मनीषा द्वारा लिखित, कक्षा 9 की छात्रा

आजकल की इस भागती दौड़ती जिंदगी में हम इतने फास्ट हो गए हैं कि, हम सभी अपने सारे काम दो मिनट में करना चाहते हैं नहाने से लेकर खाने तक।

वो कौन सी चीज़ है जिसे बच्चे, बड़े या फिर बूढ़े सभी बड़े चाव से खाते हैं? वो कौन सी चीज़ है, जो सिर्फ दो मिनट में बनकर तैयार हो जाती है?

मैगी दो मिनट में बनने वाली टेस्टी के साथ साथ पोषण से भरपूर खाना है, जिसने सभी लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई हुई है।

मैगी का इतिहास :-

9 अक्तूबर 1846 में जब मैगी के फाऊंडर और जिनके कारण मैगी का नाम मैगी पड़ा, जुलियस मैगी का जन्म स्विट्जरलैंड में हुआ था। जुलियस अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने पिता के साथ उनकी आटे की मील संभालने लगे। उस समय उनके पिता का कारोबार बहुत बड़े स्तर पर चल रहा था। पर समय बीतने के साथ उनका कारोबार मन्दा होता चला गया। फिर जुलियस मैगी ने कुछ और काम करने के बारे में सोचा। उस समय ओद्योगिक क्रांति (Industrial  revolution) की शुरुआत हो रही थी। बहुत सारे नए कारखाने खुल रहे थे, और पुराने कारखानों को नए कारखानों में बदला जा रहा था।

उस समय कारखानों में काम करने वाले मजदूरों के पास समय की व्यस्तता होने के कारण खाने के लिए भी बहुत कम समय मिलता था। इसलिए उनकी यह समस्या सुलझाने के लिए जुलियस मैगी ने अपने फिजिसियन दोस्त फ्रीडोलिन शूलर के साथ मिलकर 1884 में आटे से बने उत्पाद बेचना शुरू किया, लेकिन वे असफल हो गए। 1886 में उन्होंने रैडी टू यूज सूप उत्पाद बनाने शुरू किया।

इसमें ये सूप लेगुम्स के मील से बना हुआ था, जिसमें प्रोटीन भरपूर भरा हुआ था, और ये धीरे-धीरे लोगों को पसंद भी आने लग गया। आगे चलकर मैगी नेस्टले के साथ मिल गई। नेस्टले की शुरुआत 1866 में हुई थी, उस समय नेस्टले छोटे बच्चों के लिए दूध से बनी चीज़ों को बनाती थी। नेस्टले के साथ मिलने के कारण मैगी का खूब प्रचार किया गया, जिसमें दिखाया गया ये पोषित आहार (nutritious food) उन लोगों के लिए है जिनको खाने के लिए समय नहीं मिल पाता है। 2 मिनटों में बनने के कारण लोंगो को यह बहुत पसंद आने लग गई। देखते ही देखते मैगी की पोपुलेरिटी बढ़ गई।

भारत में शुरुआत:-

मैगी ने भारत में 1982 में कदम रखा था। पर किसको पता था कि मैगी को सबसे ज्यादा प्यार भारत के लोगों से मिलेगा। भारत में इसका प्रचार टू मिनट नूडल के रुप मे किया गया। देखते ही देखते मैगी की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत केवल भारत में ही होने लगी। मतलब केवल भारत में ही 100 में से 75 लोग मैगी खाने लगे।

मैगी पर प्रतिबंध:-

2015 में मैगी की बिक्री पर प्रतिबंध लग गया था, क्योंकि कुछ लैब टेस्टो में मैगी में ज्यादा मात्रा में लेड पाया गया था। नेस्टले ने इस प्रतिबंध पर विरोध जताया क्योंकि केवल भारत में ही किए गए टेस्टों मे ही लेड की मात्रा ज्यादा बताई जा रही थी। इसके बाद मुंबई, हैदराबाद, पंजाब और जयपुर की हाईकोर्ट ने मैगी को दोबारा लैब टेस्टिंग के लिए भेजा, तो मैगी एकदम सुरक्षित पाई गई।

मैगी दोबारा बाज़ारों में आई, लेकिन इससे मैगी की खरीददारी पर असर पड़ा। पर अब शायद सभी लोगों ने फिर से मैगी को अपना लिया है।

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