गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा

किसी भी देश का परिवहन तंत्र देश की धमनियां मानी जाती हैं क्योंकि परिवहन तंत्र ही पूरे देश को जोड़ने में मदद करती है इसीलिए विश्व के सभी देश अपने परिवहन तंत्र को मजबूत करते हुए नजर आते हैं तथा इसके लिए विविध प्रकार की आधुनिक तकनीकों के प्रयोग में भी लगे हुए हैं। इस मामले में चीन पूरे विश्व में आगे हैं। चीन अपनी विशिष्ट तकनीकों का प्रयोग करके अपने परिवहन तंत्र को लगातार बेहतरीन बनाते जा रहा है और अभी कुछ समय पहले ही चीन ने तैरती हुई ट्रेन बनाई है और सम्पूर्ण विश्व को अपनी तकनीक और आधुनिकता का दबदबा दिखा दिया है। आज हम चीन की तैरती हुई ट्रेन के बारे में जानेंगे।

मैगलेव ट्रेन

चीन ने एक विशेष ट्रेन का निर्माण किया है। आप कहेंगे तो इसमें खास क्या है? ट्रेन ही तो है, तो ध्यान दीजिए यह ट्रेन पहियों पर चलने के बजाएं हवा में तैरती हुई प्रतीत होती है और इसका नाम मैगलेव ट्रेन रखा गया है।

इस ट्रेन का निर्माण बहुत लंबे समय से हो रहा है। बहुत सालों की मेहनत के बाद कुछ दिनों पहले ही चीन ने इस ट्रेन का खुलासा विश्व के सामने किया है।

कैसे तैरती है यह ट्रेन?

आपके मस्तिष्क में सवाल रहा होगा कि धरती पर गुरूत्वाकर्षण बल होने के बावजूद यह ट्रेन हवा में कैसे उड़ती है?‌ तो आपको बताते हैं कि यह ट्रेन किसी जादू से नहीं चल रही और हवा में यूंही नहीं उड़ती है, इसके लिए इसमें बहुत सारी आधुनिक चुंबकीय तकनीकों का प्रयोग किया गया है जिसे विद्युत चुंबकीय बल कहा जाता है। इस ट्रेन में चुंबक के तारों का प्रयोग किया गया है जिससे ट्रेन पटरी को छुए बिना ही चलती है और उड़ती हुई प्रतीत होती है इसलिए इसे फ्लोटिंग ट्रेन भी कहा जा रहा है।

ट्रेन की विशेषताएं

इस ट्रेन को विभिन्न नामों से जाना जा रहा है जैसे मैगलेव ट्रेन, फ्लोटिंग ट्रेन तथा रेड रेल आदि।

यदि हम इस ट्रेन के निर्माण स्थल की बात करें तो वह चीन के दो शहरी क्षेत्र शंघाई तथा बीजिंग को जोड़ने के लिए बनाया गया है।

इस ट्रेन की रफ्तार 600 किलोमीटर प्रति घंटा है जोकि एक सामान्य ट्रेन से बहुत अधिक है इसलिए यह ट्रेन चीन के लोगों के समय की बचत करेंगी।

यह ट्रेन मैगनेटिक टेक्नोलॉजी से चलती है इसीलिए इसमें बहुत अधिक आवाज नहीं आती और साथ में ऊर्जा को भी बचाना संभव है।

क्या चीन में ऐसी ट्रेन पहले भी बनी?

चीन में मैगलेव ट्रेन और भी हैं परंतु उनकी रफ्तार बहुत कम थी जैसे 2003 में बनाई गई ट्रेन की अधिकतम स्पीड 431 किलोमीटर प्रति घंटा थी परंतु अभी निर्मित ट्रेन 600 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलती है।

जाने और कौन कौन से देश हैं इस ट्रेन को लाने की तैयारी में?

विश्व के अन्य देश भी चीन की इस तकनीक से प्रभावित हुए हैं तथा इसी तरह की ट्रेन निर्मित करने की सोच रहे हैं।

भारत, जापान और जर्मनी आदि देश भी इसी प्रकार की ट्रेन अपने देश में उपयोग करना चाहते हैं ताकि समय और ऊर्जा बचाया जा सके।

यह ट्रेन पटरियों की बजाय हवा में चलती हैं इसीलिए इस तकनीक के प्रयोग से ऊर्जा बचाया जा सकती है, साथ ही ध्वनि प्रदूषण को भी रोका जा सकता है।

भारत की नीति

भारत भी मैगलेव ट्रेन को अपने देश में लाने की सोच रहा है। इसके लिए सरकारी इंजीनियरिंग कंपनी बीएचईएल ने स्वीटजरलैंड की बहुत प्रसिद्ध रेल निर्माण कंपनी के साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया है ताकि वह मैग्लेव ट्रेन को भारत में ला सकें।

आशा है आपको यह खबर नई तथा रूचिपूर्ण लगी होगी। हम इसी प्रकार की खबरों के साथ फिर मिलेंगे।

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