मेरी कलम क्या लिखेगी उन वीरों की कहानी,
जिनकी कुर्बानी से सुरक्षित है हम सबका बचपन, बुढ़ापा एवं जवानी।
स्वतंत्रता संग्राम में अनेक वीरों ने दी कुर्बानी है,
उनकी वीरगाथाओं को याद करके आ जाता आंखों में पानी है।
मेरी कलम क्या लिखेगी उन वीरों की कहानी, जिनकी कुर्बानी से सुरक्षित है हम सबका बचपन, बुढ़ापा एवं जवानी। स्वतंत्रता संग्राम में अनेक वीरों ने दी कुर्बानी है, उनकी वीरगाथाओं को याद करके आ जाता आंखों में पानी है।
वे फूल से जन्मे थे इस वतन में , भारत माता का आंचल महका गए। सरहद पर मरते मरते भी वे, शौर्य और पराक्रम का पाठ हमें पढ़ा गए। हिमालय पर्वत भी जिनको दे रहा सलामी था , वह वीर कोई और नहीं दोस्तों सैनिक हिंदुस्तानी था।
शायद जब सभी युवाओं ने सपनों में देखा सुखद जवानी था, तब उनके लिए भारत माता के सिवा कुछ सोचना भी देश से बेईमानी था। जिनके लिए प्रेम का अर्थ ही देश के लिए कुर्बानी था, उन वीर सपूतों की किस प्रकार हम गाथा गायें, जिनके लहू का हर कत्तरा कत्तरा बलिदानी था। उनके लहू में खौल रहे जोश के अंगारों से, हिमालय का बर्फ भी पिघलकर बन जाता पानी था।
उनकी संगनिया भी रोई होंगी उनसे बिछड़ते वक़्त, उनकी माताओं का भी हृदय भी कांपा होगा उन्हें विदा करते वक़्त।
उनकी बहनों को भी रक्षाबंधन पर याद आई ,भाई की सूनी कलाई होगी। जब सभी भाइयों ने अपनी बहनों को रक्षा का वचन दिया होगा तब उनकी बहनों ने अपने भाई की सलामती की दुआ बुदबुदाई होगी।
इन सभी गमों को भूलाकर ,परिवार की यादों को दिल में दफनाकर । उन वीर सैनिकों ने भारत मां की रक्षा की कसम खाई होगी। मृत्यु से डरें नहीं वे वीर, ऐसा लगा मृत्यु के भय को बचपन में ही मार दिया हो। उन्होने जब बंदूक उठाई ,ऐसा लगा समर भूमि में शेरों ने दहाड़ दिया हो। गोली खाकर भी वे आगे आगे बढ़ते रहे, सिकंदर के जैसे वह अंत तक जंग में लड़ते रहे।
उनके घावों को देखकर अंबर भी करहाया होगा, रोया होगा संपूर्ण संसार जब उनका अंतिम समय आया होगा। क्या बताएं हम उस बलिदानी और साहसी की पहचान , और कुछ नहीं दोस्तों वीर हिंदुस्तानी सैनिक है उसका नाम।
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