कक्षा 11 की छात्रा द्वारा लिखित

केरल की राजधानी त्रिवेंद्रम में स्थित पद्मनाभस्वामी मंदिर अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है और भारत के 108 पवित्र विष्णु मंदिरों में से एक है । हाल ही में, सूप्रीम कोर्ट ने मंदिर को कौन संभालेगा उसपर अपना फैसला सुनाया और मंदिर के शाही परिवार को ‘ शेबैतशिप’ (shebaitship) नियुक्त किया । ‘शेबैत’ हिन्दी के शब्द ‘सेवा’ से लिया गया है और उस व्यक्ति के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो भगवान की सेवा करता है ।

हालांकि, आखिरी निर्णय 2011 के फैसले को अलग रखकर किया गया, जिसके अनुसार, मंदिर की देखभाल और संपत्ति पर सरकार का पूरा नियंत्रण होना चाहिए ।

तो अभी तक मंदिर की देख रेख किसने की ?

कई वर्षों से, मंदिर के शाही परिवार के उत्तराधिकारीयों ने इसको संभाला है । हालांकि, जब 1991 में त्रावणकोर के शासक चितिरा वर्मा का निधन हुआ, तो वारिस के न होने के कारण प्रशासन उनके छोटे भाई के पास चला गया । आईपीएस अधिकारी टी.पी. सुंदरराजन ने इसके खिलाफ याचिका दायर कर दी । सरकार को भी ऐसा लगा कि शासक के छोटे भाई का है मंदिर पर नियंत्रण करने का कानूनन कोई हक नहीं है ।

2011 में केरल उच्च न्यायालय ने सरकार के दावों का साथ देकर फैसला सुनाया था । इसलिए अब मंदिर की संपत्ति का नियंत्रण सरकार के पास चला गया । तो तुरंत शाही परिवार ने फैसले के खिलाफ अपील दायर कर दी । उनका कहना था कि प्रथा के अनुसार, मंदिर को संभालने का अधिकार उनका होना चाहिए । इसके अलावा उन्होने कहा कि मंदिर जनता के लिए है । यह अंतिम शासक की वसीयत में भी लिखा था जिसका कहना था कि मंदिर ‘व्यक्तिगत संपत्ति’ नहीं है ।

कानूनी प्रक्रिया के दौरान, मंदिर के वौल्ट से सभी वस्तुओं की सूची बनाने के लिए अदालत ने दो एमिकस क्यूरिया (amicus curiae) (किसी मामले पर अपनी विशेषज्ञता प्रदान करके अदालत में सहायता करने वाले) भी नियुक्त किए । हालांकि, मंदिर की पूरी देखभाल और प्रशासन शाही परिवार के पास है, लेकिन अब कानून के द्वारा ‘मंदिर के मामलों’ की देखभाल के लिए एक प्रशासनिक समिति को नियुक्त कर दिया गया है ।