कोवैक्सीन भारत में बनने वाली कोरोना वायरस की पहली देशी वैक्सीन है, जिसे आईसीएमआर और भारतीय बायोटेक कंपनी ने साथ में मिलकर बनाया है| जिसका कोड नेम BBV152 रखा गया है| इस वैक्सीन को 15,अगस्त 2020 तक लांच किया जा सकता है|
कोवैक्सीन भारत में बनने वाली कोरोना वायरस की पहली देशी वैक्सीन है, जिसे आईसीएमआर और भारतीय बायोटेक कंपनी ने साथ में मिलकर बनाया है| जिसका कोड नेम BBV152 रखा गया है| इस वैक्सीन को 15,अगस्त 2020 तक लांच किया जा सकता है|
इस वैक्सीन को हैदराबाद के निजाम वैली के बायोसेफ्टी लेवल 3 के हाई कंटेंटमेंट फैसिलिटी में तैयार किया गया है|इस वैक्सीन का प्री क्लिनिकल ट्रायल पहले जानवरों यानी चूहे और खरगोश पर किया गया था जिसमें सफलता मिली| और उसके बाद भारत बायोटेक कंपनी ने इस वैक्सीन का ट्रायल मानव के शरीर पर करने का सोचा| जिसके लिए उन्हें अनुमति भी मिल गई|इस देशी कोवैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल देश के 12 संस्थानों में किया जा रहा है|
इस वैक्सिंग का ट्रायल करने के लिए ICMR यानी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने केवल उन्हीं संस्थानों को चुना है, जिनके पास फार्माकॉलेजी विंग और ह्यूमन ट्रायल करने के लिए अनुभवी प्रोफेशनल्स है|
कोवैक्सीन का प्रयोग कैसे किया जाएगा?
इस वैक्सीन का ट्रायल 2 फेजो में किया जाएगा| पहले फेज में इस वैक्सीन का ट्रायल कुल 375 लोगों पर और उसके बाद दूसरे फेज में कुल 750 लोगों पर किया जाएगा|
निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज(NIMS) के डॉक्टर मनोहर ने बताया कि इसके ट्रायल के लिए पहले कुछ स्वस्थ लोगों को चुना जाएगा और उनके ब्लड सैंपल लेने के बाद नई दिल्ली के लैब में भेजा जाएगा| उनके रिपोर्ट आने के बाद, उन्हें इस वैक्सीन का पहला डोज दिया जाएगा जिसके बाद उन्हें 2 दिन के लिए आईसीयू में रखा जाएगा| 2 दिन बाद उन्हें घर वापस भेज दिया जाएगा और उन पर 14 दिन के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नजर रखी जाएगी यह देखने के लिए कि उनमें कुछ बदलाव आए हैं कि नहीं|
हालांकि इस वैक्सीन को 15,अगस्त 2020 तक लांच करने का दावा किया जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इसके ट्रायल में काफी लंबा समय लग सकता है|