सबसे छोटा तथा बच्चों द्वारा निर्मित सेटेलाइट: आजादीसेट
इस वर्ष हम आजादी के 75वां वर्ष मना रहे हैं और भारत सभी क्षेत्रों के साथ अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भी आगे बढ़ता जा रहा है।
इस वर्ष हम आजादी के 75वां वर्ष मना रहे हैं और भारत सभी क्षेत्रों के साथ अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भी आगे बढ़ता जा रहा है।
गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा
इस वर्ष हम आजादी के 75वां वर्ष मना रहे हैं और भारत सभी क्षेत्रों के साथ अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भी आगे बढ़ता जा रहा है। इसी श्रेणी में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) ने भी अंतरिक्ष में अपना एक नया इतिहास रचने की प्रक्रिया का आरंभ कर दिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र इसरो विभिन्न प्रकार के रिसर्च करते रहता है ताकि अपनी तकनीक को सृदृढ़ कर सके। इन्हीं रिसर्चों में एक नया रिसर्च सामने आया है जिसमें इसरो ने 750 विद्यालयों और कालेजों के छात्रों द्वारा बनाए गए सेटेलाइट को अंतरिक्ष में छोड़ा है।
इसरो ने छात्राओं द्वारा बनाए गए सेटेलाइट “आजादीसेट” को अंतरिक्ष में छोड़ा है। आज हम इस सेटेलाइट के बारे में जानकारी लेने वाले हैं।
सेटेलाइट निर्माण
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह आजादीसेट सैटेलाइट इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा नहीं बल्कि विभिन्न ग्रामीण विद्यालयों और कालेजों के 750 बच्चों के द्वारा बनाया गया है। वह 750 बच्चे अपने बेहतरीन प्रदर्शन और विज्ञान में रूचि के कारण चुने गए थे। उन्होंने सेटेलाइट में नए नए रिसर्च किए हैं तथा नई नई तकनीकों को जोड़ने का प्रयास किया है। इस सेटेलाइट को बनने में 6 माह का समय लग गया था।
इस सेटेलाइट में क्या है विशेष?
यह सेटेलाईट बच्चों के विभिन्न नए-नए रिसर्चों और अनुसंधानों का समावेश है। इसमें 75 छोटी छोटी तकनीक तथा मशीनों को लगाया गया है। इसमें विभिन्न एक्सपेरिमेंटल चीजें लगी हुई हैं जिसमें सेल्फी कैमरा, दूरबीन, संचार यंत्र आदि शामिल हैं जो अंतरिक्ष में जाकर विभिन्न तस्वीरों को इसरो तक पहुंचाएंगा।
सेटेलाइट का वजन
अगर हम इस सेटेलाइट के वज़न की बात करें तो यह स्मॉल सैटेलाइट है क्योंकि यह बहुत छोटा है तथा इसका वजन भी सबसे कम है आज तक इतने कम भार का सैटेलाइट अंतरिक्ष में नहीं भेजा गया है। इसका वजन 8 किलो है। जैसा कि हमने पढ़ा इस सेटेलाइट में 75 विभिन्न यंत्र लगे हुए हैं जिसका वजन 50-50 ग्राम है।
सेटेलाइट का लॉन्च किसने किया
इसरो ने एसएसएलवी के द्वारा इस सैटेलाइट को लॉन्च किया है। एसएसएलवी के बारे में जाने तो इसका पूर्ण रूप स्मॉल सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल है जो इसरो द्वारा भेजे जाने वाले छोटे- छोटे तथा कम वजन के सेटेलाइटों का निरीक्षण करता है तथा उसे लांच करता हैं। आजादीसेट सेटेलाइट बहुत छोटा तथा कम वजन का है जिसे इस प्रक्रिया द्वारा आसानी से अंतरिक्ष में भेजा जा सकता है और एसएसएलवी मे सेटेलाइट को लांच करने का खर्च भी बहुत कम है।
सेटेलाइट लॉन्च
आजादीसेट छात्रों द्वारा बनाया गया एक अद्भुत सेटेलाइट है जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 7 अगस्त, रविवार 2022 को स्मॉल सैटलाइट लॉन्च व्हीकल के माध्यम से लॉन्च किया है। यह सेटेलाइट भारत के प्रमुख अंतरिक्ष अनुसंधान राज्य आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित प्रसिद्ध अंतरिक्ष केंद्र सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 9 बजकर 18 मिनट पर लांच की गई है।
सेटेलाइट का काम
यह सेटेलाइट बच्चों द्वारा बनाई गई है और यह एक पृथ्वी अवलोकन सेटेलाइट है जो अंतरिक्ष में जाकर पृथ्वी की क्रियाओं का अवलोकन करेंगी तथा विभिन्न तस्वीरें खींचेंगी। इस सेटेलाइट में लगे संचार तकनीकों के द्वारा सारी फोटो और जानकारी इसरो टीम तक पहुँचेंगी।
बच्चों के मनोबल में वृद्धि
यह सेटेलाइट इसरो की एक महत्वपूर्ण योजना थी परंतु इस योजना के कारण समाज पर अच्छा प्रभाव पड़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों और कॉलेजों के बच्चों को इस योजना से जोड़ने कारण बच्चों के मनोबल में वृद्धि हुई है।
इस योजना में बच्चों ने मिलकर काम किया है तथा एक अद्भुत मिसाल कायम की है। यह दर्शाता है कि भारत की आने वाली पीढ़ी भी विज्ञान को पूर्ण रूप से आत्मसात कर रही है।
इसरो की यह योजना बहुत ही प्रगतिशील और अच्छी थी। इसी प्रकार से विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं के माध्यम से हमारे युवाओं को विज्ञान से जोड़ा जा सकता है तथा उनके रचनात्मकता का प्रभावशाली रूप से प्रयोग किया जा सकता है।
आशा है आपको इस अद्भुत सेटेलाइट आजादीसेट तथा इसके निर्माण की प्रक्रिया के बारे में जानकर अच्छा लगा होगा। हम इसी प्रकार के ज्ञान-विज्ञान के लेखों के साथ जल्दी मिलेंगे।
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