राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है और कौन करता है?
एक लोकतांत्रिक देश में चुनाव की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। नियमित और निष्पक्ष चुनाव ही एक देश को लोकतंत्र बनाता है।
गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा
एक लोकतांत्रिक देश में चुनाव की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। नियमित और निष्पक्ष चुनाव ही एक देश को लोकतंत्र बनाता है। भारत की बात करें तो जल्दी ही भारत में वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल समाप्त होने वाला है तथा राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने वाले हैं। राष्ट्रपति चुनाव आजकल बहुत चर्चा में हैं तो आज हम राष्ट्रपति के पद, शक्तियों, चुनाव प्रक्रिया पर बात करेंगे।
राष्ट्रपति पद
सबसे पहले हम राष्ट्रपति एवं स्थिति के बारे में मूलभूत बातें जानने का प्रयास करते हैं। भारत में राष्ट्रपति को कार्यापालक एवं अध्यक्ष के रूप में देखा जाता है। उसे भारत का सर्वोच्च नागरिक भी माना जाता है। राष्ट्रपति का पद भारतीय संविधान के 53 अनुच्छेद में वर्णित है। राष्ट्रपति को राष्ट्रप्रमुख माना जाता है तथा राष्ट्रपति जी राष्ट्रपति भवन में रहते हैं। राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है तथा उनका मासिक वेतन ₹500000 होता है।
राष्ट्रपति की शक्तियां
राष्ट्रपति के पास कार्यपालिका, विधायी, न्यायी, वित्तीय, सैन्य, राजनायिक, आपातकालिक एवं वीटो शक्तियां आदि प्राप्त होती हैं जो राष्ट्रपति पद को बहुत विशेष बना देती हैं। हम एक – एक करके सभी शक्तियों के बारे में संक्षिप्त में जानने का प्रयास करेंगे।
राष्ट्रीय आपातकाल
अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रपति बाहरी आक्रमण युद्ध एवं विद्रोह की स्थिति में आपातकाल घोषित कर सकता है।
राष्ट्रपति शासन
संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राज्य में अव्यवस्था होने एवं राज्यपाल के आग्रह करने पर राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है जहां सारी शक्तियां राष्ट्रपति के पास आ जाती हैं।
वित्तीय आपातकाल
अनुच्छेद 360 के तहत देश के किसी भी भाग में भी वित्तीय संकट होने पर वित्तीय आपातकाल राष्ट्रपति द्वारा ही लागू किया जाता है।
अन्य शक्तियां
भारत के राष्ट्रपति को अन्य राजनायिक, विदेशी मामलों में सूचना लेने, वीटो पावर द्वारा किसी भी कानून को रोकने की शक्तियां प्राप्त होती हैं।
राष्ट्रपति का चुनाव
इस वर्ष भी 15 जून को राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरु करी गई और 18 जुलाई को चुनाव होंगे। चुनाव के नतीजे 21 जुलाई को घोषित किए जाएंगे एवं 25 जुलाई को राष्ट्रपति को शपथ दिलाई जाएगी। अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि राष्ट्रपति के चुनाव भी अन्य चुनावों जैसे होते हैं या नहीं? बता दें कि राष्ट्रपति के चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के एकल संक्रमणीय मत प्रणाली से होता है जोकि सामान्य चुनाव प्रणाली से अलग है।
उम्मीदवार की योग्यता
हर पद के नियुक्ति के लिए उम्मीदवार की कुछ योग्यताएं होनी आवश्यक होती हैं। राष्ट्रपति पद के लिए भी कुछ योग्यताएं हैं जिसमें उम्मीदवार भारत का नागरिक होना चाहिए। उम्मीदवार की आयु 35 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। उम्मीदवारी किसी सरकारी पद पर नहीं होना चाहिए और लोकसभा सदस्य बनने योग्य होना चाहिए।
भारत में राष्ट्रपति चुनाव के लिए हमारे द्वारा चुने गए सांसद एवं विधायक वोट डालते हैं। जहां वोट के लिए सांसदों को हरे रंग एवं विधायकों को गुलाबी मतपत्र दिए जाते हैं एवं एक पेन भी दिया जाता है उसी पेन से लिखा हुआ मतपत्र स्वीकार होता है किसी अन्य पेन से लिखा हुआ मतपत्र स्वीकार नहीं किया जाता।
इस चुनाव में बाकी चुनाव की तरह किसी एक को वोट नहीं देना होता है। इस चुनाव में वह अपनी वरीयता के अनुसार उम्मीदवारों को वोट देते हैं। उदाहरण स्वरूप सबसे अधिक पसंद उम्मीदवार को पहली वरीयता उसके बाद वाले को दूसरी वरीयता, उसके बाद वाले को तीसरी वरीयता आदि।
इस चुनाव में सबसे अधिक वोट प्राप्त करने वाला उम्मीदवार नहीं जीतता है। उसकी जगह एक कोटे से अधिक वोट प्राप्त करने वाला उम्मीदवार ही जीतता है। जिसमें जीतने के लिए उम्मीदवार को कुल वोट करने वाले के दिए गए वोट में से आधे से एक अधिक प्राप्त करना होता है।
अगर किसी को भी कोटे से अधिक वोट प्राप्त नहीं होता तो सबसे अंतिम अर्थात सबसे कम वोट प्राप्त करने वाले प्रतिभागी के वोटों को बाकी उम्मीदवारों में बांट दिया जाता है तथा उस उम्मीदवार को बाहर निकाल दिया जाता है।
राष्ट्रपति का पद भारत के संविधान में बहुत महत्वपूर्ण रूप से वर्णित है तथा राष्ट्रपति इस देश की व्यवस्था में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं इसीलिए राष्ट्रपति चुनाव के बारे में हम सब की जागरूकता बहुत आवश्यक है।
हमें आशा है कि आपको राष्ट्रपति चुनाव, राष्ट्रपति के पद एवं उसकी विशेष शक्तियों के बारे में जानकारी प्राप्त हुई होगी।
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