प्राची द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा

“हुँकारो से महलों की नींव उखड़ जाती,

साँसों के बल से ताज हवा में उड़ता है,

जनता की रोके राह, समय में ताव कहाँ?

वह जिधर चाहती,काल उधर ही मुड़ता है।”

– रामधारी सिंह दिनकर

जनता का गुस्सा, क्रोध जब बढ़ता है तो सरकार के खिलाफ प्रदर्शन होते हैं, रैलियाँ होती है, नारेबाजी होती है। कुछ ऐसा ही हो रहा है, इन दिनों हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में।

पाकिस्तान में जनता सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है।

प्रदर्शन का मुख्य कारण:

कोरोना (COVID-19): कोरोना जैसी महामारी ने पूरे विश्व में सभी को अस्त-व्यस्त कर दिया है। कोरोना की वजह से बहुत लोगों का नुकसान हुआ।लोगों ने अपने करीबियों को खोया। पकिस्तान में भी कोरोना की वजह से हज़ारों लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी। लोगों का मानना है कि सरकार ने कोरोना से बचने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए और न ही सुरक्षा के इंतजाम किए। जिससे लोगों को बहुत नुकसान उठाना पड़ा।

महंगाई: महंगाई एक बहुत ही बड़ा कारण है, जनता के क्रोध का। पाकिस्तान में पिछले कुछ महीनों से सभी वस्तुओं की कीमतों ने आसमान छू लिया है। खाने की रोटी की कीमत इतनी बढ़ गयी है कि कुछ लोग उसे खरीद ही नहीं सकतें है। खाने-पीने की चीजों की बढ़ती कीमतें लोगों में सरकार के खिलाफ़ आक्रोश का सबसे महत्वपूर्ण कारण है।

सेना: पाकिस्तान की सेना का सरकार में हस्तक्षेप पहले से ही रहा है। जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ द्वारा सेना का तख्तापलट पाकिस्तान पहले ही देख चुका है। इस बार के जनरल जावेद बाजवा का सरकार मे दखलंदाजी लोगों को पसंद नहीं आ रही है, लोगों का मानना है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को सरकार में सेना द्वारा लाया गया है, इसीलिए इमरान खान की सरकार ने जनरल बाजवा का कार्यकाल तीन वर्षों के लिए बढ़ा दिया है।

क्या है PDM (पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट):

लोगों का मानना है कि सेना की मदद से 2018 में हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद के चुनोवों में सेना ने चुनावों में धांधली कर इमरान खान को प्रधानमंत्री बना दिया। सरकार पर पूरा नियंत्रण सेनाध्य्क्ष जनरल जावेद बाजवा का है और देश में सेना का शासन चल रहा है।

इसलिए पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ और पूर्व राष्ट्रपति असिफ़ अली जरदारी और विपक्ष के अनेक नेताओं को जेल में बन्द कर दिया गया।

कुछ दिनों पहले देश के सारे विपक्षी दलों ने एकजुट होकर PDM (पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट) नाम का गठबंधन बनाया। इस मोर्चे में पाकिस्तान मुस्लिम लीग (PML-N),पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP), जमीयत उलेमा- ए- इस्लाम आदि मुख्य पार्टियाँ व कुछ प्रांतीय पार्टियाँ शामिल हैं। इन सभी दलों ने मिलकर सरकार के खिलाफ़ एक जन-आन्दोलन की शुरुआत की। इनकी रैलियों में लोग हज़ारो की संख्या में इकट्ठा हो रहे हैं और सरकार को हटाने की मांग कर रहे हैं।

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ जिन्होनें जेल से अपना इलाज कराने के लिए बेल ली थी लंदन जाने के लिए उन्होंने लंदन से ही पाकिस्तान के लोगों को वर्चुअल रैली कर सम्बोधित किया और कहा कि इमरान खान व सेना की वजह से ही देश में महंगाई व अर्थव्यवस्था में गिरावट आई है। सेना अब विदेश नीति और रक्षा नीतियों में बदलाव कर रही है।

इस संघर्ष में सभी एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं कि वो भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मिलें हुए हैं। विपक्ष सरकार पर और सरकार विपक्ष पर यह आरोप लगा रही है।

इन सब गतिविधियों से एक बात तो दुनिया के सामने आ गई है कि पाकिस्तान में हालात सामान्य नहीं है। जनता सड़कों पर आकर सरकार और सेना के खिलाफ़ प्रदर्शन कर रही है और प्रधानमंत्री इमरान खान के इस्तीफे की मांग कर रही हैं।

पाकिस्तान में सेना का वर्चस्व हमेशा से ही रहा है। वहाँ सेना सरकार के मुकाबले ज्यादा ताकतवर है। परन्तु लगता है कि इस बार जनता को सेना की सरकार में दखलंदाजी पसंद नहीं आ रही है, और जनता इसका विरोध कर रही है।

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