प्राची द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा

22 मार्च को पूरे विश्व ने जल दिवस मनाया। इसका आयोजन वैश्विक जल संकट और जल के महत्त्व को समझाने के लिए होता है और साथ ही इसका लक्ष्य सतत विकास लक्ष्य 6 (SDG 6) को हासिल करने के प्रयासों में मदद करना यानि की 2030 तक हर व्यक्ति तक पानी व स्वच्छता की पहुँच सुनिश्चित करना है। इस वर्ष जल दिवस की थीम “VALUING WATER”  और कैम्पेन थीम #Water to me रखी गई थी ।

पानी के महत्त्व को समझते हुए दिसंबर 2016 में United Nations General Assembly ने 2018-2028 को “इंटरनेशनल डिकेड फॉर एक्शन वाटर फॉर सस्टेनेबल डवलपमेंट” घोषित किया था।

पानी हमारे घरों, भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य, सँस्कृति व अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। इस वर्ष जल दिवस के अवसर पर युनाइटेड नेशंस वर्ल्ड डवलपमेंट रिपोर्ट भी लॉन्च हूई है। भारत में इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ‘जल शक्ति अभियान: ‘कैच द रैन’ अभियान भी लॉन्च किया गया था।

‘विश्व जल दिवस ‘ मनाने का संकल्प पहली बार सयुंक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 22 दिसम्बर 1992 को लिया गया था। वैश्विक स्तर पर 96.5% पानी महासागरों में उपलब्ध है। मीठे पानी के रुप में ग्लेशियर्स और आइसकैप्स में 68.7%और भौम जल के रुप में 30.1% पानी मौजूद है ।

भारत को प्रत्येक वर्ष वर्षा के जरिए लगभग 4000 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी हासिल होता है। भारत में लगभग 10360 नदियाँ व उनकी सहायक नदियाँ हैं। देश में पुनर्भरणीय भौम जल (Ground water resource) की मात्रा सालाना लगभग 432 क्यूबिक किमी. है। भारत में कुछ राज्य ऐसे हैं जो की बहुत तेज़ी से भूमिजल का दोहन कर रहे हैं, जैसे- पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और तमिलनाडु।

आवासन एवं शहरी मंत्रालय के मुताबिक सालाना प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 2001 में 1816 क्यूबिक मीटर, 2011 में 1545 क्यूबिक मीटर थी, अब यह घटकर 2021 में 1486 क्यूबिक मीटर और 2031 में 1367 क्यूबिक मीटर रहने का अनुमान किया गया है। लगातार बढ़ती जनसंख्या की वजह से भारत में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता में कमी आ रही है।

भारत का वाटर फुट्प्रिंट 983 cubic meter per capita है। वाटर फुट्प्रिंट में किसी वस्तु के उत्पादन और सेवाओं में लगने वाले पानी का मापन किया जाता है। राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्र में एक महिला जल स्त्रोत तक पहुँचने के लिए रोज़ाना लगभग 2.5 किलोमीटर से भी ज्यादा पैदल चलती है।

भारत की 12% जनसंख्या ‘डे जीरो’ की समस्या से ग्रस्त है। डे जीरो का अर्थ होता है किसी शहर के सभी नलों में पानी आना बंद हो जाए।

भारत में जल की कमी का मुख्य कारण जल प्रदूषण है। लोगों के द्वारा कचरे को नदियों में डालने से जल प्रदूषित होता है। भारत के तीन प्रमुख नदी तन्त्र सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र, जल प्रदूषण की समस्या का सामना कर रहे हैं। भारत में लगभग 76 मिलियन लोग ऐसे हैं जिन तक पीने के साफ पानी की पहुँच नहीं है।

भारत में लोग पानी का महत्व न समझते हुए, उसका दुरुपयोग करते हैं जैसे- पानी का नल खुला छोड़ देना, गाड़ी को पीने के पानी से धोना, नहाने के समय फब्बारे का इस्तेमाल आदि।

यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले समय में पूरा विश्व जल के गंभीर संकट का सामना करने वाला है। हम इस समस्या का समाधान वाटरशेड मैनेजमेंट, रेनवाटर हार्वेस्टिंग, वाटर रिसाईक्लिंग जैसे तरीकों को अपनाकर कर सकते हैं।

जल हम सबके लिए महत्वपूर्ण हैं, इसके बिना जीवन असम्भव है इसलिए हमें इसका उपयोग सोच-समझकर करना चाहिए।

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