स्मोग टॉवर क्या होते हैं?
स्मोग टॉवर एक बहुत बड़ा एयर प्योरीफ़ायर होता है| इसका आकार चिमनी जैसा होता है जो रैडीमेड कंक्रीट से भी बनाई जा सकती है| यह अपने आस पास की प्रदूषित हवा और उसके कणों को सोख लेता है और बदले में साफ हवा पर्यावरण में छोड़ता है|
स्मोग टॉवर एक बहुत बड़ा एयर प्योरीफ़ायर होता है| इसका आकार चिमनी जैसा होता है जो रैडीमेड कंक्रीट से भी बनाई जा सकती है| यह अपने आस पास की प्रदूषित हवा और उसके कणों को सोख लेता है और बदले में साफ हवा पर्यावरण में छोड़ता है|
आशु द्वारा लिखित, 20 साल की छात्रा
स्मोग टॉवर एक बहुत बड़ा एयर प्योरीफ़ायर होता है| इसका आकार चिमनी जैसा होता है जो रैडीमेड कंक्रीट से भी बनाई जा सकती है| यह अपने आस पास की प्रदूषित हवा और उसके कणों को सोख लेता है और बदले में साफ हवा पर्यावरण में छोड़ता है|
देश की राजधानी दिल्ली में भी ऐसे स्मोग टॉवर्स लगाने के लिये सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दे दिया है| बताया जा रहा है कि दिल्ली में लगने वाले स्मोग टॉवर्स की क्षमता रोज़ 32 मिलियन कूबिक मीटर हवा को साफ करने की होगी|
स्मोग टॉवर कैसे हवा को साफ करते हैं –
स्मोग टॉवर में फ़िल्टर लगे होते हैं| यह अपने आस पास की गंदी हवा को सोख लेता है और फिर फ़िल्टर की मदद से हवा को साफ करता है| एक बार जब हवा साफ हो जाये तो ये उसे वापस पर्यावरण में छोड़ देता है|
एक स्मोग टॉवर जितना बड़ा होगा, उतनी ही उसकी हवा को साफ करने की क्षमता अधिक होगी| ये घरों में लगने वाले आम प्योरीफ़ायर की तरह ही बिजली से चलते हैं| इन्हें चलाने के लिये सोलर पॉवर का उपयोग भी किया जाता है|
पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे कणों को प्रदुषण का मुख्य कारक माना जाता है| स्मोग टॉवर इन्हीं हानिकारक कणों को हवा से अलग करके हवा को साफ करने का काम करता है| इनमें H14 ग्रेड हाईली इफेक्टिव पर्टिकुलेट अरेस्ट (HEPA) फ़िल्टर का उपयोग किया जाता है| ये फ़िल्टर हवा में से 99.99% पर्टिकुलेट मैटर को साफ कर सकता है|
सबसे पहले कहाँ लगाया गया स्मोग टॉवर?
सबसे पहले स्मोग टॉवर चीन में लगाया गया था| चीन की राजधानी बीजिंग और उत्तरी शहर ज़ियान में दो स्मोग टॉवर हैं| ज़ियान का टॉवर दुनिया का सबसे बड़ा टॉवर है|
बीजिंग में लगाया गया टॉवर हवा को साफ करने के दौरान जो कार्बन कचरा निकलता है, उसे रत्नों में बदल देता है| आधे घंटे के बाद स्मोग कण रत्नों में बदल जाते हैं | बाद में इन रत्नों का उपयोग छल्ले आदि बनाने में किया जा सकता है|
कैसे बना स्मोग टॉवर?
नीदरलैंड के डैन रोज़गार्टर कुछ साल पहले बीजिंग में थे| उस वक़्त चीन में प्रदुषण के कारण हर जगह धुंध ही धुंध थी| सब कुछ काला नज़र आता था| डैन ने अपने होटल की खिड़की के बाहर देखा तो उन्हें कुछ भी साफ नज़र नहीं आया| इसके बाद अपने देश में वापिस आने पर उन्होंने कुछ ऐसा बनाने के बारे में सोचा जो हवा को साफ कर सके| इसके लिये उन्हे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की मदद लेनी पड़ी| उनकी सहायता से दुनिया का पहला स्मोग टॉवर बनाया गया|
दिल्ली में लगने वाला पहला स्मोग टॉवर –
2020 की शुरुआत में दिल्ली के लाजपत नगर की मार्केट में प्रदुषण को देखते हुए पहला स्मोग टॉवर लगाया गया था| इसकी क्षमता 750 मीटर तक के क्षेत्र की हवा को साफ करने की थी|
पूर्व क्रिकेटर और पूर्वी दिल्ली के भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने दिल्ली के लाजपत नगर में इस स्मोग टॉवर का उदघाटन किया था| इस टॉवर की ऊँचाई 20 फीट थी और यह लगभग 7 लाख रुपए में बनकर तैयार हुआ था| इसके अलावा इस पर हर महीने 30 हज़ार रुपए खर्च करने की जरूरत है|
दिल्ली सरकार भी स्मोग टॉवर लगाने के ओर प्रयास कर रही है| इस बार सरकार स्मोग टॉवर को कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में लगाने पर विचार कर रही है| इसमे IIT- दिल्ली, IIT- बॉम्बे और मिनेसोटा यूनिवर्सिटी को शामिल किया जा रहा है|