ब्राज़ील चुनाव 2022
ब्राज़ील दक्षिण अमेरिका महाद्वीप का एक देश है जो दुनिया में क्षेत्रफल के आधार पर पांचवा सबसे बड़ा देश है और अभी यह देश हमारे भारत के जैसे ही विकासशील अवस्था में है।
ब्राज़ील दक्षिण अमेरिका महाद्वीप का एक देश है जो दुनिया में क्षेत्रफल के आधार पर पांचवा सबसे बड़ा देश है और अभी यह देश हमारे भारत के जैसे ही विकासशील अवस्था में है।
गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा
किसी भी देश में होने वाले निष्पक्ष चुनाव उस देश में लोकतंत्र की मजबूती को दर्शाते हैं। चुनाव के दौरान हर देश को विभिन्न राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अभी उन्ही चुनौतियों से ब्राज़ील जूझ रहा है, अक्टूबर के पहले रविवार को ब्राज़ील में प्रथम चरण के चुनाव करवाए गए थे। आज हम उसके बारे में पूर्ण जानकारी लेने वाले हैं।
ब्राज़ील
ब्राज़ील दक्षिण अमेरिका महाद्वीप का एक देश है जो दुनिया में क्षेत्रफल के आधार पर पांचवा सबसे बड़ा देश है और अभी यह देश हमारे भारत के जैसे ही विकासशील अवस्था में है। ब्राज़ील में अधिक संख्या में कैथोलिक लोग है और वहां की राजधानी ब्राज़ीलिया है।
ब्राज़ील की चुनावी व्यवस्था
हर देश की एक चुनावी व्यवस्था होती है जिसके द्वारा मंत्रियों की नियुक्ति होती है वैसे ही ब्राज़ील की भी अपनी एक चुनावी व्यवस्था है जिसका वह पालन करता है। ब्राज़ील में बहुदलीय चुनावी व्यवस्था है अर्थात वहां पर बहुत सारी पार्टियां चुनावों में भाग ले सकती हैं।
चुनाव के चरणों की बात करें तो वहां पर दो चरणों में चुनाव होते हैं पहले चरण में जीतने वाले को 50+1 अर्थात आधे से अधिक मत लेने होते हैं और वह शासन व्यवस्था चलाने का अधिकारी बन जाता है।
कई बार ऐसी स्थिति आती है जब किसी को भी 50 से अधिक वोट प्राप्त नहीं होते, ऐसी स्थिति में सबसे अधिक वोट प्राप्त करने वाली दो पार्टियों के बीच में दूसरे चरण का चुनाव होता है। उसमें जिसको आधे से अधिक मत मिलते हैं वही सत्ता का अधिकारी होता है।
अब आप समझ पा रहे होंगे कि ब्राज़ील में चुनावी प्रतियोगिता का स्तर बहुत बड़ा होता है जिन्हें सफलतापूर्ण पार करने के बाद ही कोई देश की शासन व्यवस्था को चलाता है।
ब्राज़ील चुनाव 2022
पिछले महीने जब ब्राज़ील में राजनीति चुनाव की शुरुआत हुई। रविवार को चुनाव के मतों की गिनती करने पर पता चला कि ब्राज़ील में 97% लोगों ने वोट दिए हैं तथा 3% लोगों के वोट नहीं प्राप्त हुए।
इन वोटों में से लुला डा सिल्वा को 48.1% वोट मिले हैं और उसके बाद दूसरे नंबर पर जायज बोल्सोनारो को 43.5% वोट मिले हैं।
आप सोच रहे होंगे कि लूला डा सिल्वा को सबसे अधिक वोट मिले हैं इसलिए वे चुनाव में जीत गए परंतु ऐसा नहीं है जैसे कि हमने पढ़ा कि चुनाव जीतने के लिए 50% से अधिक वोट चाहिए परंतु उन्हें कम वोट प्राप्त हुए हैं ऐसे में दूसरे चरण के मतदान होने का इंतजार करना पड़ेगा।
अर्थात दूसरे चरण के चुनाव के बाद निर्णय दिया जाएगा कि ब्राज़ील की शासन व्यवस्था को कौन चलाएगा। इस दूसरे चरण के चुनाव में एक तरफ लूला डा सिल्वा (पूर्व राष्ट्रपति) और दूसरी तरफ जायज बोल्सोनरो (वर्तमान राष्ट्रपति) हैं।
ब्राज़ील के द्वितीय चरण चुनाव के उम्मीदवार
द्वितीय चरण का चुनाव जल्द ही होने वाला है जिसमें जायज बोल्सोनेरो और लूला डा सिल्वा एक दूसरे के सामने नजर आएंगे।
चलिए उनके के बारे में कुछ जानकारी लेते हैं:-
जायज बोल्सोनेरो
जायज बोल्सोनेरो ब्राज़ील के वर्तमान राष्ट्रपति हैं। इस चुनाव से पहले वहीं ब्राज़ील की शासन व्यवस्था संभाल रहे थे। उनकी विचारधारा की बात करें तो वह बहुत बड़े कंजरवेटिव व्यक्ति हैं।
जायज बोल्सोनेरो राष्ट्र के विकास के लिए उदारवादी विचारधारा को अपनाने में विश्वास रखते हैं इसी कारण उन्होंने ब्राज़ील के अमेजन वन को भी खनन के लिए खोलने का पक्ष लिया था। उन्हें लगता है कि प्राकृतिक संसाधनों के उपयोगिता से विकास को तेज किया जा सकता है।
लूला डा सिल्वा
लुला डा सिल्वा, जायज बोल्सोनेरो के विपक्ष में खड़े हैं। उनके पद की बात करें तो वह जायज बोल्सोनारो से पहले 2003 से 2011 तक ब्राज़ील के राष्ट्रपति रह चुके हैं।
लूला दा सिल्वा के राष्ट्रपति समय में देश में बहुत सुधार हुए तथा स्वास्थ्य क्षेत्र और अर्थव्यवस्था में वृद्धि देखी गई थी।
कुछ समय बाद लूला डा सिल्वा को घोटाले और भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया, जिसके बाद उनके समर्थकों द्वारा “फ्री लूला” आंदोलन चलाया गया, जिसके कारण वह जेल से बाहर आए।
चुनाव का द्वितीय चरण
चुनाव का द्वितीय चरण जायज बोल्सोनेरो तथा लूला डा सिल्वा के बीच होने वाला है जिसने संपूर्ण ब्राजील में एक चिंताजनक स्थिति उत्पन्न कर दी है। सभी नागरिकों के मन में एक ही सवाल है कि कौन जीतने वाला है?
ब्राज़ील भी एक विकासशील देश है। वहां पर भारत के समान ही विभिन्न समस्याएं हैं जिनमें गरीबी, बेरोजगारी, पर्यावरणीय समस्याएं आदि शामिल हैं इसलिए आने वाली सरकार को बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। हम इसी प्रकार के देश- विदेश की खबरों के साथ फिर मिलेंगे। तब तक आप हम से जुड़े रहिए और पढ़ते रहिए नन्ही खबर।
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