मानसून शब्द कहाँ से आया और इसकी निर्माण प्रक्रिया
मानसून शब्द को आप सभी ने सुना एवं पढ़ा होगा। मानसून का आगमन भारत के लोगों में एक नई उमंग का प्रचार करता है।
मानसून शब्द को आप सभी ने सुना एवं पढ़ा होगा। मानसून का आगमन भारत के लोगों में एक नई उमंग का प्रचार करता है।
गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा
मानसून शब्द को आप सभी ने सुना एवं पढ़ा होगा। मानसून का आगमन भारत के लोगों में एक नई उमंग का प्रचार करता है। आज हम मानसून पर गहरी चर्चा करने वाले हैं।
मानसून क्या है?
हम सभी जानते हैं कि भारत एक तटीय देश है। भारत का तटीय क्षेत्र पूर्व में बंगाल की खाड़ी तथा पश्चिम में अरब सागर से घिरा हुआ है तथा हिंद महासागर एवं अरब सागर के समीप है। हिंद महासागर एवं अरब सागर से भारत के दक्षिण पश्चिम तट पर आने वाली हवाओं को मानसून कहते हैं जो देश में भारी वर्षा करवाता है।
मानसून शब्द की उत्पत्ति
मानसून शब्द हिंदी भाषा का शब्द नहीं है। यह अरबी शब्द मौसिम से बना है जिसका हिंदी अर्थ होता है हवाओं का मिजाज।
मानसून के प्रकार
शीत मानसून: शीत ऋतु में हवाएं उत्तर पूर्वी दिशा से दक्षिण पश्चिमी दिशा की ओर चलती हैं जिसे शीत ऋतु का मानसून कहते हैं।
ग्रीष्म मानसून: गर्मी के महीने में हवाएं शीत मानसून से बिल्कुल विपरीत दक्षिण पश्चिम से बहती है इसलिए इसे दक्षिण पश्चिम मानसून या गर्मी का मानसून कहते हैं।
मानसूनी हवाओं का दूसरा नाम
पहले के समय में व्यापार करने वाले व्यापारियों को इन हवाओं के कारण अपनी नाव चलाने में सहायता मिलती थी। इसीलिए इसे “ट्रेड विंड’ अर्थात “व्यापारी पवनों” के नाम से भी जाना जाता है।
मानसून का निर्माण
आप सबके मन में सवाल जरूर आ रहा होगा कि मानसूनी पवनों का निर्माण कैसे होता है तो आइए जानते हैं।
गर्मी के समय में जब सूर्य विषुवत रेखा पर होता है तो मानसूनी हवाएं निर्मित होती हैं। गर्मी में समुद्र का सतह गर्म होने लगता है और लगभग 30 डिग्री तापमान तक पहुंच जाती है इसी समय जमीन का तापमान 40 डिग्री से भी अधिक होता है।
ऐसे में हिंद महासागर के दक्षिण हिस्से मे हवाएं सक्रिय हो जाती हैं। इसी दौरान समुद्री वायुमंडल मे गर्मी के कारण वाष्पीकरण बढ़ने लगता है और बादलों का निर्माण आरंभ हो जाता है।
विश्वत रेखा पार करते हुए समुद्री बादल बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में वर्षा करवाते हुए आगे बढ़ने लगते हैं। इस समय संपूर्ण देश में भयावह गर्मी होती है।
भारत के दक्षिणी बिंदु पर पहुंचते ही यह बादल जमीन से ऊपर उठने लगते हैं और भारत के अन्य राज्यों की ओर बढ़ना आरंभ कर देते हैं।
आगे बढ़ते हुए यह हवाएं दो भागों में विभाजित हो जाती हैं। एक शाखा अरब सागरीय तटीय प्रदेशों जैसे मुंबई, गुजरात, राजस्थान की ओर से बढ़ती है। वहीं दूसरी बंगाल की खाड़ी के प्रदेश पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार की ओर से आगे बढ़ती है।
इसी प्रकार जुलाई के पहले सप्ताह में संपूर्ण भारत में वर्षा होने लगती है जिसे हम “मानसून या मानसून विस्फोट” कहते हैं।
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शीर्षक छवि स्रोत: https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Monsoon_Clouds_6260.JPG
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