वंदना द्वारा लिखत, 20 साल की छात्रा

केंद्र सरकार ने सेना की भर्ती की प्रक्रिया में नया बदलाव करते हुए मिशन अग्निपथ का ऐलान किया है।

क्या है अग्निपथ स्कीम?

भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जी ने सेना में भर्ती होने वाले युवाओं के लिए एक बड़ा ऐलान किया है कि जो देश के युवा सेना में भर्ती होना चाहते हैं और देश की सेवा करना चाहते हैं उनके लिए ये सुनहरा अवसर है। केंद्र सरकार ने सेना की भर्ती की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करके अग्निपथ योजना का ऐलान किया है जो हमारे सभी युवा भारतीयों के लिए है।

चार साल के लिए सेना में भर्ती होंगे युवा

सेना अग्निपथ योजना

अग्निपथ योजना के तहत देश के युवाओं को चार साल के लिए सेना में भर्ती किया जाएगा और उन्हें देश की सेवा करने का मौका दिया जाएगा। इसमें युवाओं को अल्पकालिक समय (शार्ट टर्म) सर्विस करने का मौका दिया जाएगा। देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह द्वारा देश की सुरक्षा को ध्यान में रख कर ये फैसला लिया गया है, ये युवाओँ  के लिए भव्य अवसर है।

इस स्कीम के अनुसार युवक किसी भी रेजिमेंट के लिए आवेदन कर सकता है साथ ही जाति, धर्म, विशेष के आधार पर भर्ती नहीं होगी, ये योजना सभी युवा भारतीयों के लिए है।

किस आयु वर्ग के युवा कर सकेंगे अप्लाई

इस योजना के लिए 17.5 से 21 साल के युवा आवेदन कर सकते हैं। इसमें 6 महीने की ट्रेनिंग का प्रावधान होगा। इस स्कीम के लिए महिला और पुरुष दोनों ही आवेदन कर सकते हैं। इस योजना में नियुक्त सैनिकों को अग्निवीर कहा जाएगा जिनके लिए सरकार द्वारा अच्छी सैलरी दी जाएगी और 4 साल की नौकरी के बाद भी युवाओं के भविष्य के लिए अच्छे प्रावधान होंगे। सेवा के 4 साल पूरे होने के बाद भर्ती किये गए 25 फीसदी युवाओँ की स्थायी नियुक्ति कर ली जाएगी ।

आगे भविष्य में भी जितने भी युवा है जो भर्ती का भी इंतज़ार कर रहे थे या अपनी परीक्षा दे चुके थे सभी युवाओं की भर्ती अब अग्निपथ योजना के तहत ही होगी ।

इस योजना के तहत भर्ती होने वाले युवाओं को अग्निवीर कहा जाएगा। भविष्य में भर्ती होने वाले युवाओं को मुफ्त शिक्षा दी जाएगी। इस योजना के तहत 4 साल पूरा करने के बाद कैंडिडेट्स को कार्यमुक्त कर दिया जाएगा। इसके अलावा 4 साल की सेवा पूरी करने के बाद करीब 11.7 लाख रुपये एकमुश्त ब्याज समेत दिया जाएगा। ये पैसा इनकम टैक्स के दायरे से मुक्त होगा।

ये योजना युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर है। युवाओँ को देश सेवा का मौका मिलेगा, अच्छी सैलरी मिलेगी, बीमा योजना का लाभ मिलेगा, मुफ्त शिक्षा मिलेगी। 25 फीसदी कैंडिडेटस को स्थायी नियुक्ति का मौका मिलेगा । केंद्र सरकार की यह योजना युवाओं के लिए बहुत बड़ा अवसर है।

अग्निपथ में भर्ती कैसे होगी?

बताया गया है कि अग्निपथ योजना के तहत पुरुष और महिला (सेवा की जरूरत होने पर शामिल किए जाएंगे) दोनों को अग्निवीर बनने का मौका दिया जाएगा। 17.5 से 21 साल तक के युवा इस सेवा में शामिल होने के लिए योग्य माने जाएंगे। वर्तमान में सेना के जो मेडिकल और फिजिकल स्टैंडर्ड है वही मान्य होंगे। 10वीं और 12वीं पास कर चुके युवा (सैन्य बलों की नियम और शर्तों के अनुसार) अग्निवीर बन सकते हैं। इन्हें 10 हफ्ते से लेकर 6 महीने तक की ट्रेनिंग दी जाएगी इन जवानों को होलोग्राफिकस, नाइट फायर कंट्रोल सिस्टम से लैस किया जाएगा। साथ ही हैंड हेल्ड टार्गेट सिस्टम भी जवानों के हाथ में दिए जायेंगे।

अग्निपथ योजना के लाभ एवं हानियां

सरकार अग्निपथ योजना लेकर आई है। जिससे अनेक लाभ हो सकते हैं तथा इस योजना का उद्देश्य लोगों को लाभ पहुंचाना है परंतु जैसा कि हम जानते हैं किसी भी योजना के लाभ एवं हानियां दोनों होती है क्योंकि लाभ और हानि दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इसी प्रकार इस योजना के कुछ लाभ तथा कुछ हानियां हैं। हम एक एक करके के दोनों पर विचार करेंगे।

लाभ

1. जवान हो जाएगी भारतीय सेना

भारतीय सेना दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है। दुनिया की सबसे बड़ी सेना चीन के पास है तीसरी सबसे बड़ी सेना अमेरिका के पास है तो चौथे नम्बर पर रूसी सेना का नंबर आता है। तक़रीबन 8 लाख जवान हमारी सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं, इनकी बहादुरी के आगे चीन और पाकिस्तान दोनों घबराते हैं। हालांकि हमारी सेना में भर्ती होने वाले जवानों की औसत आयु इन चारों सेनाओं में सबसे ज्यादा है। मौजूदा समय में भारतीय सेना की औसत आयु करीब 26 साल है, अग्निपथ योजना से हर साल 18 से 21 साल के युवाओं को सेना में भर्ती किया जाएगा, इन्हें अग्निवीर कहा जायेगा। इनको छ: महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी और 4 साल बाद 75 फीसदी जवान रिटायर हो जायेंगे, उनकी जगह फिर से नई भर्ती होगी। इस तरह से महज 5 साल के अंदर ही सेना की औसत आयु घटकर 20 – 21 साल हो जाएगी यानी हमारी सेना भी दुनिया की अन्य सेनाओं की तरह काफी जवान हो जाएगी।

2. हथियार के लिए बजट बढ़ेगा

रक्षा के बजट का करीब 35 फीसदी हिस्सा सेना में सैलरी में खर्च हो जाता है जबकि 10 फीसदी बजट पेंशन पर खर्च हो रहा है, इस तरह से तकरीबन आधा बजट तो सिर्फ सैलरी और पेंशन पर ही खत्म हो रहा है। इससे सेना को जरूरी हथियारों की खरीद के लिए इंतजार करना पड़ता है अग्निवीरों को रिटायरमेन्ट के बाद पेंशन नहीं देनी पड़ेगी। पेंशन के तौर पर बजट का एक बड़ा हिस्सा बचेगा, जिसका इस्तेमाल अत्याधुनिक हथियार खरीदने के लिए किया जाएगा। इस पैसे का उपयोग हम अपनी सैन्य व्यवस्था में तकनीकी विकास लाने के लिए भी कर पाएंगे।

नुकसान

1. अधूरी ट्रेनिंग

रिटायर मेजर जनरल अश्विनी सिवाच के मुताबिक एक अच्छा सैनिक बनने में छः से सात साल लग जाते हैं, एक जवान को युद्ध के काबिल बनाने के लिए सिर्फ 6 महीने की ट्रेनिंग पर्याप्त नहीं है। उनके मुताबिक हथियारों का रखरखाव और उनको चलाने की ट्रेनिंग ही पूरी नहीं हो पाती। जब तक वो मॉडर्न वेपन चलाना सीखेंगे, सेना से निकल जाएंगे, ऐसे में युद्ध के मैदान में उन जवानों के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कम हो जाती है।

2. जुनून की कमी

रक्षा विशेषज्ञ पीके सहगल के अनुसार सेना में ‘नाम, नमक और निशान’ काफी अहम होते हैं। फौज के जवानों में जज्बा और जुनून होता है, भारत के साथ पाकिस्तान और चीन के दो बड़े बॉर्डर हैं। देश की एक इंच जमीन के लिए भी हमारे जवान अपनी जान की बाजी लगा देते हैं। इसे सिर्फ ट्रेंड जवानों से ही कवर किया जा सकता है। क्या 4 साल के लिए आया जवान ये काम करेगा? जहां 100 फीसदी प्रशिक्षण प्राप्त जवानों के होने पर भी कई बार भारतीय सीमाओं पर स्थिति गंभीर हो जाती है तो क्या केवल 25 फीसदी ट्रेंड जवान देश की रक्षा करने के लिए पर्याप्त होंगे। अगर ये योजना असफल होती है तो हमारे देश की सुरक्षा एवं संप्रभुता को खतरा हो सकता है।

3.मनोबल गिरेगा-

रक्षा विशेषज्ञ दिनेश नैन ने कहा कि देश की सेना ने हर मोर्चे पर खुद को साबित करके दिखाया है। हमारे जवानों ने 1947, 1965 और कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाई है। 1962 में चीन से चप्पल पहनकर लड़े हैं। अब सरकार का ये कदम सेना के मनोबल को गिराने वाला है। उन्होंने कहा कि देश में एक IAS लॉबी है, जो हमेशा से ही सेना से चिढ़ती रही है। कई लोग मिलिट्री कैंटीन और हॉस्पिटल बंद कराना चाहते हैं। अब सरकार इन लोगों के बहकावे में आ गई है।

बहुत लोग इस योजना के विरोध में भी है और कई जगहों पर इस योजना को लेकर विरोध प्रदर्शन, आंदोलन तथा दंगे भी चल रहे हैं। इसका उदाहरण बिहार तथा उत्तर प्रदेश में होने वाले दंगे हैं जिसमें ट्रेन को जला दिया गया।

हमारा लोकतंत्र लोगों को पूर्ण अधिकार देता है कि वह शांतिपूर्ण तरीके से किसी भी सरकार की योजना या कार्यक्रम का विरोध कर सकते हैं परंतु इस तरह से दंगे – फसाद करना और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना गलत है।

अभी जगह जगह पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं तथा इस कानून को वापस लेने की बात की जा रही है इसीलिए निश्चित कहना संभव नहीं है कि कब यह योजना लागू होगी तथा इस कानून का भविष्य क्या होगा परंतु हम आगे की सभी जानकारी आप को देते रहेंगे।

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