर अनेक लेख लिखे। इतना ही नहीं रवींद्रनाथ टैगोर संगीतप्रेमी थे और उन्होंने अपने जीवन में 2000 से अधिक गीतों की रचना की।
शांति निकेतन की स्थापना
1901 में बंगाल के एक ग्रामीण क्षेत्र मे टैगोर जी ने उच्च शिक्षा के लिए शांतिनिकेतन की स्थापना की, जो 1921 में विश्व भारती विश्वविद्यालय बन गया।
2 देशों के राष्ट्रगान के निर्माता
हम सभी जानते हैं कि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने जन-गण-मन अर्थात भारत के राष्ट्रगान की रचना की परंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि बांग्लादेश का राष्ट्रगान (आमार सोनार बांग्ला) भी उनके द्वारा लिखा गया है। यहां तक श्रीलंका का राष्ट्रगान भी उनसे प्रभावित है।
प्रथम एशियाई नोबेल पुरस्कार विजेता
उनकी प्रसिद्ध काव्य रचना पुस्तक गीतांजलि के लिए उन्हें 1913 में साहित्य का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे पहले एशियाई नोबेल पुरस्कार विजेता बने। उन्हें ब्रिटिश सरकार ने “सर” की उपाधि से भी नवाजा था लेकिन 1919 में जलियांवाला हत्याकांड के बाद उन्होंने यह उपाधि लौटा दी।
मृत्यु
रवींद्रनाथ टैगोर साहित्य जगत के सूर्य के समान थे। जिनकी मृत्यु प्रोस्टेट कैंसर के कारण 7 अगस्त, 1948 को हो गई। आज वे हमारे बीच नहीं है परंतु उनकी पुस्तकें, गीत, कविताएं आज भी हमारा मार्गदर्शन कर रही है।
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Cherishsantosh, CC BY-SA 4.0 https://creativecommons.org/licenses/by-sa/4.0, via Wikimedia Commons