दैविक गुप्ता द्वारा लिखित, सुमेरमल जैन स्कूल काकक्षा 6 का छात्र
भगवान में है महा ज्ञान। है वो बहुत बलवान। गिराए है उन्होंने बड़े से बड़े पहलवान।। भगवान जीवन की अमृत की धार है। जिसको ध्यान करने से बेड़ा ही पार है। कर देते वह हर काम को साकार है।। कृष्ण जी ने लिया इस धरती पर अवतार। उस कंस जैसे पापियों का करने के। लिए संघार।। माता के होते के है कितने रूप। हे माता तेरे कितने स्वरूप।। एक है चण्डी तो एक है महाकाली। हर क्षण करती भक्तों की रखवाली।। मैं भी इक सौगंध राम की खाता हूँ मैं गंगाजल की कसम उठाता हूँ।। मेरी भारत माँ मुझे वरदान है। मेरी पूजा ही मेरा अरमान है।। मेरा भारत धर्मस्थान है। मेरा राम तो मेरा हिंदुस्तान है।।
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