मैडम मैरी क्यूरी का जन्म ७ नवंबर १८६७  को पोलैंड के वार्सा में हुआ था। मैरी के माता-पिता अध्यापक थे इसलिए इनका बचपन शिक्षा के वातावरण में ही व्यतीत हुआ था। १६ वर्ष की आयु में इन्होने हाईस्कूल उत्तीर्ण किया जिसमे बहुत अच्छी अंकों से परीक्षा पास करने के लिए इनको स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। मैरी (Marie Curie) चाहती थी कि वह विज्ञान विषय लेकर विश्वविद्यालय में अध्ययन करे किन्तु वारसा विश्वविद्यालय में उन दिनों महिला छात्रों को प्रवेश नहीं दिया जाता था। माता-पिता साधारण अध्यापक थे जिससे घर का निर्वाह हो रहा था। मैरी की एक बड़ी बहिन थी जिसका नामा ब्रोन्या था, वह भी उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाना चाहती थी। दोनों ने ट्यूशन पढ़ाकर विदेश जाने के लिए धन एकत्रित करना आरम्भ कर दिया और अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए पेरिस के सोरबोन विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए गए। फिजिक्स और गणित में अपनी डिग्री प्राप्त करने के बाद, मैरी (Marie Curie) , विश्वविद्यालय में रिसर्च (Research) भी कर रही थी। उन्होंने गैब्रियल लिपमन (Gabriel Lipman) , एक फिजिसिस्ट (Physicist / Scientist) की लेबोरेटरी (Laboratory) में काम करना शुरू किया। उन्होंने पेरिस में कई प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के साथ बातचीत की और १८९४ में अपने पति, पियरे क्यूरी / Pierre Curie से मुलाकात हुई।

धातुओं पर मैग्नेटिक इफ़ेक्ट (magnetic effect) का रिसर्च करके सफलता प्राप्त की। उसने इस रिसर्च को राष्ट्रीय संस्था को दे दिया। मैरी को विश्वविद्यालय में कार्य करने के लिए फेलोशिप (fellowship) मिल गयी। उसे डॉक्टरेट के लिए किसी एक विषय पर काम करना था। उस समय एक्स किरणों (X-Ray) की खोज हो चुकी थी। एक फ्रांसीसी वैज्ञानिक प्रो. बैकरेल (Beckrel) यूरेनियम की खोज कर रहे थे। मैरी को यह विषय आगे ले जाने की रूचि थी। इसलिए उसने इस यूरेनियम पर अपने डॉक्टरेट करने का सोचा।

उसने और पियरे क्यूरी ने एक साथ काम किया और १८९८ में, उन्होंने रेडियोएक्टिव तत्व पोलोनियम (Polonium) की खोज की और इस नए आविष्कार का नाम पॉलोनियम (Polonium) , अपने जन्मभूमि के याद में रखा। उसी वर्ष, उन्होंने तत्व रेडियम की खोज की, रिसर्च से पाया कि यूरेनियम की मात्रा काम करने पर भी उसकी रेडियोएक्टिव कम नहीं होती है। १९०३ में मैरी, पियरे और एक वैज्ञानिक को फिजिक्स में नोबेल प्राइज पुरस्कृत मिला। १९०४ में, मैरी क्यूरी अपने पति की लेबोरेटरी (Laboratory) में मुख्य सहायक बन गईं।

मेरी और पियरे की दो बेटियाँ, इरीन और ईव क्यूरी थीं। १९०६ में पियरे क्यूरी की अचानक मौत के बाद, मैरी ने अपना सारा समय वैज्ञानिक कार्यों के लिए समर्पित कर दिया और पेरिस विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद को संभालने वाली पहली महिला बन गईं। उसने रेडियोएक्टिव पर अपना शोध जारी रखा और तत्व रेडियम को अलग करने पर ध्यान केंद्रित किया। वह और साथी रसायनज्ञ आंद्रे-लॉइस डेबेरने ने १९१० में अपने धातु रूप में सफलतापूर्वक रेडियम को अलग कर दिया। रसायन (Chemistry) विज्ञान के क्षेत्र में रेडियम और पॉलोनियम पर आविष्कार करके, उन्होंने १९११ में अपना दूसरा नोबेल पुरस्कार जीता। वह विश्व में पहली महिला है जिन्हे नोबल प्राइज दिया गया और कुछ गिने चुने लोगों में है जिन्हे दो-दो बार नाबेल प्राइज मिला है। आश्चर्य है कि यह १९११ सदी की बात है!

क्यूरी ने प्रथम विश्व युद्ध में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी। उन्होंने जीवन को बचाने के तरीकों को विज्ञान के अपने ज्ञान का उपयोग किया। एक्स-रे की खोज उस समय हुई जब मैरी क्यूरी ने पहली बार रेडियोएक्टिव पर अपना रिसर्च शुरू किया था। एक्स-रे मशीनें मानव शरीर में आंतरिक चोटों का पता लगाकर जान बचा सकती थीं। लेकिन वे केवल बड़े अस्पतालों में पाए गए थे और युद्ध के मैदान में सैनिकों के लिए उपलब्ध नहीं थे, जहाँ उन्हें सबसे अधिक आवश्यकता थी। क्यूरी ने डॉक्टरों द्वारा युद्ध के मैदान में सर्जरी करने के लिए आवश्यक एक्स-रे मशीन से लेज़र मशीन लगाकर इस समस्या को हल किया। फ्रांस की महिलाओं के संघ और फ्रांस में धनी महिलाओं ने पहली एक्स-रे कार के लिए धन प्रदान किया। उसने और उसकी बेटी इरीन ने कई महिलाओं को एक्स-रे मशीन चलाने की विधि का ट्रेनिंग दिया और मैरी क्यूरी ने ख़ुद ऐसे एक वाहन को युद्ध के मोर्चे पर पहुँचाया। डॉ। १९२१ में, क्यूरी ने संयुक्त राज्य की यात्रा की, जहाँ उन्होंने कई वैज्ञानिक सम्मेलनों में भाग लिया।

लंबे समय तक रेडिएशन से एक्सपोज़ होने के कारण मैरी क्यूरी का १९३४ में ६७ वर्ष की आयु में निधन हो गया। उसने कैंसर के इलाज़ के लिए रेडिएशन थेरेपी (Radition therapy) की उन्नति के लिए मानवता के लाभ के लिए अपने शोध का उपयोग करने के लिए चुना। उनके काम ने साइंटिस्ट (scientist) की आनेवाली पीढ़ियों को प्रेरित किया है और वह पहली महिला वैज्ञानिक बनकर सभी विज्ञानं के विद्यार्थियों के लिए उल्लेखनीय है।

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