काश खुशियों की बारिश होती,
जो गमों के बादलों को मिटा सकती
काश खुशियों के घड़े होते
जो गमों की प्यास भुजा सकते
काश खुशियों का अपना घर होता
जहां गम दस्तक न देता
काश खुशियों की बारिश होती, जो गमों के बादलों को मिटा सकती काश खुशियों के घड़े होते जो गमों की प्यास भुजा सकते काश खुशियों का अपना घर होता जहां गम दस्तक न देता काश खुशियों के रंग होते जो गमों के रंगों को रंग सकते तो गम मिट सकते काश ऐसा हो पाता तो हर जगह खुशियाँ और खुशियों की बूंदें होती तो हम उन बूंदों में भीग कर और उन खुशियों की बूंदों को एकट्ठा कर जब गमों के बादल आते तो उड़ेल देते काश ऐसा हो पाता मगर कहते हैं न कोई काम असंभव नही है ऐसा एक दिन अवश्य होगा जहां खुशियों प्रकाश होगा और गमों का अंधेरा मिट जाएगा।
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