कक्षा 9 के छात्र द्वारा लिखित

कुछ भी कहें, फेसबुक अब इस गृह पर सबसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफार्मों में से एक है । यह निश्चित रूप से हमेशा मनोरंजन का साधन, अपने जीवन को दिखाने और पुराने दोस्तों से जुड़ने का एक साधन रहा है और रहेगा..

कुछ भी कहें, फेसबुक अब इस गृह पर सबसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफार्मों में से एक है । यह निश्चित रूप से हमेशा मनोरंजन का साधन, अपने जीवन को दिखाने और पुराने दोस्तों से जुड़ने का एक साधन रहा है और रहेगा ।

फ़ेसबुक का सबसे ज़्यादा पैसा, उसके प्लेटफार्म पर आने वाले विज्ञापनों से आता है । हजारों कंपनियाँ इस वेबसाइट पर अपने सबसे अच्छे विज्ञापन डालती हैं, क्योंकि आजकल जिस किसी के पास कंप्यूटर या स्मार्टफोन है वो फेसबुक पर है और इसलिए ये सभी लोग इन विज्ञापनों को देख पाएंगे । फेसबुक के सह-संस्थापक, मार्क जकरबर्ग 36 साल की उम्र में दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति थे! लेकिन, यह सब अब बादल गया है, वह अब दुनिया के चौथे सबसे अमीर हैं । ऐसा क्यों?

हाल ही में कुछ कंपनियों ने फेसबुक पर विज्ञापनों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया – जैसे कि यूनीलीवर, कोका-कोला कंपनी, हर्षे, स्टारबक्स, होंडा, बेन एंड जेरी, मोज़िला और डैशलेन । हर दिन इस लिस्ट में नए नाम जुडते जा रहे हैं । और सिर्फ फेसबुक पर ही नहीं कंपनियाँ इंसटाग्राम पर भी विज्ञापन रोक रहे हैं । कुछ ने कहा कि वे जुलाई के अंत तक फेसबुक पर विज्ञापन नहीं देंगे, कुछ ने वर्ष के अंत तक और कुछ ने केवल कुछ समय के लिए ।   

तो, बड़ा सवाल यह है कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं?

फेसबुक पर विज्ञापन लोगों को आकर्षित करने का सबसे अच्छा तरीका है, लेकिन फिर क्यूँ कंपनियों ने इस प्लेटफार्म पर विज्ञापनों का बहिष्कार करा ? हम सभी ने हाल ही में जॉर्ज फ्लॉय्ड और उससे जुड़ी घटनाओं के बारे में सुना जिसको लेकर दुनिया भर में काफी बड़े विरोध प्रदर्शन हुए । फेसबुक पर इससे जुड़े काफी पोस्ट हुए और लोगों ने काफी नफरत भरे पोस्ट भी किए । अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी कुछ नस्लवादी टिप्पणियां कीं जिसकी काफी आलोचना हुई ।

इन सभी पोस्ट के खिलाफ काफी नाराजगी होने के बाद भी फेसबुक ने इन टिप्पणियों को नहीं हटाया । और ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब फेसबुक पर अभद्र भाषा को बढ़ावा देने का आरोप लगा हो – यह पहले भी हो चुका है, जहां मंच ने राजनीतिक नेताओं को टिप्पणी करने कि आज़ादी दी जबकि वह विशेष समुदायों के खिलाफ थी।