हर्षिता गुप्ता द्वारा लिखित, सुमेरमल जैन स्कूल कीकक्षा 9 की छात्रा
भगवान में है महा ज्ञान l है वह बहुत बलवान ll नीलकंठ के शीश पर बहे निरंतर गंग l ऐसे प्रभु को देख कर मन में उठे उमंग ll सुनते सबकी पर कुछ न कहते l उनकी महिमा अपरंपार ll कर देते सबका उद्धार l माता के होते हैं कितने स्वरूप, हे माता तू ही चंडी, तू ही काली, तू ही भवानी, तू ही कल्याणी, करोड़ों है नाम तेरे, करोड़ों है काम तेरे l तू ने ही संभाला है जब-जब मैं हूं टूटा , तेरे सिवा यहां हर कोई है झूठा ll जब-जब हूं मैं बाबा हारा श्याम तूने दिया सहारा ll जब-जब ना मिला किनारा, श्याम तूने पार उतारा दुनिया ने रुलाया, श्याम ने हंसाया, जीवन ही बदल गया उस दिन से, जब सब दुनिया ने ठुकराया…… और मेरे मुझे अपना बनाया ll
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